रोडवेजः घाटे के कोढ़ में टोल बना खाज
देहरादून (ब्यूरो)। टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य होने के बाद रोडवेज मुख्यालय ने अपनी सभी बसों पर फास्टैग लगवा दिए थे। यह पेटीएम के जरिये लिए गए और फास्टैग का अकाउंट भी अलग कर दिया गया। एक अधिकारी सिर्फ इस खाते की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। उसकी जिम्मेदारी रहती है कि यह अकाउंट कभी खाली न हो, क्योंकि इस सूरत में बसों को दोगुना टोल देना पड़ता है। यह अकाउंट मंगलवार सुबह खाली हो गया और किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जिसकी वजह से दून-दिल्ली, दून-हल्द्वानी मार्ग के साथ ही हरिद्वार-रुड़की व दून-हरिद्वार और दून-सहारनपुर मार्ग पर जो भी टोल प्लाजा हैं, वहां बसों ने दोगुना टोल दिया।
हर जगह डबल टोल
दिल्ली मार्ग पर दौराला मेरठ टोल प्लाजा पर बस का टोल 310 रुपये है, लेकिन उत्तराखंड की रोडवेज बसों से 620 रुपये टोल दिया। दून-हल्द्वानी मार्ग पर रामपुर में टोल प्लाजा पर 405 रुपये शुल्क है लेकिन वहां बसों को 810 रुपये टोल देना पड़ा। दून-हरिद्वार मार्ग पर लच्छीवाला टोल व हरिद्वार-रुड़की मार्ग पर बहादराबाद के टोल प्लाजा पर भी दोगुना टोल लगा। इस वजह से रोडवेज को एक ही दिन में लाखों रुपये की चपत लग गई। चालक-परिचालकों ने जब अपने डिपो में शिकायत की तो रोडवेज प्रबंधन हरकत में आया और टोल के खाते में रकम डाली गई। हालांकि, रोडवेज प्रबंधन इसे तकनीकी गड़बड़ी बताकर पल्ला झाड़ रहा है।
रोडवेज के फास्टैग का अकाउंट छह माह में तीसरी बार खाली होने से बसों को दोगुना टोल चुकाना पड़ा। इससे पूर्व नौ अप्रैल व फिर 27 अक्टूबर को भी यही परेशानी हुई थी। प्रबंधन ने तकनीकी गड़बड़ी बताते हुए तब भी पल्ला झाड़ लिया था।