राज्य के हरिपुरा बौर और तुमडिय़ा जलाशय में मत्स्य पालन का ट्रायल सफल होने के बाद अब सिंचाई विभाग बड़े स्तर पर अन्य जलाशयों में मत्स्य पालन की योजना बना रहा है.

- ट्रायल सफल होने के बाद राज्य के अन्य जलाशयों में भी मत्स्य पालन की बनाई जा रही योजना

देहरादून, ब्यूरो: राज्य के हरिपुरा, बौर और तुमडिय़ा जलाशय में मत्स्य पालन का ट्रायल सफल होने के बाद अब सिंचाई विभाग बड़े स्तर पर अन्य जलाशयों में मत्स्य पालन की योजना बना रहा है। इसी कड़ी में अक्सर चर्चाओं में रहने वाली देहरादून जिले की सूर्यधार झील पर्यटन के साथ ही अब मत्स्य पालन का केंद्र भी बनेगा। झील को स्वरोजगार से जोडऩे की कवायद तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है। स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के प्रयासों की कड़ी में सरकार अब एक और कदम उठाने जा रही है।

स्वयं सहायता समूहों को देेंगे काम
ङ्क्षसचाई विभाग के प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष मुकेश मोहन ने बताया कि सिंचाई विभागों केजलाशयों में स्थानीय निवासियों और स्वयं सहायता समूहों को यह कार्य दिया जा सकता है। इससे स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मत्स्य विभाग से विमर्श कर कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। जलाशयों में मत्स्य पालन से संबंधित कार्य सिंचाई विभाग द्वारा आवंटित किए जाएंगे या फिर मत्स्य विभाग के माध्यम से इस बारे में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

सिंचाई और मत्स्य विभाग का ज्वाइंट वेंचर
ङ्क्षसचाई विभाग राज्य के जलाशयों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की कार्ययोजना पर मंथन कर रहा है। बताया जा रहा है कि इनमें स्थानीय निवासियों के समूहों को यह कार्य दिया जा सकता है। इसे लेकर जल्द ही ङ्क्षसचाई और मत्स्य विभाग के उच्चाधिकारियों के मध्य बैठक होगी, जिसमें कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

स्वरोजगार से जुड़ेंगे जलाशय
प्रदेश में मत्स्य पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार इसे स्वरोजगार के बड़े साधन के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इसके लिए मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। साथ ही स्थानीय स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। मत्स्य पालन विभाग की इस मुहिम में अब ङ्क्षसचाई विभाग भी भागीदार बनने जा रहा है।

हरिपुरा में परिणाम आए पॉजिटिव
दरअसल ङ्क्षसचाई विभाग के हरिपुरा, बौर और तुमडिय़ा जलाशयों में वर्तमान में मत्स्य विभाग के माध्यम से मत्स्य पालन किया जाता है। इसके बेहतर परिणाम भी सामने आए हैं। इसे देखते हुए विभाग राज्य के दूसरे जलाशयों में भी मत्स्य पालन करने की योजना बना रहा है। प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य पालन के जरिए सरकार स्वरोजगार के नये आयाम स्थापित करने की तैयारी कर रही है।

सूर्यधार समेत कई जलाशय चिन्हित
हरिपुरा, बौर और तुमडिय़ा के बाद अब सूर्यधार झील, अंबीवाला, बैजनाथ झील, सौगार गदेरा, मोहनारी, नैपाल कोट, कोसी बैराज समेत अन्य जलाशयों में भी इसी तरह की पहल करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
सिंचाई विभाग जलाशयों को बहुविकल्पी बनाने को तैयारी में है। जलाशयों से बिजली के बाद मत्स्य पालन करके स्वरोजगार से जोडऩे की योजना बनाई जा रही है। तीन जलाशयों में ट्रायल सफल होने के बाद इसे अन्य जलाशयों में लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
मुकेश मोहन, प्रमुख अभियंता सिंचाई विभाग, उत्तराखंड

Posted By: Inextlive