12वीं क्लास के 86 स्टूडेंट्स के स्कूल प्रबंधक की लापरवाही के कारण सीबीएसई बोर्ड एग्जाम से वंचित हो गए। मामले पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्ती दिखाते हुए तलब किया। इन स्टूडेंट्स का बोर्ड परीक्षा में एनरोलमेंट नहीं होने पर स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटक गया है। आयोग को इस विषय में शिकायती पत्र मिलने पर स्कूल से जवाब मांगा गया।

12वीं में एडमिशन के बाद भी नहीं कराया था बोर्ड में एनरोलमेंट

देहरादून :
वेडनसडे को आयोग कार्यालय में आयोग की अध्यक्ष डॉ। गीता खन्ना ने बताया कि सहसपुर स्थित मांडुवाला में ल्यूसेंट इंटरनेशनल स्कूल में अलग-अलग राज्यों के स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। इस वर्ष अलग राज्यों से आए 86 स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिन्होंने अपने राज्य के स्कूलों में 11 वीं की पढ़ाई के दौरान सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा के लिए नामांकन किया। जिसके बाद उन्होंने ल्यूसेंट स्कूल में 12 वीं कक्षा में दाखिला लिया। जब प्रैक्टिकल की डेट आई तब स्टूडेंट्स को पता चला कि परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ ही नहीं है। इस विषय पर गंभीरता से शिक्षा विभाग को जांच के आदेश दिए गए हैं।

ओपन बोर्ड से दें सकेंगे एग्जाम
सीबीएसई के रीजनल ऑफिसर रणवीर ङ्क्षसह से आयोग की अध्यक्ष ने बात की। उन्होंने बताया कि बोर्ड परीक्षा देने का एक मात्र विकल्प छात्रों के पास है। छात्र ओपन बोर्ड से परीक्षा दें सकते हैं। उन्होंने बताया खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर कुंदन ङ्क्षसह को भी मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।

शिक्षा महानिदेशक को भेजा पत्र
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी को पत्र भेजा गया है, कि कमेटी गठित कर जांच शुरू की जाए। बताया कि स्कूल पूर्व में भी विवादों में आया है, इसके जांच प्रगति पर है। इस मौके पर आयोग के सदस्य विनोद कपरूवाण, विशाल मौजूद रहे।

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Posted By: Inextlive