परेड ग्राउंड स्थित रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट से एक साल में 1 मीटर ग्राउंड वाटर लेवल में बढ़ोत्तरी देश के कई शहरों में पानी की किल्लत है। पानी को बचाने की बात की जा रही है। विशेषज्ञों से लेकर तमाम सरकारी विभाग इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग को ब्रह्मास्त्र मान रहे हैं। जिसका रिजल्ट भी मिल रहा है। दून में कुछ ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला।


- प्रोजेक्ट की शुरुआत 2022 में की गई, एक साल में ही दिखने लगा असरदेहरादून (ब्यूरो): स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दून सिटी के बीचोंबीच स्थित परेड ग्राउंड में स्थित एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट को इंट्रोड्यूज किया गया था। जिसका रिजल्ट एक साल के भीतर ही देखने को मिल गया। गत एक वर्ष में परेड ग्राउंड में ग्राउंड वाटर लेवल में करीब एक मीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। बरसाती पानी बचाना जरूरी
देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत परेड ग्राउंड में बारिश के पानी को बचाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट की 2022 शुरुआत की गई। इसका असल मकसद ये था कि परेड ग्राउंड क्षेत्र को पानी के लिए शहर का सबसे ड्राई जोन माना जाता है। ऐसे में स्मार्ट सिटी ने इस क्षेत्र को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए चुना। शुरुआत में उम्मीदें कम नजर आ रही थी। लेकिन, जब प्रोजेक्ट जमीं पर उतरा और उसके बाद जो रिजल्ट सामने आ रहे हैं, वह रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए लोगों को इंस्पायर कर रहे हैैं।वाटर रिचार्जिंग में मददगार


स्मार्ट सिटी के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2023 में परेड ग्राउंड के आसपास का ग्राउंड वाटर लेवल जहां 94.5 मीटर रिकॉर्ड किया गया। वहीं, जून 2024 में ये वाटर लेवल फिर से घटकर 97.9 मीटर तक पहुंच गया। लेकिन, इस बीच स्मार्ट सिटी के 2200 केएल क्र(किलो लीटरक्र) क्षमता के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की वजह से ग्राउंड वाटर का लेवल करीब 1 मीटर बढ़कर 96.8 मीटर तक पहुंच गया। इससे साफ है कि स्मार्ट सिटी का स्थापित किया गया रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बरसात के पानी को बचाने में कारगर साबित हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि इसमें हर साल बारिश के दौरान ऐसे ही न केवल पानी की बचत की जा सकेगी। बल्कि, ये तकनीक वाटर रिचार्ज के लिए भी मददगार साबित होगा। जानकार बताते हैं कि स्मार्ट सिटी की तर्ज पर प्रदेश के सारे विभाग व आम लोग ऐसे ही बरसात के पानी को बचाने की मुहिम में जुटेंगे तो भविष्य में पानी के संकट से बचा जा सकता है। कुछ स्थानों का ग्राउंड वाटर लेवल -नेहरू कॉलोनी--55.6-बन्नू स्कूल--63.2-निरंजनपुर--40.9 -विजय कॉलोनी--65.0-कौलागढ़--79.4-अधोईवाला शिवालिक--94.4-ब्राह्मणवाला खाला--111.1-अमन विहार--110.0-चूना भट्टा--88.4-वसंत विहार--75.0-बंगाली कोठी--28.7-कांवली --43.9(स्रोत--स्मार्ट सिटी, सितंबर 2024 की रिपोर्ट, आंकड़े मीटर में। )ये है असल वजह

स्मार्ट सिटी के स्काडा सिस्टम से तैयार की गई रिपोर्ट के आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी के कई ऐसे इलाके हैं, जहां पानी का ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जा रहा है। इसकी वजह जानकार निर्माण कार्य, इलाके का कंक्रीट में तब्दील होना और पेड़ों का कटान होना बताते रहे हैं। ये बात सच है कि जहां एक दशक पहले तक दून में एडीडीए से रेजिडेंशियल और नॉन रेजिडेंशियल भवनों के निर्माण के लिए तकरीबन सालाना 3 हजार तक नक्शे पास होते थे। अब उसकी संख्या बढ़कर 8 से 10 हजार तक पहुंच गई है। आशंका ये भी है कि इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में अवैध निर्माण भी दून में हो रहे हैं। वाटर लेवल गिरने के कारण -बढ़ता अर्बनाइजेशन -इलीगल बोरिंग -रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं-पेड़ों का कटान -खत्म होती ग्रीनरी5 साल में 10 मीटर खिसका भूजल पिछले 5 साल की बात करें तो दून में अंडरग्राउंड वाटर 10 मीटर तक नीचे खिसक गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी गंभीर प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले समय में हालात बेकाबू हो जाएंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि बदलता मौसम चक्र और कम बारिश भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है, लेकिन रिचार्जिंग के वैज्ञानिक तौर-तरीके बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए।
स्मार्ट सिटी के पास स्काडा सिस्टम के तहत सिटी के हर क्षेत्र के ग्राउंड वाटर लेवल रियल टाइम डाटा है। परेड ग्राउंड में रेन वाटर हार्वेस्टिंग छोटा सा प्रोजेक्ट है। इस तरह शहर में ऊंचाई वाले इलाकों में यह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं, तो ग्राउंड वाटर लेवल में काफी सुधार आ जाएगा। केपी चमोला, एजीएम, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, देहरादून dehradun@inext.co.in

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