Dehradun News: सीवर ट्रीटमेंट प्लांट होने के बावजूद नहीं सुधर रहे हालत, आज भी नदियों में बह रहा गंदा पानी
देहरादून (ब्यूरो) इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि एसटीपी की प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। हाल ही में 68 एमएलडी के कारगी स्थित प्लांट में सीवर का पानी खुले में उड़ेलने का मामला सामने आया है। इससे पूर्व भी कई बार इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। मोथरोवाला में भी 20-20 एमएलडी के प्लांट सवालों के घेरे में रहते हैं। यहां से भी पानी नदी में बहाने की शिकायतें मिलती रहती हैं। प्रॉपर मॉनिटरिंग न होने से संबंधित कंपनियों पर लगाम नहीं लग पा रही है। प्रॉपर सीवरेज शोधन न होने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
नदियों में बह रहा ट्रीटेड वाटर
दून में करीब 115 एमएलडी कैपेसिटी के एसटीपी मौजूद हैं। यहां से ट्रीट होकर निकलने वाला पानी नदियों में फालतू बह रहा है। यदि इस पानी का यूज भवनों के निर्माण, फुलवारी, सिंचाई आदि में किया जाए, तो इन कार्यों में यूज होने वाला पीने के पानी की बरबादी रुक जाएगी। इस ओर कभी सरकार का ध्यान नहीं गया। केवल पानी बचाने की कागजी अपील की जा रही है। एसटीपी का पानी यूज करने के लिए इसके लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
जल संस्थान बना रहा वर्कप्लान
पानी की लगातार हो रही क्राइसिस के लिए जल संस्थान हरकत में आया है। बताया जा रहा है कि जल संस्थान एसटीपी के ट्रीट वाटर को मुफ्त में देने के लिए लोगों से अपील कर रहा है। साथ ही इसके लिए कार्ययोजना भी बना रहा है किस तरह लोग एसटीपी के पानी को किन-किन कार्यों में यूज कर सकते हैं। एसटीपी से ट्रीट वाटर पीने लायक तो नहीं होता है, लेकिन इसके अलावा कई कार्यों में यूज किया जा सकता है।
- लगातार बढ़ रही शहर की पॉपुलेशन
- 13 लाख से अधिक पहुंच गई आबादी
- 2 लाख से अधिक घर बन गए हैं सिटी में
- 270 एमएलटी के करीब है सिटी में पानी की डिमांड
- शहर में संचालित एसटीपी की कैपेसिटी है 115 एमएलडी
- 29 एमएलडी के प्लांट अंडर कंस्ट्रक्शन
- जल संस्थान बना रहा एसटीपी के पानी को यूज करने के लिए वर्क प्लान
29 एमएलडी अंडर कंस्ट्रक्शन
शहर में एबीडी के तहत रायपुर, टीएचडीसी यमुना कॉलोनी, बंजारावाला, दौड़वाला, इंद्रापुरी क्षेत्र में अभी करीब 146 किमी सीवर लाइन बिछाए जाने का काम चल रहा है। इसके अलावा दुल्हनी नदी पर 11 एमएलडी का भी एसटीपी निर्माण जारी है। खास बात ये है कि अभी भी मिड सिटी में ही एसटीपी के जरिए सीवर लाइन कनेक्ट हैं। ऐसे में जब इन इलाकों में एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो एसटीपी की क्षमता बढ़ जाएगी।