दून में जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है उसी गति से इलीगल कंस्ट्रक्शन भी बढ़ता जा रहा है। शहर की आबादी 12 से 13 लाख पहुंच गई है। जब से शहर में नगर निगम के क्षेत्र का दायरा बढ़ा है तब से इलीगल कंस्ट्रक्शन कई गुना बढ़ गया है।

- दून शहर में हर साल बन रहे लगभग 10 हजार से अधिक भवन
- अब तक करीब 1.50 लाख भवनों के नक्शे स्वीकृत

देहरादून (ब्यूरो): मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के आंकड़ों पर गौर करें, तो तस्वीर स्पष्ट हो जाती है। वर्ष 2022-23 में अब तक 3455 लोगों को एमडीडीए ने इलीगल कंस्ट्रक्शन के नोटिस किए हैं। इसके सापेक्ष अभी तक 1472 लोगों ने ही अवैध निर्माण कंपाउंडिंग कराकर वैध कराए हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो शहर में औसतन रोजाना 3 अवैध निर्माण हो रहे हैं। महीने में 100 और सालाना यह आंकड़ा चार हजार तक पहुंच रहा है। कुछ कंस्ट्रक्शन ऐसे हैं जिन तक एमडीडीए अभी पहुंच नहीं पाया है। दरअसल ज्यादातर नोटिस शिकायत के बाद ही दिए जाते हैं।

नए वार्डों में ज्यादा अवैध निर्माण
दून नगर निगम के वार्ड 60 से बढ़कर 100 हो गए हैं। नए बने वार्डों में प्लॉटिंग के साथ भवनों का अवैध निर्माण अधिक संख्या में हो रहा है। इन क्षेत्रों में अकृषि भूमि पर धड़ल्ले से भवनों का निर्माण हो रहा है। एमडीडीए की ओर से अवैध निर्माण को लेकर लगातार की जा रही कार्रवाई इसका उदाहरण है। एमडीडीए हर साल औसतन करीब 6 से 7 हजार भवनों के नक्शे स्वीकृत कर रहा है। नगर निगम में ग्रामीण इलाकों को मिलाकर बनाए नए वार्डों में अभी सख्ती से नक्शे स्वीकृत नहीं कराए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों को जोड़ दिया जाए, तो भवन निर्माण की संख्या सालाना 10 हजार से अधिक है।

पिछले 5 साल में स्वीकृत भवनों के नक्शे
वर्ष स्वीकृत नक्शे
2018 4023
2019 4447
2020 5400
2021 9500
2022 8900

हर साल जारी किए गए नोटिस पर एक नजर
वर्ष नोटिस की संख्या
2022 3455
2021 2374
2020 1829
2019 1680
2018 1450

पांच साल में कंपाउंड किए गए भवन
2022 1472
2021 1897
2020 430
2019 1144
2018 604

ये है मुख्य वजह
एमडीडीए में जनरल और कमर्शियल नक्शे स्वीकृत कराने को लंबी प्रक्रिया है, जिस वजह से आम आदमी नक्शे स्वीकृत कराने से परहेज करते हैं। नक्शे स्वीकृत करने के मानक बेहद कठिन है। कई बार एमडीडीए में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया के सरलीकरण की बात उठी है, लेकिन इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। जिस वजह से अधिक संख्या मे ंअवैध निर्माण हो रहे हैं। निर्माण के बाद कंपाउंडिंग के जरिए अवैध निर्माण को वैध किया जाता है। इससे जहां पब्लिक राहत मिल रही है वहीं एमडीडीए को भी राजस्व मिल रहा है।

आधे नक्शे रिन्यू ही नहीं
एक बार नक्शा स्वीकृत कराने के बाद केवल पांच साल तक ही वैध रहता है। पांच साल बाद फिर कंस्ट्रक्शन कराने के लिए नक्शा स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है, लेकिन आधे से अधिक नक्शे रिन्यू नहीं हुए हैं। हालांकि इसमें पैनाल्टी का भी प्रावधान है। आम आदमी को यह पता नहीं है कि स्वीकृत नक्शा पांच साल के लिए ही वैध है। इसके बाद भवन पर ऊपरी मंजिल पर निर्माण कराने को नक्शा पास करना होता है, लेकिन अमूमन लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण
- सहस्रधारा रोड
- गलज्वाड़ी
- धौलास
- कंडोली
- मसंदावाला
- शिमला बाईपास
- ठाकुरपुर
- मेंहूवाला
- गोरखपुर
- बद्रीश कालोनी
- नेहरू ग्राम
- नवादा
- मोथरोवाला
- धोरणखास

ये बात सही है कि शहर में भवनों के निर्माण बहुत तेजी से हो रहे हंै, लेकिन बगैर नक्शा पास कराए बन रहे भवनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। नक्शा स्वीकृति करने के मानक यदि सख्त हैं, तो उसे सरलीकृत करने का प्रयास किया जाएगा।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव, एमडीडीए
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