राजधानी दून में लोग कैसा पानी पी रहे हैं। जो पानी घरों में सप्लाई हो रहा है वह कितना पीने लायक है। इसकी न तो सरकार को खबर है और न ही जल संस्थान को ही पता है कि वह अपने उपभोक्ताओं को कितना स्वच्छ पानी पिला रहे हैं।

- जल संस्थान की लैब में नहीं हो रहे घरों में स्प्लाई हो रहे पानी की नियमित टेस्टिंग
- कई जगहों पर क्लोरीन के साथ ही टोटल कॉलीफॉम और फीकल कॉलीफॉम की मात्रा है सामान्य से अधिक

देहरादून (ब्यूरो): शहर में पेयजल सप्लाई का जिम्मा संभाले जल संस्थान की कहने को तो अपनी टेस्टिंग लैब है, लेकिन बावजूद इसके लैब में शहर के ट्यूबवेल्स और ओवरहैड टैंक से लेकर घरों में पहुंच रहे पानी की स्वच्छता को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं है। घरों में आपूर्ति हो रहे पानी में टोटल कॉलीफार्म, कैल्शियम, आयरन, हार्डनेस आदि कितनी मात्रा में है। इसकी कोई सैंपलिंग वर्तमान में नहीं है। कई इलाकों में सप्लाई हो रहे पानी में गंदगी की शिकायतें मिलती रहती है। एक संस्था ने पिछले साल शहर के अलग-अलग हिस्सों से सैंपल लेकर उसके एक्सपर्ट ने दावा किया कि 97 में से 94 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। यह दावा कितना सही है, यह इसकी पुष्टि नहीं करते, लेकिन पानी की स्वच्छता को लेकर तमाम स्तरों पर सवाल उठते रहे हैं। मानवाधिकार आयोग भी फटकार लगा चुका है, इसके बाद भी अफसर नहीं चेत रहे हैं।

नहीं होती कैल्शियम की सैंपलिंग
आपके पानी में कितना कैल्शियम है, यह जल संस्थान को भी पता नहीं है। संस्थान की लैब में पानी के कैल्शियम की सैपलिंग नहीं होती है। हालांकि संबंधित अधिकारियों ने बताया कि जल जीवन मिशन स्कीम आने के बाद कैल्शियम की सैंपलिंग शुरू की गई है। यह सैंपलिंग शहर में नहीं, ग्रामीण एरियाज में हो रही है। इसके इतर जल संस्थान वाटर ट्रीटमेंट प्लांट दिलाराम में नियमित सैंपलिंग कर रहा है। इस प्लांट की 31 सितंबर 2022 की सैंपल जांच में कॉलीफाम एब्सेंट पाया गया और टीडीएस की मात्रा सही पाई गई।

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट दिलाराम के पानी की जांच रिपोर्ट
मिनरल मात्रा डिजायरेबल परमिसिबल
टीडीएस 414 500 2000
हार्डनेस 396 200 600
फ्लोराइड 0.27 1.0 1.5
सल्फेट 51 200 400
क्लोरीन 0.4 0.2 -

मानकों के अनुरूप नहीं कई कॉलोनियों का पानी
सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजरवेशन साइंटिस्ट (स्पैक्स) के सचिव फॅ। बृजमोहन ने दावा करते हुए बताया कि करीब छह माह पूर्व देहरादून शहर के अलग-अलग हिस्सों से पीने के पानी के कुल 97 नमूने लेकर केन्द्र सरकार से मान्यता प्राप्त अपनी लैब में परीक्षण किया, इनमें से 94 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के 41 क्षेत्रों के पानी में क्लोरीन की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पाई गई, उनमें राज्य सचिवालय, कई मंत्रियों के आवास, जिलाधिकारी आवास, जिला जज आवास आदि शामिल हैं। इसके विपरीत 50 अलग-अलग क्षेत्रों के पानी के नमूनों में क्लोरीन मिला ही नहीं।

कॉलीफाम की मात्रा भी अधिक
सहस्रधारा, बंजारा बस्ती, केवल विहार, भंडारी बाग, संजय कॉलोनी और पटेलनगर समेत कई इलाकों मेंखतरनाक बैक्टीरिया टोटल कॉलीफाम और फीकल कॉलीफॉम की सामान्य मात्रा 10 मोस्ट प्रोपेबल नंबर (एमपीएन) प्रति लीटर के विपरीत देहरादून में कई जगहों पर टोटल कॉलीफॉम की मात्रा 52 एमपीएन प्रति 100 मिली तक पाई गई है।

फीकल कॉलीफॉम बैक्टीरिया की मात्रा भी अधिक
पानी में मौजूद फीकल कॉलीफॉम बैक्टीरिया की भी है। यह बैक्टीरिया पेट संबंधी अनेक बीमारियां, दस्त, पीलिया, उल्टी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। दून के पानी में फीकल बैक्टीरिया की मौजूदगी 2 से 14 एमएनपी प्रति 100 मिली तक पाई गई है।

12 लाख है शहर की आबादी
1.65 के लगभग है शहर में टोटल वाटर कंज्यूमर्स
100 वार्ड है दून नगर निगम में
49610 कंज्यूमर्स है साउथ डिवीजन में
36142 कंज्यूमर्स हैं नॉर्थ डिवीजन में
42276 कंज्यूमर्स हैं रायपुर डिवीजन में
32348 कंज्यूमर्स हैं पित्थूवाला डिवीजन में

पानी की जांच को जल संस्थान की अपनी लैब है। समय-समय पर डिवीजनों की ओर से पानी की जांच को सैंपल भेजे जाते हैं। पानी के सप्लाई टैंकों में क्लोरीन की नियमित जांच की जाती है। प्रत्येक वार्ड से पानी के सैंपल लेकर प्रॉपर टेस्टिंग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं।
नीलिमा गर्ग, सीजीएम, उत्तराखंड जल संस्थान
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Posted By: Inextlive