रिकॉर्ड पर नहीं कैरिंग कैपेसिटी पर करना होगा फोकस
देहरादून (ब्यूरो)। सैटरडे को महाशिवरात्रि के मौके पर ऊखीमठ स्थिति ओंकारेश्वर मंदिर में आचार्यों और हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने का मुहूर्त निकाला गया। ज्योतिषीय गणना के आधार में भगवान केदारनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए 25 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर मेष लग्न में खोले जाएंगे। इसके साथ ही चारों धामों के कपाट खोले जाने की तिथियां तय हो गई है। 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। 25 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुलेंगे और 27 अप्रैल का बदरीनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
सरकार का ध्यान रिकॉर्ड पर
पिछले वर्ष उत्तराखंड के चारों धामों में रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे थे। हालात यह थे कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर भी जाम लग गया था। 48 लाख तीर्थयात्रियों के चारों धामों में पहुंचने का राज्य सरकार ने एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया था। हाल के दिनों में सरकार की ओर से जो संकेत मिले हैं, उससे भी यह बात साफ है कि इस बार सरकार का प्रयास पिछले साल का रिकॉर्ड तोडऩा होगा।
पर्यावरणविद चिन्तित
सरकार बेशक ज्यादा से ज्यादा तीर्थ यात्रियों को चारधामों तक पहुंचाना चाहती हो, लेकिन पर्यावरणविद और पर्यावरण पर काम करने वाले लोग अब इन हालात पर चिन्ता जता रहे हैं। उनका कहना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थिति इस धामों को कैरिंग कैपेसिटी उतनी नहीं है, जितने लोग वहां पहुंच रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक धाम की कैरिंग कैपसिटी का वैज्ञानिक तौर पर निर्धारण करके हर दिन उसी के अनुसार तीर्थयात्रियों को वहां जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
हाल ही में देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने चारों धामों की कैरिंग कैपेसिटी और वहां पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों को संख्या को लेकर राज्य सरकार को सुझाव दिया है। फाउंडेशन का कहना है कि सभी धामों की कैरिंग कैपेसिटी निर्धारित की जाए। लेकिन यह निर्धारण वहां उपलब्ध कमरों की संख्या के आधार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञों की टीम द्वारा भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए।
जोशीमठ ने भी उठाये सवाल
चारों धामों में रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्रियों को पहुंचाने के सरकार के प्रयासों के बीच जोशीमठ के भूधंसाव और उसके बाद पैदा हुई परिस्थितियों के कारण भी सवाल उठ रहे हैं। चारों धामों में सबसे ज्यादा तीर्थयात्री बदरीनाथ जाते हैं। बदरीनाथ जाने के लिए जोशीमठ से ही जाना होता है। ऐसे में सवाल यह उठाया जा रहा है कि धंसते-दरकते जोशीमठ में एक बार फिर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री और हजारों की संख्या में वाहन पहुंचेंगे तो स्थितियां बिगड़ सकती हैं।
अनूप नौटियाल, एसडीसी फाउंडेशन पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप ही उन पर दबाव डालना चाहिए। चाहे बड़ी परियोजनाएं हो या ज्यादा संख्या में तीर्थयात्री।
प्रो। रवि चोपड़ा, पर्यावरणविद् तीर्थयात्रियों की संख्या को रिकॉर्ड और उपलब्धि बताना हद दर्जे का बचपना है। केदारनाथ से सबक लेने की जरूरत है सरकार को।
डॉ। एसपी सती, जियोलॉजिस्ट क्या कहते हैं सोशल मीडिया यूजर्स
चारधाम में तीर्थयात्रियों के रिकॉर्ड पर फोकस किया जाना चाहिए या फिर धामों की कैरिंग कैपेसिटी पर। सोशल मीडिया पर इस सवाल को लेकर किये गये पोल में शुरुआती 5 घंटे में 60 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। 91 परसेंट यूजर्स का कहना है कि धामों की कैरिंग कैपेसिटी पर फोकस किया जाना चाहिए, जबकि 9 परसेंट यूजर्स ने नया रिकॉर्ड बनाये जाने पर सहमति जताई। क्या कहते हैं यूजर्स
ऑलवेदर रोड के साथ-साथ बदरीनाथ, केदारनाथ में जो विनाशकारी काम हो रहे हैं, उन्हें विकास का नाम दिया जा रहा है।
पेगासर गांधी 10
भीड़ लगातार विनाशकारी हो रही है। इतनी बात सरकार की समझ में आ जानी चाहिए और सीमित संख्या में वहां जाने की अनुमति देनी चाहिए।
भार्गव चंदोला
सलीम मलिक