अन्य प्रदेशों से आयातित दूध व दुग्ध पदार्थो, पोलट्री उत्पादों की निर्भरता को कम किया जाए: सीएम
- मेरीनों भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही उत्तराखंड व आस्ट्रेलियन ब्रीडर के मध्य एमओयू
-धरातल पर योजनाओं के क्रियान्वयन को मात्र औपचारिकता न समझे अधिकारी-सीएम
सीएम बोले-क्रियान्वयन को औपचारिकता न समझें
सीएम ने कहा कि धरातल पर योजनाओं के क्रियान्वयन को मात्र औपचारिकता न समझे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में डेरी विकास के लिए 600 बहुउददेशीय दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना, चारे की कमी के दृष्टिगत 20 फोडर एफपीओं के गठन, दुग्ध समितियों के क्लस्टर में 50 दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्रों की स्थापना, 16 बद्री गाय ग्रोथ सेन्टर की स्थापना, दुग्ध समिति तथा दुग्ध संघ के कार्यो का आटोमेशन, दुग्ध संघों के ओवर हैड व्ययों को कम करने, पर्वतीय क्षेत्रों में सामुदायिक भूमि पर 10 लाख चारा वृक्षों के रोपण कर चारे की समस्या को कम करने का कार्य तथा उत्तराखण्ड की समस्त दुग्ध समितियों तथा समस्त दुग्ध संघों को लाभ में लाने के लक्ष्य डेरी विकास विभाग समयबद्धता से पूरे करें।
जल्द ही आस्ट्रेलियन ब्रीडर से एक एमओयू
मुख्यमंत्री धामी ने डेरी विकास विभाग को राज्य में डेरी विकास को प्रोत्साहित करने हेतु डेरी विकास में सफल अन्य राज्यों के अध्ययन के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने पशुपालन विभाग को राज्य में मेरीनों भेड़ों के पालन को बढ़ाने के प्रस्ताव पर गम्भीरता से कार्य करने के निर्देश दिए। इस दिशा में जल्द ही आस्ट्रेलियन ब्रीडर से एक एमओयू किया जाएगा।
गन्ना विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखण्ड की चीनी मिलों को ऑपरेशन प्रोफिट में लाने के लिए अधिकारियों को प्रोएक्टिव मोड पर कार्य करना होगा। उन्होंने गन्ना विकास विभाग को अल्पकालिक लक्ष्यों के तहत बाजपुर एवं किच्छा चीनी मिलों के आधुनिकीकरण, राज्य में गन्ना बीज बदलाव, जीपीएस के माध्यम से गन्ना सर्वेक्षण का कार्य तथा प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने सीएम को जानकारी दी कि चीनी मिलों द्वारा विगत सत्र के सापेक्ष इस सत्र में 10 प्रतिशत अधिक गन्ने की पेराई की गई है।
मत्सय विभाग की भी की समीक्षा
मत्सय विभाग की समीक्षा के दौरान सीएम ने निर्देश दिए कि राज्य में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने मत्स्य उत्पादन हेतु 468.68 हैक्टेयर नए जलक्षेत्रों के विस्तार, 863 नए ट्राउट रेसवेज के निर्माण, 200 नये केजो का संयोजन, 33000 मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन, 80.0 लाख वार्षिक ट्राउट मत्स्य बीज उत्पादन के लक्ष्य को समयबद्धता से पूरा करने के निर्देश दिए।
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