उत्तराखंड के जंगलों पर फिर बरसा खतरा
देहरादून (ब्यूरो)। वन विभाग औपचारिक रूप से 15 फरवरी से 15 जून तक फॉरेस्ट सीजन मानता है। हालांकि 2020 में अक्टूबर से दिसंबर तक और 2021 में जनवरी और फरवरी में भी फॉरेस्ट फायर की घटनाएं दर्ज की गई थी। 2020 में अक्टूबर से दिसंबर तक और इस वर्ष जनवरी और फरवरी में अच्छी बारिश और बर्फबारी के कारण सर्दियों के मौसम में आग की घटनाएं नहीं हुई। इस वर्ष 31 मई तक राज्यभर में फॉरेस्ट फायर से 3176 हेक्टेयर वन क्षेत्र जला है। इस सीजन में जंगलों को अप्रैल को महीना सबसे बुरा रहा। अप्रैल में 2708 फॉरेस्ट फायर की घटनाएं दर्ज की गई।
15 दिन चुनौतीपूर्ण
जून का महीना शुरू होते ही राज्यभर में टेंपरेचर में जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। अगले कुछ दिनों तक बारिश की कोई संभावना नहीं है। समझा जाता है कि मिड जून से ही राज्य में बारिश का सिलसिला शुरू हो पाएगा। फॉरेस्ट फायर के मामलों से निपटने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त संसाधन न होने के कारण विभाग फॉरेस्ट फायर बढ़ जाने के स्थिति में बारिश के भरोसे ही रहता है।
2018 से ज्यादा इंसीडेंट
हाल के वर्षों में राज्य में जंगलों में आग लगने की सबसे ज्यादा घटनाएं 2018 में हुई थी। उस वर्ष कुल 2150 इंसीडेंट फॉरेस्ट फायर के दर्ज किये गये थे और 4480 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया था। उससे पहले 2016 में सबसे ज्यादा 2074 इंसीडेंट हुए थे और 4433 हेक्टेयर जंगल जले थे। इस वर्ष अब तक 23 सौ से ज्यादा इंसीडेंट दर्ज किये गये हैं। हालांकि नुकसान 2016 और 2018 की तुलना फिलहाल कम हुआ है। आने वाले दिनों में फिर से इंसीडेंट बढ़ने की पूरी संभावना बनी हुई है।