पूर्व फॉरेस्ट चीफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यूकेएसएसएससी के पूर्व चेयरमैन और आरएसएस के पर्यावरण गतिविधि के मौजूद प्रांत प्रमुख को वीपीडीओ एग्जाम घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके साथ ही यूकेएसएसएससी के तत्कालीन सचिव और एग्जाम कंट्रोलर को एसटीएफ ने दबोच लिया है। एसटीएफ इसे भर्ती एग्जाम घोटालों में अब तक की सबसे बड़ीे कार्रवाई बता रही है।

देहरादून ब्यूरो। विलेज पंचायत और विकास अधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए यूकेएसएसएससी ने 6 मार्च 2016 को एग्जाम कंडक्ट किया था। परिणाम घोषित होने के बाद इस एग्जाम में गड़बड़ी की कई शिकायतें की गई थीं। 2017 में इन शिकायतों की जांच के लिए समिति का गठन किया गया था। बेहद धीमी गति से चल रही यह जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई। 2020 में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस ने एक मुकदमा भी इस मामले दर्ज करवाया। इसके बाद फिर से मामले की जांच धीमी गति से चलती रही। हाल के दिनों में पेपर लीक मामले में कई गिरफ्तारियां होने के बाद सीएम के निर्देश पर यह जांच विजिलेंस से एसटीएफ को सौंप दी गई थी। एसटीएफ ने सैटरडे को बड़ी कार्रवाई की और आयोग के तत्कालीन चेयरमैन, सेक्रेटरी और एग्जाम कंट्रोलर को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ ने दावा किया है कि तीनों को पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।

इन्हें किया गया गिरफ्तार
- डॉ। रघुबीर सिंह रावत, पूर्व आईएफएस, तत्कालीन अध्यक्ष यूके एसएसएससी, निवासी ऑफिसर सोसायटी, वसंत विहार देहरादून।
- मनोहर सिंह कन्याल, तत्कालीन सचिव यूकेएसएसएससी, निवासी वन विहार, शिमला बाईपास, देहरादून। वर्तमान पद- संयुक्त सचिव लेखा सचिवालय देहरादून।
- राजेंद्र सिंह पोखरिया, तत्कालीन एग्जाम कंट्रोलर यूके एसएसएससी, निवासी कृष्णपुरम, माजरी माफी आईआईपी मोहकमपुर देहरादून।

कब क्या हुआ
- 6 मार्च 2016 को राज्य के सभी 13 जिलों के 236 सेंटर्स पर भर्ती एग्जाम कंडक्ट किया गया।
- एग्जाम में कुल 87,196 कैंडीडेट्स ने हिस्सा लिया।
- 30 मार्च 2016 को एग्जाम का रिजल्ट घोषित किया गया।
- एग्जाम में धांधली की शिकायतों के बाद चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई।
- जांच समिति की रिपोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के तहत एग्जाम का रिजल्ट निरस्त कर दिया गया।
- 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग ने मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी।
- 2020 में विजिलेंस में धांधली की पुष्टि होने पर देहरादून में मुकदमा दर्ज करवाया।
- दो वर्षों ने मामले की जांच बेहद धीमी गति से चलती रही।
- इस वर्ष अगस्त में सीएम के निर्देश पर मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई।

एसटीएफ की कार्रवाई
एसटीएफ उत्तराखंड के एसएसपी अजय सिंह के अनुसार मामले की जांच हाथ में आने के बाद एसटीएफ ने साक्ष्य जुटाने शुरू किये। ओएमआर शीट की जांच में पाया गया कि पूर्व की जांच कमेटी ने ओएमआर शीट एफएसएल जांच के लिए भेजा था और एसएफएल जांच में शीट से छेड़छाड़ की पुष्टि हुई थी। जांच में यह भी पता चला कि एग्जाम से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग और फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का काम तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था।

दो दर्जन कैंडीडेट्स के बयान
एसटीएफ के अनुसार जांच के दौरान अब तक दो दर्जन से ज्यादा कैंडीडेट्स के बयान दर्ज किये जा चुके हैं। कई गवाहों के बयान कोर्ट में भी कराए जा चुके हैं। तीन आरोपियों मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को एसटीएफ ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।

Posted By: Inextlive