गजब हाल है उत्तराखंड परिवहन निगम का। बात सीएनजी की हो रही है। लेकिन यहां तो सीएनजी बसों का हाल ही बुरा है। हालत ये है कि गेल से करार के तहत मिली सीएनजी बसों को न केवल कबाड़खाना बना डाला। बल्कि अब ये ट्रांसपोर्टनगर मेंं कपड़े सुखाने के काम में प्रयोग किए जा रहे हैं। यकीनन आप चौंक गए होंगे। लेकिन यह सच है।


-वर्ष 2019 में गेल ने दी थी उत्तराखंड रोडवेज को महेन्द्रा कंपनी की बारह सीएनजी बसें
-तीन साल सड़कों पर बसें खूब दौड़ाई, मेंटेनेंस की बारी आई तो खड़ी कर दी

देहरादून, 20 अप्रैल (ब्यूरो)।
दरअसल, वर्ष 2019 की बात है। गेल इंडिया ने पाइप लाइन बिछाने के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम के ट्रांसपोर्टनगर में जमीन मांगी। बदले में गेल ने गढ़वाल व कुमाऊं के लिए 12 सीएनजी की बसें गिफ्ट की। जिसके तहत परिवहन निगम ने इन बाहर बसों का संचालन 5 दून व 7 कुमाऊं के लिए किया। दून से कुछ बसें हरिद्वार, रुड़की व ऋषिकेश में संचालन के लिए भेजी गईं। कुछ वर्षों तक इनका बेहतर तरीके से संचालन हुआ। लेकिन, इसी बीच इनमें खराबी आने लगी। फिर क्या था, रोडवेज ने इनकी रिपेयरिंग करने तक की नहीं सोची। उसके बाद इन बसों का वही हाल हुआ, जिसकी संभावनाएं जताई गई थी।

अब कपड़े सूखाने का काम आ रही बसें
अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दून में ट्रांसपोर्टनगर में कुछ बसें खड़ी हैं, जो आजकल कर्मचारियों के कपड़े सूखाने के काम आ रही हैं। महज पांच वर्ष पुरानी ये सीएनजी युक्त बसें परिवहन निगम ने कबाड़खाना बना दिए। बताया जा रहा है कि इसी प्रकार से कुछ बसें हरिद्वार, ऋषिकेश व रुड़की में भी खड़ी है। परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड रोडवेज ने दिल्ली रूट के लिए वर्ष 2019 में सीएनजी की इन बसों का बड़े सम्मान के साथ संचालन शुरू किया था। रोडवेज ने बकायदा, इन बसों का संचालन बतौर ट्रायल के लिए भी किया था। लेकिन, रोडवेज की लापरवाही व अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण अब ये बसें धूल फांक रही हैं।

हर बार सीएनजी का दावा करते रहा रोडवेज
रोडवेज प्रबंधन लगातार सीएनजी बसों को संचालन की बात कहते आया है। करीब तीन सालों से दावेदारी की जाती रही है। कई बार टेंडर निकाले गए। लेकिन, कोई भी संतोषजनक जवाब न मिलने के एवज में अब रोडवेज 40 सीएनजी बसों के लिए कई कंपनियों से करार किया है। हालांकि, रोडवेज का दावा है कि अनुबंध के तहत संचालित हो रही 40 में से 32 सीएनजी बसें गढ़वाल व कुमाऊं से दिल्ली रूट के लिए संचालित हो रही हैं।

पहले ऐसे चलती थीं बसें
-दिल्ली रूट पर होता था गेल से मिली बसों का संचालन
-रोडवेज के अधिकारियों का था दावा, ईंधन की लागत आती थी कम
-दिल्ली के लिए डीजल का खर्च आता था 6820 रुपये, सीएनजी किट की कीमत थी 3700 रुपये

रोडवेज के बेड़े में शामिल बसें
कुल-- 1050
अनुबंधित---250
एसी व वॉल्वो--- 70
सीएनजी बसें --- 40

अब हो गई बेकद्री
-खराब होने पर ट्रांसपोर्टनगर में खड़ी कर दी सीएनजी बसें
-सर्विस की जरूरत पडऩे पर रोडवेज मैनेजमेंट न नहीं उठाई जहमत
-दून के अलावा दूसरे शहरों में खड़ी-खड़ी धूल फांक रही सीएनजी बसें।
-इन सीएनजी बसों को संचालन महज तीन साल के लिए ही हो पाया।
-तीन साल तक इन बसों से कमाई की, मेंटेनेंस की जरूरत पड़ी तो खड़ी कर दीं

वर्जन -
इन बसों में रिपेयरिंग का काम होना बाकी हैं। इस वजह से इन बसों को वर्कशॉप में खड़ा किया गया है। लेकिन, इसके साथ ही कई और भी अनुबंधित सीएनजी बसें रोडवेज के बेड़े में शामिल हो गई हैं। जिसका लाभ यात्रियों को मिल पा रहा है।
दीपक जैन, जीएम, उत्तराखंड रोडवेज

Posted By: Inextlive