राजाधनी दून समेत अन्य शहरों में नकली दवाओं का जाल इस कदर फैल चुका है कि तमाम कंपिनयां इस काले कारोबार में खुलेआम कूद पड़ी हैैं। कुछ दिन पहले दून आईएसबीटी के पास ऐसी ही दो कंपनियों के कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। पिछले एक साल के भीतर ड्रग कंट्रोलर विभाग ने एक्शन लेते हुए अलग-अलग स्थानों से 10 करोड़ से अधिक की नशीली और नकली दवाओं को बरामद किया है। पिछले साल भी यह आंकड़ा आस-पास ही था। हर साल इतनी बड़ी तादाद में नकली दवाओं के पकड़े जाने से अंदाजा लगाया जा सकता कि किस कदर जहरीली दवाओं से जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

देहरादून(ब्यूरो) मार्केट में बड़े पैमाने पर नकली दवाओं का धंधा चल रहा है, जो दवाई आप खा रहे हैं कहीं वह नकली तो नहीं है। इसे जरूर चेक कराएं। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दवाइयां लें और इसे संबंधित डॉक्टर को अवश्यक दिखाएं। नकली दवाई आपकी सेहत के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

रुड़की और यूएसनगर अड्डा
हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिला नकली दवाओं का मेन अड्डा है। हरिद्वारका रुड़की एरिया इस मामले में बहुत सेंसिटिव माना जाता है। यह क्षेत्र हमेशा ड्रग डिपार्टमेंट के निशाने पर रहता है। सबसे ज्यादा छापेमारी भी इसी एरिया में होती है। ड्रग विभाग ने यहां कई नकली दवाइयां बनाने व उसका कारोबार करने वाली कंपनियों का भंडाफोड़ किया है। एक साल के भीतर यहां 6 करोड़ से अधिक की नकली दवाइयां बरामद की गई हैं। इसके बाद यूएसनगर में भी बड़े पैमाने पर करोड़ों की दवाइयां पकड़ी गई हैं। दून के आईएसबीटी, प्रेमनगर और सेलाकुई क्षेत्र में यह कारोबार तेजी से फैल रहा है।

ये दवाइयां बिक रही नकली
एजिस्थ्रोमाइसिन
सेफिएक्सीम
सिपोडोक्सीम
अल्मिसार
गाबापेंटीन
मोबिजोक्स
टेपेंटाजोल
ऐसीलॉक
वनरेक्स कफ सिरप
कडसेफ-20
पेंटाडोप
जैमकॉल कैप्सूल

100 अरब से ज्यादा का दवा प्रोडक्शन
दून समेत पूरे राज्य में तकरीबन फार्मा और कॉस्मेटिक की 350 कंपनियां हैं। जहां एक-एक कंपनी 20 से लेकर 50 करोड़ तक सालाना विभिन्न दवाओं का प्रोडक्शन करती है। ये कंपनियां यदि 30 करोड़ तक का एवरेज कारोबार करती हैं, तो राज्य में तकरीबन 100 अरब से अधिक की दवाओं का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में इतनी दवाओं के बीच कौन नकली दवाओं का कारोबार कर रहा है यह पता लगाना मुश्किल है।

ऐसे लगाएं नकली दवा का पता
ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह ने बताया कि नकली दवाओं की पहचान आसानी से की जा सकती है। जो दवाएं आप कैमिस्ट की दुकान से ले रहे हैं टैबलेट के पत्ते की बाईं ओर आरएक्स रेड इंक से प्रिंट किया हुआ होता है। इसके अलावा कई कंपनियां बार कोड भी लगा रही हैं। साथ ही कंपनी का नाम और पूरा पता लिखा हुआ होता है। जिन दवाओं में ये चीजें नहीं है, तो समझो कि वह नकली हैं। दवाइयां लेते वक्त पर्चा अवश्य लें। पर्चा नहीं दिया जाता है, तो दवाई के नकली होने के चांस हैैं।

इस टोल फ्री नंबर पर करें कंप्लेन
18001804246

एक साल में 18 मुकदमे, 40 गिरफ्तार
ड्रग डिपार्टमेंट ने नकली और नशीली दवाओं के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए ड्रग विभाग की टीम ने एक साल के भीतर 18 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। टीम ने पीएनडीटी एक्ट के 11 और ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत 7 जगहों पर कार्रवाई की है। अवैध कारोबार से जुड़े करीब 40 लोगों को एक साल के भीतर गिरफ्तार किया है।

टेस्टिंग लैब की कमी आ रही आड़े
एक्सपर्ट लोगों का कहना है कि मार्केट में नकली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा है। फूड और दवाओं की टेस्टिंग के लिए लैब अलग-अलग होनी चाहिए, लेकिन राज्य में एक ही लैब में दोनों काम चल रहे हैं, जिससे दवाओं की टेस्टिंग सही ढंग से नहीं हो पा रही है। राज्य में दवाओं के लिए दो-दो टेस्टिंग लैब की जरूरत बताई जा रही है। टेस्टिंग लैब की कमी के चलते सैंपल की जांच धीमी रफ्तार से चल रही है। इस पर प्रभावी रोक को सैंपल की अधिक से अधिक जांच की जरूरत है।

dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive