वन्य जीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। सर्दी की दस्तक के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रवासी पङ्क्षरदों का आगमन शुरू हो गया है। ऋषिकेश बैराज से लेकर सप्तसरोवर के पास गंगा नदी का तट इन प्रवासी पङ्क्षरदों का बसेरा है। इन जगहों पर कई बड़ी संख्या में प्रवासी पङ्क्षरदे देखे जा सकते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यहां बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजाति के पशु व पक्षी मौजूद हैं जिनमें विलुप्त होती प्रजाति के पक्षी भी शामिल हैं। अब ठंड बढऩे के साथ ही मोतीचूर गौहरी और चीला रेंज के बीच नदी तट पर प्रवासी पङ्क्षरदों का आगमन होने लगा है। रायवाला के पास इन पङ्क्षरदों को गंगा में जल क्रीड़ा और तट पर विश्राम करते देखा जा सकता है। अभी इनमें जलकाग और रूडी शेलडक सुर्खाब पक्षी की संख्या सबसे ज्यादा है। पार्क प्रशासन को अभी अन्य प्रवासी पङ्क्षरदों के आने का इंतजार है। प्रवासी पङ्क्षरदों के आगमन से जहां पक्षी प्रेमी खुश हैं वहीं इससे राजाजी पार्क के पर्यटन व्यवसाय को नए पंख लगने की उम्मीद भी बढ़ गई है।


देहरादून (ब्यूरो)। शीतकाल में मध्य एशिया से विभिन्न प्रजाति के यह पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्र तय कर राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रवास के लिए आते हैं। नवंबर से लेकर करीब मार्च तक यहां रहते हैं। इनमें चकोर, वाल क्रीपर, सैंड पाइपर, जलकाग, सुर्खाब, साइबेरियन पक्षी मुख्य हैं। पार्क क्षेत्र में यह ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक गंगा व दूसरी सहायक नदियों के किनारों पर प्रवास करते हैं। मोतीचूर के रेंज अधिकारी महेंद्र गिरि गोस्वामी ने बताया कि राजाजी पार्क की विभिन्न रेंज में प्रवासी पङ्क्षरदे आने लगे हैं। आने वाले दिनों में इनकी संख्या और भी बढ़ेगी। प्रवासी पक्षी लगभग मार्च महीने तक यहां प्रवास करते हैं। इस दौरान यह अपना परिवार भी बढ़ाते हैं। पक्षी के आगमन को देखते हुए चौकसी बढ़ाई गई है।

Posted By: Inextlive