उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है। यहां उत्पादित होने वाली बिजली देश के कई राज्यों को रोशन कर रही है। हजारों परिवार आज भी विस्थापन सरीखी मार झेल रहे हैं कुछ झेलने को तैयार हैं।

- कंज्यूमर बोलो, सब्सिडी ही नहीं, थोपे गए पांच-पांच टैक्स भी हटाए जाएं

देहरादून (ब्यूरो): ताज्जुब की बात यह है कि जिन राज्यों को उत्तराखंड बिजली दे रहा है वहां बिजली पर सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन राज्य अपने लोगों को यह सुविधा देने में असमर्थता जता रहा है। यही नहीं कंज्यूमर्स पर 5-5 टैक्स अलग से थोप दिए गए हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं पर सबसे अधिक भार टैक्स का पड़ रहा है। सब्सिडी तो छोडि़ए राज्य में 25 लाख के लगभग बिजली कंज्यूमर्स हैं, टैक्स के भार के रुप में करीब 85 पैसे प्रति यूनिट बतौर टैक्स के दे रहे हैं।

बिजली पर लिए जा रहे ये टैक्स
-इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी
-ग्रीन एनर्जी सेस
- वाटर टैक्स
-सेस
- रायल्टी पावर

हाल ही में बढ़े 10 फीसदी रेट
विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही बिजली के करीब 10 फीसदी रेट बढ़ाए हैं। इसको लेकर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से पड़ोसी राज्य हिमाचल और अन्य राज्यों की तरह सब्सिडी देने के साथ ही बिजली पर लगाए गए सभी टैक्स माफ कर आम उपभोक्ताओं को राहत देने की मांग की जा रही है।

हिमाचल दे रहा 125 यूनिट फ्री बिजली
देश के तमाम राज्यों में बिजली उपभोक्ताओं को फ्री बिजली और सब्सिडी के रूप में राहत दी जा रही है, लेकिन उत्तराखंड में किसी भी तरह की कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही है। पड़ोसी राज्य हिमाचल की बात करें तो वहां प्रति परिवार 125 यूनिट बिजली फ्री मिल रही है। साथ ही बिल में भी प्रति यूनिट 60 पैसे सब्सिडी दी जाती है।

कौन राज्य दे रहा कितनी सब्सिडी
राज्य प्रति यूनिट रुपये में
हिमाचल 0.60
मध्य प्रदेश 2.36
राजस्थान 1.19
पंजाब 1.94
जम्मूू कश्मीर 1.54
हरियाणा 1.33
गुजरात 0.88
उत्तर प्रदेश 0.85

रियायती बिजली के खर्च पर एक नजर
राज्य का नाम खर्च करोड़ में
हिमाचल 520
उत्तर प्रदेश - 7661
राजस्थान - 12767
पंजाब - 9657
गुजरात - 6911
मध्य प्रदेश - 5566
जम्मू कश्मीर - 1200

टैक्स हो कम तो सस्ती होगी बिजली
राज्य में बिजली पर लगाए गए टैक्स कम हो और उपभोक्ताओं को दूसरे राज्यों की तरह सब्सिडी मिले तो बिजली के दाम काफी कम हो सकते हैं। हर साल टैक्स का बोझ बढऩे से बिजली की दरों में बार-बार वृद्धि की ऊर्जा निगम मांग करता है। ऊर्जा निगम के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि टैक्स कम होने से बिजली दरें कम हो सकती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह पॉलिस मैटर है। यह निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस पर सरकार को निर्णय लेना होता है।

हाल ही में बढ़े 10 फीसदी रेट
यूईआरसी ने हाल ही 10 फीसदी बिजली बढ़ोत्तरी का ऐलान किया, जिसे 1 अप्रैल से लागू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि महंगी बिजली खरीदने पर पहले ऊर्जा निगम ने वित्तीय मदद की मांग की, जो पूरी नहीं हुई। इसके बाद ब्याज मुक्त ऋण की मांग भी शासन ने खारिज कर दी। अब सब्सिडी का लाभ देने की मांग की जा रही है।

उपभोक्ता बोले, बिजली के रेट हों कम

एशिया का सबसे बड़ा बांध राज्य में है, जिसके लिए 150 गांवों को कुर्बानी देनी पड़ी। सरकार हजारों करोड़ का राजस्व इस पावर प्रोजेक्ट से कमा रही है, लेकिन अफसोस उपभोक्ताओं को रियायती बिजली नहीं दी जा रही है।
किशन लाल, रिटायर्ड इंजीनियर

बिजली पर लगाए जा रहे सभी टैक्स माफ किए जाने चाहिए। हम ऊर्जा प्रदेश में रहते हैं। इतना अधिकार यहां के उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए। सरकार को बिजली बढ़ोत्तरी की मांग वापस लेनी चाहिए।
प्रमोद कपरुवाण शास्त्री, अध्यक्ष, देवभूमि महासभा

पड़ोसी हिमाचल कैसे उपभोक्ताओं को रियायती बिजली के साथ ही टैक्स में छूट दे रहा है। दूसरे राज्य भी उपभोक्तओं को कई तरह के लाभ दे रहा है, तो उत्तराखंड के लाखों कंज्यूमर्स क्यों इन सुविधाओं से वंचित हैं।
संजय जुयाल, सोशल एक्टिविस्ट

राज्य का निर्माण इसलिए हुआ था कि जल, जंगल और जमीन पर यहां के लोगों का अधिकार है, जो 22 साल बाद भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। हमने देश के लिए कुर्बानी दी है उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
एसएस नेगी, सोशल एक्टिविस्ट

सब्सिडी और टैक्स कम करने का अधिकार सरकार के हाथ में है। आयोग का काम सिर्फ ऊर्जा निगम के प्रस्तावों का अध्ययन कर खर्चे और इनकम के बीच के गैप को कम करने के लिए बिजली टैरिफ का निर्धारण करना है।
एमके जैन, मेंबर टेक्नीकल, यूईआरसी

बिजली पर टैक्स कम करना और सब्सिडी देना पॉलिसी मैटर है। इस पर सरकार निर्णय लेती है, जिसका हमे पालन कराना होता है। सरकार जो भी निर्णय लेगी उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
अनिल कुमार, एमडी, ऊर्जा निगम
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive