इंडस्ट्रियल कंस्ट्रक्शन में फेम बनी प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग पीईबी का कॉन्सेप्ट धीरे-धीरे सरकारी कंस्ट्रक्शन में भी यूज किया जा रहा है। पीईबी बिल्डिंग नॉर्मल ईंट बजरी सीमेंट के मुकाबले काफी कम लागत में तैयार होती है। इसमें मेंटेनेंस का खर्च भी कम होता है। ये बिल्डिंग आयरन-स्टील के स्ट्रक्चर पर खड़ी होती है।

देहरादून (ब्यूरो) यूजेवीएनएल के डीजीएम प्रोजेक्ट मनोज केसरवानी ने बताया कि पीईबी बिल्डिंग की फाउंडेशन को छोड़कर बाकी स्ट्रक्चर आयरन और स्टील का है। इसमें आरसीसी का काम नाम मात्र का है। कॉलम से लेकर बिंब आयरन और स्टील के हैं। छत पर भी 2 और 3 एमएम की सरिया है। दीवारें प्लास्टर से बनी हैं। उन्होंने बताया कि आरसीसी बिल्डिंग काफी भारी होती है, लेकिन ये पीईबी बिल्डिंग पूरी तरह भूकंपरोधी होती है। बिल्डिंग की इतनी बारीकी से कारीगरी की गई है कि कहीं से भी नहीं लग रहा है कि ईंट, बजरी, पत्थर का काम नहीं हुआ है।

पांच मंजिल छत बगैर आरसीसी की
डीजीएम केसरवानी ने बताया कि हाईटेक्नॉलाजी से बनाई गई बिल्डिंग में कहीं भी लिंटर नहीं है। आयरन और स्टील के स्ट्रक्चर के साथ छत में पतली सरिया है। शुरू से लेकर पांच मंजिल तक की छत कहीं भी आरसीसी नहीं है। आखिरी छत आरसीसी डाली गई है। एक एरिया में दो इंच मोटी फाइबर सीट लगाई गई है। पूरे स्ट्रक्चर के ज्वाइंट्स स्क्रू पेंच से कसे हुए हंै।

नेचुरल डे लाइट सिस्टम से रोशनी
एमडी संदीप सिंघल ने बताया कि बिल्डिंग की खासियत यह है कि इसमें दिन में लाइट जलाने की जरूरत नहीं है। बिल्डिंग का इस तरह निर्माण किया गया है कि हर तरफ रूम में रोशनी है। डार्क रूम और कॉरिडोर आदि में दिन के समय नेचुरल लाइट सिस्टम के जरिए रोशनी होती है। यह सिस्टम बिल्डिंग की आखिरी छत पर लगाया गया है। छत पर लगे पफ पैनल सूर्य की रोशनी सोख कर ऑप्टीकल फाइबर की मदद से डक्ट के थ्रो डार्क रूम के साथ कॉरिडोर्स में छोड़ा गया है। जहां पर खास तरह का सेंसर इसे लाइट में तब्दील कर देता है और बल्ब के थ्रो रोशनी बिखेरता है। जैसे-जैसे सूर्य की रोशनी कम होती है, इसका लाइट भी फीकी पडऩे लगती है।

छत पर लगे हैं एचवीएसी
निगम अफसरों ने बताया कि हर रूम में एसी की जगह बिल्डिंग की सबसे आखिरी छत पर अलग-अलग हॉर्स पावर के हीट एंड वेंटीलेशन एयरकंडीशनर सिस्टम (एचवीएसी) लगे हुए हैं। यहां से सभी रूम में कॉपर के पाइप के जरिए लाइन पहुंचाई गई है। रूम में लगी मशीन को रिमोट के जरिए गर्म और ठंडा किया जा सकता है। बिल्डिंग में सभी ऑफिस शिफ्ट कर दिए गए हैं। परिसर की पुरानी बिल्डंगों का आजकल रिनोवेशन चल रहा है।

पूरी बिल्डिंग में लगे हैं सेंसर
पूरी बिल्डिंग में सेंसर लगे हैं। कहीं पर भी आग लगने की घटना पर सेंसर ऑटामेटिक अलार्म बजा देगा। प्रत्येक फ्लोर पर पिंग कलर के सेंसरयुक्त पाइप लगे हैं, जो हाईटेक अग्निशमन यंत्र से कनेक्ट हैं। आग लगने की घटना पर सेंसर पाइप ऑटोमेटिक फट जाता है और खुद ही चारों तरह पानी की बौछारें छोडऩे लगता है, जिससे आग पर जल्द काबू पाया जा सकता है।

बिल्डिंग की खासियत पर एक नजर
- आयरन और स्टील का पूरा स्ट्रक्चर
- ग्राउंड प्लस 5 फ्लोर है बिल्डिंग
- 10 हजार वर्ग मीटर है कारपेट एरिया
- 46 करोड़ है आई है लागत
- नेचुरल डे सिस्टम से दूर हो रहा दिन का अंधेरा
- नाम मात्र का यूज है पूरी बिल्डिंग में आरसीसी का
- नॉर्मल बिल्डिंग के मुकाबले काफी कम लागत से बनी है बिल्डिंग
- दून ही नहीं पूरे राज्य में पहली है यह पीईबी बिल्डिंग

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Posted By: Inextlive