Dehradun News: दून के दिलाराम बाजार से सेंट्रियो मॉल तक कटेंगे हरे पेड़, विरोध में उतरे लोग
देहरादून (ब्यूरो) विकास के लिए पेड़ काटे जाने का पर्यावरणप्रेमी व पर्यावरणविदों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसको लेकर प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं। पर्यावरणप्रेमियों के मुताबिक जिन पेड़ों पर दून में आरियां चलनी हैं। उनकी संख्या करीब 144 से ज्यादा बताई जा रही है। इस पर लोगों का कहना है कि किसी को नहीं चाहिए फोर लेन सड़क। ऐसे ही विकास के नाम पर पेड़ कटेंगे तो आने वाले दिनों में दून की तस्वीर दूसरी नजर आएगी। एयरकंडीशनर तक काम नहीं करेंगे।
विकास के नाम पर यहां कटे पेड़-हरिद्वार बाईपास रोड
-चकराता रोड
-चूना भट्टा रोड
-रिंग रोड
-आशा रोड़ी
-हरिद्वार रोड
-सहस्रधारा रोड
पेड़ों का ट्रांसप्लांट भी दिखावा रहा
दून में विभागों ने विकास के नाम पर हरे-भरे पेड़ों पर जमकर आरियां चलाई। लेकिन, इसका विरोध भी हुआ। बदले में संबंधित विभागों ने लोगों की नाराजगी को शांत कराने के लिए ट्री ट्रांसप्लांट का फार्मूला अपनाया। कुछ काटे गए पेड़ों को हरिद्वार बाईपास से लेकर रायपुर के जंगलों में ले जाया गया। कहने के लिए कुछ पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया। लेकिन, अब उनमें कई सूख चुके हैं और कई सूखने के कगार पर हैं।
दिलाराम चौक से सेंट्रियो मॉल तक पेडों पर पीला मार्क लगा दिया गया है। काटने के लिए नंबर लिख दिए गए हैं। लगातार शहर के कंक्रीटीकरण व पेड़ों के कटान ने सिटी में टेंपरेचर काफी प्रभावित हो चुका है। जहां पंखों की आवश्यकता नहीं पड़ती थी, अब एसी जरूरी हो गया है। ऐसे ही पेड़ व प्रकृति खत्म होगी, लोगों का भी पतन निश्चित है।
-अंकु शर्मा, फाउंडर, द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव।
-गौरव शर्मा, सोशल एक्टिविस्ट। देखिए, दून के लिए पेड़ काटा जाना कोई नई बात नहीं है। राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाने की लगातार शिकायतें सामने आती हैैं। यही दुर्भाग्य है कि इस गर्मी में टेंपरेचर 43 डिग्री तक पहुंच गया है, लोग गांव की ओर भाग रहे हैैं।
-केशर सिंह रावत, सोशल एक्टिविस्ट।
राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक राजधानी में 24 सालों के दौरान जिस रफ्तार से पेड़ों पर आरियां चली। उसका एक हिस्सा भी प्लांटेशन नहीं हो पाया, जो हुआ। वे महज दिखावा रहे। कारणवश, प्लांटेशन हुए। लेकिन, उनका रखरखाव नहीं हुआ। हमेशा पेड़ कटाने के ही मामले सामने आते रहे हैं।
-विनोद जोशी, सोशल एक्टिविस्ट।