व्हीकल्स के ऑनलाइन इंश्योरेंस में बड़ी गड़बड़ी करके सरकार को करोड़ों रुपये का फटका लगाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दून में एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है कि जो ऑनलाइन पोर्टल पर छोटी गाड़ियों की डिटेल्स देकर बड़ी गाड़ियों का इंश्योरेंस कर रहा था। परिवहन विभाग और केन्द्र सरकार की संबंधित वेबसाइट पर इंश्योरेंस की अमाउंट शो न होने के कारण यह गिरोह 2018 से इस धंधे में लिप्त था। समझा जाता है कि गिरोह अब तक सरकार को जीएसटी के रूप में करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा चुका है। देशभर में इस तरह का घोटाला होने की भी संभावना जताई जा रही है। दून में फिलहाल चार लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ थाना डालनवाला में मुकदमा दर्ज किया गया है।

देहरादून (ब्यूरो)। दरअसल 2018 के बाद कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने व्हीकल्स का इंश्योरेंस ऑनलाइन करने की सुविधा दी थी। कोविड के दौरान और भी कई कंपनियों ने ये सुविधा दे दी। ये कंपनियां पे-टीएम, फोन-पे और पॉलिसी बाजार के माध्यम से ऑनलाइन बीमा कराती हैं। एटीएफ के प्रभारी एसएसपी अजय सिंह के अनुसार कुछ समय से शिकायतें मिल रही थी कि कुछ लोग बीमा कंपनियों के एजेंट बनकर बड़ी गाड़ियों के नंबर पर छोटी गाड़ियों के डिटेल्स देकर इंश्योरेंस करके जीएसटी में गड़बड़ी कर रही हैं। एसटीएफ पिछले कुछ समय से ऐसे लोगों पर नजर रख रही थी।

चार दलाल गिरफ्तार
- प्रदीप गुप्ता पुत्र स्व। सन्तराम निवासी इन्दिरा कॉलोनी, देहरादून
- मसूर हसन पुत्र मंजूर अहमद निवासी ब्रहमपुरी निरंजनपुर, देहरादून
- महमूद पुत्र मुस्ताक निवासी रक्षा विहार, रायपुर रोड, देहरादून
- नीरज कुमार गुप्ता पुत्र जनेश्वर गुप्ता निवासी अनादित्य विहार कॉलोनी, जनता रोड सहारनपुर

ऐसे करते थे गड़बड़ी
एसएसपी के अनुसार आरोपी विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों के एजेन्ट बनकर अपने रजिस्ट्रेशन नम्बर से इंश्योरेंस करते थे। इंश्योरेंस करने के दौरान वे बड़े व्हीकल का नम्बर असली दर्ज करते थे और पेमेन्ट कैलकुलेशन किसी छोटे या टूव्हीलर की दर्ज करते थे। इसका डाटा बीमा कराने वाली कम्पनी के डाटाबेस में बड़े व्हीकल का दर्ज होता है, लेकिन पेमेंट छोटे व्हीकल की होती है। ऐसे में बीमा के समय दी जाने वाली जीएसटी अमाउंट 18 प्रतिशत के हिसाब से जहां बड़े व्हीकल की 20,000 रुपये देनी थी, सिर्फ 500 रुपये ही जमा होती है।

वेबसाइट पर सिर्फ वैलिडिटी
आरोपी इंश्योरेंस करने के बाद सर्टिफिकेट का प्रिंट निकालते थे और फोटो शॉप करके अमाउंट बढ़ी हुई दर्ज कर कस्टमर को देते थे। जब कस्टमर इस सर्टिफिकेट का आरटीओ में चेक करवाता है तो आरटीओ की वेबसाइट में अमाउंट शो नहीं होती, सिर्फ व्हीकल का नंबर और वैलिडिटी की शो होती है। ऐसे में यह सर्टिफिकेट असली लगता है।

तकनीकी कमी का फायदा उठाया
दरअसर इस पूरे घोटाले में दलाल इंश्योरेंस पोर्टल की टेक्निकल कमी का फायदा उठाते रहे। देशभर में आरटीओ के फिटनेस, वाहन ट्रांसफर, एनओसी, आईएनडी प्लेट, रजिस्ट्रेश्न आदि में इंश्योरेंस जरूरी है। आरटीओ ऑफिस द्वारा इस तरह के सभी कामों के दौरान केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्टरी का पोर्टल चेक करने पर उसमें भी केवल व्हीेकल का नंबर और वैलिडिटी शो होती है। इसके बाद आरटीओ सर्टिफिकेट पास कर देता है।

करोड़ों के टैक्स चोरी की आशंका
देशभर में लगभग 24 कंपनियां अलग-अलग प्लेटफार्म के माध्यम से ऑनलाइन इंश्योरेंस की सुविधा दे रही हैं। इंश्योरेंस करने वाले पे-टीएम, फोन-पे और पालिसी बाजार जैसे गेटवे के बारे में एसटीएफ जानकारी ले रहा है। माना जा रहा है इस तरह के मामला में जीएसटी चोरी करोड़ों में हो सकती है।

एक महीने से थी नजर
एसटीएफ के एसएसपी के अनुसार इस मामले की एक महीने से एसटीएफ की टीम गोपनीय रूप से छानबीन कर रही थी। सभी तथ्य हासिल हो जाने के बाद एसटीएफ के इंस्पेक्टर अबुल कलाम ने थाना डालनवाला पर चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। एसएसपी के अनुसार यह मामला बेहद संवेदनशील है। देश भर में इस प्रकार की ठगी की संभावना है। इसे देखते हुए ट्रांसपोर्ट और सेल्स टैक्स विभाग के साथ जानकारियां शेयर की जा रही हैं।

Posted By: Inextlive