दून से सिंगापुर तक पहुंचते थे चोरी गए मोबाइल टावरों के उपकरण
-इंटर स्टेट मोबाइल टावर गिरोह का पटाक्षेप, 25 लाख के उपकरणों के साथ 4 शामित आरोपी दबोच
कई गुना ज्यादा मिलती है कीमत
पुलिस के अनुसार मास्टरमाइंड कमल नयन के एक्शन प्लान के बाद ही पूरा गिरोह मिलकर मोबाइल कंपनियों के 5-जी टावर में लगने वाले बीटीएस व आरआरयू जैसे लाखों के डिवाइस व दूसरे महंगे इक्विपमेंट को ऑटोमेटिक टूल्स से निकालकर सिंगापुर, मलेशिया, दुबई और सऊदी अरब जैसे गल्फ कंट्रीज तक सप्लाई करते थे। एक कंपनी के कर्मचारियों ने पुलिस को बताया कि मोबाइल टावरों से चुराए गए डिवाइस तकनीकी कारणों के चलते यहां दोबारा काम में नहीं आते। लेकिन, विदेशों में अलग तकनीक के चलते इनका इस्तेमाल दोबारा किया जाता है। इन इक्विपमेंट की कीमत भी वहां कई गुना ज्यादा मिल जाती है। यही वजह है कि शातिर इन्हीं चुराकर बाहर के देशों में सप्लाई कर देते थे।
ये किए गए अरेस्ट
-कमल नयन मौर्य (मास्टर माइंड) रविंद्र गार्डन निकट साईं मंदिर सेक्टर अलीगंज यूपी।
-विपुल कुमार ग्राम कासिमपुर नवादा देवबंद जिला सहारनपुर यूपी
-प्रियांशु कुमार ग्राम कासिमपुर नवादा देवबंद जिला सहारनपुर यूपी
-विजय कुमार निवासी ऊन पंडेरा झिंझाना शामली यूपी
-राजस्थान
-हरियाणा
-दिल्ली
-चंडीगढ़
-उत्तराखंड लखनऊ, शामिल व सहारनपुर का गैंग
डीआईजी दलीप सिंह कुंवर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मोबाइल टावरों से कीमती उपकरण चुराने वाला गिरोह लखनऊ, सहारनपुर व शामली का है। लेकिन, गैंग राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तराखंड जैसे राज्यों में लंबे समय से एक्टिव है। पुलिस के मुताबिक लखनऊ के अलीगंज का रहने वाला कमल नयन मौर्य जैसे ही अपने गैंग को मोबाइल टावरों की लोकेशन भेजता, उसके बाद गिरोह के सदस्य मोबाइल टावर में पहुंचकर अपने हाईटेक उपकरणों से कीमती डिवाइस चुराकर फरार हो जाते। पुलिस के अनुसार हाल में ये गैंग हरिद्वार और दून में एक्टिव था।
दून व दिल्ली से चार आरोपी दबोचे
हाल में गैंग ने दून के थाना पटेलनगर और प्रेमनगर सहित चार थाना क्षेत्रों में 5 मोबाइल टावरों से कीमती 5-जी डिवाइस चुराने की घटना का अंजाम दिया था। इसके बाद एयरटेल व जिओ कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद थाना प्रेमनगर पुलिस व एसओजी टीम में गिरोह का पर्दाफाश किया। इनसे 25 लाख से ज्यादा के इक्विपमेंट भी बरामद किए। इन चार शातिरों को दिल्ली और दून से गिरफ्तार किया गया। अब पुलिस गिरोह के नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
मास्टरमाइंड कमल नयन मौर्य ने पुलिस को बताया कि वह एरो इंफ्रॉटेक कंपनी में वर्ष 2013 से सुपरवाइजर का काम कर चुका है। इसी दौरान उसको मोबाइल टावरों की तकनीकी और कीमती सामग्री की जानकारी प्राप्त हुई। उसके बाद कोऑर्डिनेटर के तौर पर अतुल चौहान जुड़ा, जो मोबाइल टावरों की लोकेशन बताता था। अतुल पूरी जानकारी कमल के सहायक विजय कुमार देता था। इसके बाद मोबाइल टावरों की तकनीकी खराबी को ठीक करने के लिए लाइव लोकेशन विपुल और गैंग के सदस्य प्रियांशु को भेजी जाती थी। फिर विपुल और प्रियांशु टावर तक पहुंच जाते थे और लाखों के उपकरण लेकर फरार हो जाते थे।
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