दून में मानसून के दौरान लोगों को तमाम बीमारियों से जूझना पड़ता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के दावों के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पाती हैैं। तमाम सरकारी अस्पतालों की यही स्थिति है। कई हॉस्पिटल में तो बेड बढ़ाने का दावा करने के बाद भी बेड नहीं बढ़ पाए। ऐसे में पेशेंट्स को इधर-उधर भटकने को मजबूर होना पड़ता है। इस बार भी मानसून की तैयारियों का दावा हकीकत से जुदा है। दून के रायपुर सीएचसी में भी अव्यवस्थाओं का आलम है। दो साल पहले यहां बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे लेकिन अब तक बेड नहीं बढ़ाए गए।

देहरादून (ब्यूरो) 2020 में कोरोना काल के दौरान रायपुर सीएचसी कोरोना पेशेंट्स के लिए काफी मददगार रहा। यहां हॉस्पिटल में व्यवस्था बढ़ाई गई थीं। रायपुर क्रिकेट स्टेडियम में बने कोविड केयर सेंटर का संचालन भी रायपुर सीएचसी के मार्गदर्शन में ही हुआ था। इसके बाद से यहां पर ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था, ऑक्सीजन सिलेंडर समेत तमाम व्यवस्था जुटाने की बात कही गई थी। 2022 में रायपुर सीएचसी को 30 बेड का हॉस्पिटल बनाने की भी घोषणा की गई। लेकिन, दो साल बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

भर्ती नहीं किए जाते पेशेंट्स
समय के साथ बीते कुछ दिनों से हॉस्पिटल में पेशेंट की संख्या बढ़ती जा रही है। मसूरी, टिहरी, त्यूणी, डोईवाला, रायपुर, मालदेवता व सहस्रधारा के कई कई गांव के लिए एकमात्र इसी हॉस्पिटल का सहारा है। आलम यह है रायपुर स्पोट्र्स कॉलेज और तमाम इंस्टीट्यूट के लिए भी यही हॉस्पिटल पास पड़ता है। हॉस्पिटल प्रशासन की मानें तो करीब 3 लाख लोग इस हॉस्पिटल से लाभ लेते हैैं। जिसमें रोजाना की ओपीडी के साथ आईपीडी और इमरजेंसी का संचालन होता है। बेड कम होने के कारण यहां पेशेंट को उपचार के बाद घर भेज दिया जाता है, उन्हें भर्ती नहीं किया जाता है।

हॉस्पिटल में ये खामियां
-3 लाख लोगों के लिए हॉस्पिटल में केवल 10 बेड।
- हॉस्पिटल कैंपस में पसरा मिला कूड़ा।
-हॉस्पिटल में जच्चा-बच्चा वार्ड तो मौजूद, निक्कू वार्ड की सुविधा नहीं।
-हॉस्पिटल में जनरल वार्ड में जच्चा-बच्चा, महिला व पुरुष पेशेंट एक साथ भर्ती।
-पीने के पानी की व्यवस्था, लेकिन नहीं मिली सफाई।
- इमरजेंसी के लिए तैयार बेड्स की हालत बदहाल।
-हॉस्पिटल में स्टाफ की मिली कमी, दो स्टाफ नर्स व दो वार्ड ब्वॉय, दो आया।

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Posted By: Inextlive