वॉयलेंस की शिकार महिलाओं की हेल्प के लिए 2017 में दूून में शुरू किए गए वन स्टॉप सेंटर का संचालन पिछले एक साल से ठप है। वन स्टॉप सेंटर से बड़ी उम्मीदें थीं कि पीडि़त महिलाओं को इस सेंटर के जरिये सरकार का शेल्टर मिलेगा उन्हें न्याय दिलाया जाएगा लेकिन ये बातें अब बेइमानी साबित हो रही हैैं। नवंबर 2022 से लेकर इस सेंटर का संचालन ठप है।

देहरादून (ब्यूरो) केंद्र पोषित योजना के तहत उत्तराखंड की राजधानी दून की ईसी रोड पर 2019 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में वन स्टॉप सेंटर की नई बिल्डिंग इनॉग्रेट की थी। हालांकि, सेंटर की शुरुआत 2017 में की गई थी। नई बिल्डिंग मिलने के बाद दावे किए गए थे कि पीडि़त महिलाओं के लिए यह सेंटर सरकारी शेल्टर होगा और यहां से उन्हें न्याय दिलाया जाएगा। सेंटर की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपी गई थी। लेकिन, एक साल से सेंटर का संचालन पूरी तरह ठप है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार स्टाफ न होने के कारण सेंटर नहीं चल पा रहा है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सुबह 10 से शाम 5 बजे तक कोई भी महिला शिकायत लेकर पहुंचती है तो कंप्लेन दर्ज कर ली जाती है। फिलहाल, सेंटर में केवल एक कर्मचारी और गार्ड मौजूद हैं, जो सेंटर की केयर टेकिंग कर रहे हैं।

वन स्टॉॅप सेंटर पर एक नजर
-हिंसा पीडि़त महिलाओं व गल्र्स को सहयोग देने के लिए अप्रैल 2019 में शुरू किया था दून में वन स्टॉप सेंटर।
-इसको सखी नाम दिया गया, पीडि़त महिलाओं को सेंटर के जरिये दिलाया जाना था न्याय, की जानी थी हेल्प।
-सेंटर में पीडि़त महिलाओं के शेल्टर, काउंसलिंग, लीगल हेल्प और उनके कंप्लेंस की जाती थीं दर्ज।
-24 घंटे सुविधाएं देने का दावा करने वाले सेंटर में 30 नवंबर 2022 से दर्ज नहीं हुई कोई शिकायत।

सेंटर का अब यह हाल
-पीडि़ता के लिए रहने के इंतजाम भी नहीं
-भोजन की भी व्यवस्था नहीं।
-अब सर्वर रूम में की जा रही बेड की व्यवस्था।
-महिलाओं व गल्र्स को ले जाने के लिए वैन की सुविधा भी वापस।

दो वर्ष पुरानी लिस्ट डिस्प्ले
वैसे भी वन स्टॉप सेंटर पिछले एक साल से ठप है। लेकिन, सेंटर के नोटिस बोर्ड पर पिछले दो वर्ष पुरानी लिस्ट डिस्प्ले बोर्ड पर चस्पा की गई है। जिसमें शिकायतें और उनके समाधान का ब्योरा दिया गया है।

अब तो कनेक्शन भी कटा
हेल्प के लिए सेंटर में फोन की सुविध मुहैया कराई गई थी। लेकिन, फोन नंबर पर अब कॉल संभव नहीं है। विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली गई तो पता चला कि वन स्टॉप सेंटर का संचालन न होने के कारण फोन का बिल ज्यादा आ रहा था। लिहाजा, कनेक्शन काट दिया है।

संविदा पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों की सेवा समाप्ति से ये समस्या सामने आई है। हालांकि, फिर से व्यवस्थाएं सुचारू की जा रही हैं। जिससे महिलाओं की समस्याओं का समाधान हो सके, उन्हें सुविधाएं मिल सकें।
-आरती बलोदी, नोडल ऑफिसर, महिला सशक्तीकरण।

पीडि़त महिलाओं व गल्र्स की सुविधा के लिए इस सेंटर की शुरुआत की गई थी। लेकिन, ऐसा लगता है कि विभागीय लापरवाही के कारण ये सेंटर बदहाल स्थिति में है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। जिससे जरूरतमंदों को उस सेंटर का लाभ मिल सके।
-राधिका गुुरुंग, सोशल एक्टिविस्ट।

ये सरासर विभागीय लापहरवाही का उदाहरण है। जिम्मेदार विभाग को वन स्टॉप सेंटर पर विशेष ध्यान देना चाहिए। दून समेत कई इलाकों से पीडि़त महिलाएं अपनी समस्या को लेकर पहुंचती थी। अब एक साल से सेंटर बंद है। इसके लिए विभाग को जिम्मेदारी उठाने की आवश्यकता है।
-कंचन गुनसोला, सोशल एक्टिविस्ट।
dehraudn@inext.co.in

Posted By: Inextlive