पहाड़ों की रानी मसूरी में बनने जा रही करीब साढ़े 4 किमी. फोरलेन टनल का पहला और सबसे अहम पड़ाव पार हो गया है. इस प्रोजेक्ट पर करीब ढाई साल से कसरत चल रही है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया एनएचएआई की ओर से किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद टनल से निकले वाले मलबे को डिस्पोजल करने के लिए जगह नहीं मिली

- आखिर टनल से निकलने वाले मलबे के डिस्पोजल के लिए मिल गई जमीन, खोदाई से निकलने वाले मलबे को टिहरी जिले के बंजर एरिया में किया जाएगा डिस्पोज

देहरादून (ब्यूरो): । अब जाकर मसूरी से करीब 20 किमी। दूर टिहरी जिले में मलबा डंपिंग के लिए कुछ सरकारी और कुछ वन विभाग की बंजर जमीन मिली है। जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई लगभग आखिरी स्टेज में है। इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जून 2021 को हरी झंडी दी थी। तब से लगातार कार्रवाई चल रही है। मलबा डंपिंग को जमीन मिलने पर प्रोजेक्ट के जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

जाम लैस होगी पहाड़ों की रानी
इस टनल के के बनने से पहाड़ों की रानी मसूरी पूरी तरह जाममुक्त हो जाएगी। दरअसल, मसूरी पर्यटन नगरी है। यहां सालाना करीब 10 लाख से अधिक टूरिस्ट््स घूमने के लिए आते हैं। चारधाम यात्रा के अलावा वीकेंड से लेकर न्यू ईयर के जश्न से लेकर विंटर और समर वेकेशन समेत तमाम फेस्टिवल के दौरान सड़कों पर कई किमी। जाम लगता है, जिससे मसूरी पहुंचने के लिए बड़ी जद््दोजहद करनी पड़ती है। लेकिन इस फोरलेन टनल के बाद मसूरी की यह समस्या दूर हो जाएगी।

मार्च से हो सकता निर्माण कार्य स्टार्ट
इस माह अंत तक यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर सबसे बड़ी बाधा दूर हो जाएगी। इसके बाद प्रोजेक्ट को पर्यावरण क्लियरेंस को ज्यादा अड़चनें नहीं आएंगी। एनएचएआई के अफसरों के मुताबिक मलबे को करीब 22 हेक्टेयर जमीन के हस्तांतरण की कार्रवाई आखिरी दौर में है। जमीन उपलब्ध होते ही 80 परसेंट क्लीयरेंस मिल जाएगा। सभी क्लीयरेंस समय पर पूरे हुए तो मार्च से टनल का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है।

देश की चौथी सबसे बड़ी टनल
देश-विदेश में पर्यटन के लिए मशहूर पहाड़ों की रानी मसूरी अब इंडिया की लंबी सुरंगों में गिनी जाएगी। मसूरी बाईपास हाईवे पर बनने वाली यह टनल मसूरी देहरादून को उत्तरकाशी मार्ग से जोड़ेगी। मलबा डंपिंग को जमीन की तलाश पूरी होने पर एनएचएआई ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है। टनल के एलाइनमेंट का काम पूरा हो गया है। टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है।

टनल प्रोजेक्ट पर एक नजर
4.5
किमी। है टनल की लंबाई
04
लेन है चौड़ाई
1300
करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत

देश की तीन सबसे लंबी सुरंगें
- 9.2
किमी। लंबी अटल टनल कंप्लीट
- 8.5
किमी। लंबी बनिहाल कांजीगुंड निर्माणाधीन
-14.02
किमी। लंबी जोजीला भी है निर्माणााधीन

एलबीएस एकेडमी तक बनेगी टनल
करीब 1300 करोड़ की यह प्रस्तावित टनल देहरादून के हाथी पांव रोड के मोड़ से यह टनल करीब 1.5 किलोमीटर आगे से शुरू होगी, जो लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के पास होटल अकेस्टा के पास खुलेगी।

सीमेंट फैक्ट्री ने भी खड़े किए हाथ
मलबा ले जाने के लिए एनएचएआई की रुड़की सीमेंट फैक्ट्री से भी बात हुई। टनल की खोदाई से से करीब 15 क्यूबिक मीटर मिट्टी-पत्थर निकलेगा। इस जमीन में डोलोमाइट अधिक होने से कंपनी ने हाथ खड़े किए। प्रशासन को भी मलबा सरकारी प्रोजेक्ट और गड्ढों में भरने की बात हुई, इस पर भी कोई निर्णय नहीं हो पाया।

मसूरी टनल के मलबे के डिस्पोजल के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही है। जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी होते ही अन्य क्लियरेंस भी जल्द से जल्द लेने के प्रयास किए जाएंगे। सभी क्लियरेंस पूरे होते ही कार्य स्टार्ट कर दिया जाएगा।
पंकज कुमार मौर्य, डायरेक्टर, एनएचएआई, देहरादून
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Posted By: Inextlive