पॉलिसी न बनने से फिल्म डेस्टीनेशन के प्रयासों को नहीं लग पा रहे पंख
देहरादून(ब्यूरो) : राज्य में जिस संशोधित फिल्म पॉलिसी के लिए 2019 में सुझाव मांगे गए थे उसे अभी तक सरकार की मंजूरी नहीं मिली है। एक्सपट्र्स का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्रीज असमंजस में हैं, जिससे फिल्मों के निर्माण में गिरावट आ रही है। 2022 में यहां काफी कम फिल्में बनी। केवल 177 शूटिंग स्थलों के लिए ही परमिशन ली गई, जबकि इससे पहले 217 परमिशनें दी गईं। हालांकि फिल्म विकास परिषद से जुड़े अफसरों का कहना है कि सब्सिडी मिलने से फिल्म मेकर प्रोत्साहित हो रहे हंै। संसोधन पॉलिसी का ड्राफ्ट शासन को भेज दिया गया है। कैबिनेट से स्वीकृति मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
2015 में बनी थी पहली फिल्म पॉलिसी
राज्य गठन के बाद वर्ष 2015 में फिल्म पॉलिसी बनी थी। इसके बाद वर्ष 2019 में इसमें संशोधन किया गया। बताया गया है कि कोविडकाल में फिल्म पॉलिसी में कुछ दिक्कतें सामने आईं, जिसके बाद एक बार फिर से नई फिल्म पॉलिसी को लेकर उत्तराखंड फिल्म बोर्ड ने नई पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने की योजना बनाई है।
उत्तराखंड दुनिया काबेस्ट डेस्टीनेशन
दून, हरिद्वार, ऋ षिकेश के अलावा बदरी-केदार और गंगा-यमुना जैसी सदाबहार नदियां हैं। प्रदेश में शूटिंग के लिए देश-दुनिया की सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन हैं। नैनीताल मसूरी, औली, चकराता, पिथौरागढ़, मुनस्यारी चोपता, हर्षिल, वैली ऑफ फ्लॉवर्स जैसे महत्वपूर्ण डेस्टीनेशन भी उत्तराखंड में मौजूद हैं। बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में कई नए शूटिंग डेस्टिनेशन भी विकसित हुए हैं। अब प्रदेश में बेहतर कनेक्टिविटी व आवास की बेहतर व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।
निश्चित तौर पर शूटिंग के लिए फिल्म निर्माताओं में उत्साह है, लेकिन फिल्म से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि संशोधित पॉलिसी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले बन जाती तो राज्य को इसका बड़ा फायदा पहुंचता। फिल्म मेकर्स के बीच जो असमंजस बना है वह दूर हो जाता और कई दर्जन फिल्मों के निर्माण का भी एमओयू हो जाता है। इसमें कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है।
बंगाल-एमपी की तर्ज पर बने पॉलिसी
एक्सपर्ट का कहना है कि उत्तराखंड में सशोधित फिल्म पॉलिसी को बंगाल और एमपी की तर्ज पर बनाया जाए। स्थानीय कलाकारों और ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दी जाए। पॉलिसी ऐसी बने कि पर्यावरण के साथ स्थानीय लोगों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। मुंबई से लाने के बजाए स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों की संख्या बढ़ाने को इंस्टीट्यूट खोला जाए।
नई फिल्म पॉलिसी में ये शामिल
-फिल्म व मीडिया प्रोत्साहन के लिए फिल्म सिटी
-फिल्म संस्थान
-नये शूटिंग स्टूडियोज
-नये प्रोडक्शन हाउस
-नये पोस्ट प्रोडक्शन हाउस
-नये सिनेमाघरों की स्थापना
फिल्मों के लिए सब्सिडी
-उत्तराखंड में फिल्मों की 75 परसेंट शूटिंग पर हिंदी फिल्मों के लिए 1.5 करोड़ तक सब्सिडी
-रीजनल फिल्मों के लिए 25 लाख तक की सब्सिडी
-अन्य राज्य की भाषाओं की फिल्मों को 15 लाख तक सब्सिडी
-रीजनल, हिंदी व अन्य भाषाओं की फिल्मों को बढ़ाया जा सकता अनुदान
-ओटीटी, टीवी सीरियल्स, वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्रीज, शॉर्ट फिल्म्स को भी अनुदान में शामिल करने पर विचार
फीचर फिल्म, वेबसीरीज, टीवी सीरियल, म्यूजिक वोडियो एलबम और एड फिल्म को अब तक दी गई शूटिंग की अनुमति
वर्ष अनापत्ति प्रमाण पत्र
1. 2015-16 18
2. 2016 37
3. 2017 49
4. 2018 124
5. 2019 134
6. 2020 228
7. 2021 217
8. 2022 177
9. 2023 193
कांता प्रसाद, डायरेक्टर, कलर्स चेकर्स फिल्म्स इंटरटेनमेंट प्रा। लि। फिल्म पॉलिसी बनना बहुत जरूरी है। स्थानीय फिल्मों के साथ स्थानीय कलाकारों और स्थानीय लोगों के हित में बननी चाहिए। फिल्म मेकरों के लिए लोकल एक्टर्स को अधिक से अधिक लेने की शर्त जोड़ी जानी चाहिए।
अनुराग वर्मा, फाउंडर व एमडी, पंचम वेद क्रिएशंस सरकार फिल्मों को प्रोत्साहित करने में हर संभव प्रयास कर रही है। संशोधित ड्राफ्ट बन गया है। ड्राफ्ट शासन को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही ड्राफ्ट को कैबिनेट से स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद जल्द ही पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा।
नितिन उपाध्याय, सहायक निदेशक dehradun@inext.co.in