दून में बढ़ते ट्रैफिक प्रेशर के बीच अव्यवस्थित ट्रैफिक सिग्नल्स बड़ी समस्या बन गये हैं। ट्रैफिक पुलिस और ट्रैफिक डायरेक्टरेक्ट की ओर से ऑड टाइमिंग की समस्या दूर करने के दावे कई बार किये जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद यह समस्या अब भी जहां की तहां बनी हुई है। ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग के चलते जरूरत से ज्यादा देर तक ट्रैफिक रुका रहता है। ऐसे में रूल्स वॉयलेशन की परवाह न करने वाले वाहन चालक अक्सर रेड लाइट जंप करते हैं जिससे एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।

देहरादून ब्यूरो। ट्रैफिक डायरेक्टरेट सिटी के चौराहों पर एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (एटीसीएस) लागू करने की बात कहता रहा है। इस सिस्टम के तहत ट्रैफिक के वॉल्यूम को सेंसर की मदद से मेजर किया जाता है और ट्रैफिक वॉल्यूम के अनुसार ट्रैफिक सिग्नल सेट हो जाता है। पांच चौराहों पर यह सिस्टम शुरू कर दिये जाने का दावा भी किया गया था। लेकिन फिलहाल ज्यादातर चौराहों में टाइमिंग की समस्या गंभीर बनी हुई है। किसी साइड से इक्का-दुक्का वाहन आ रहे हों और दूसरी साइड से सैकड़ों वाहन आ रहे हैं, सिग्लन टाइमिंग सभी के लिए बराबर होती है।

रेड लाइट जंप ज्यादा
इस तरह के टाइमिंग के कारण अक्सर एक साइड का ट्रैफिक देर तब रेड लाइट पर खड़ा रहता है, जबकि कम वॉल्यूम वाली साइड से कोई वाहन नहीं होता है। ऐसे में कई वाहन चालक मौके का फायदा उठाकर रेड लाइट जंप करते देखे जा सकते हैं। ऐसे मौके पर कई बार ग्रीन लाइट साइड से तेजी से आ रहे वाहन से एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। हरिद्वार बाइपास पर कारगी चौक पर अक्सर ऐसे नजर आ जाते हैं।

बंद रहते हैं सिग्नल
सिटी के कई चौराहों पर ज्यादातर समय ट्रैफिक सिग्नल बंद रहते हैं। कुछ जगहों पर तो कई-कई महीनों तक सिग्लन दुरुस्त नहीं किये जाते। इस दौरान चौराहों पर अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। एक तरफ ट्रैफिक डायरेक्टरेट की तरफ से देखने में असक्षम लोगों के लिए ऑडियो सिग्नल की व्यवस्था करने के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ लाइट सिग्नल भी प्रॉपर तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive