भू-कानून के लिए सांस्कृतिक यात्रा
देहरादून। इस सांस्कृतिक यात्रा में भू-कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा से जुड़े युवा शक्ति संगठन के युवाओं ने भी भारी संख्या में भागीदारी की। राज्य आंदोलनकारी मंच, गढ़वाल सभा और अन्य भू कानून समर्थक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी सांस्कृतिक यात्रा में शामिल हुए।
गांधी पार्क में नोकझोंक
गांधी पार्क में जब जुलूस के बाहर रोड पर आने लगा तो पार्क का मेन गेट किसी ने बंद कर दिया गया। इससे महिलाएं और मोर्चा से जुड़े लोग भड़क गये। स्थिति बिगड़ती देख गेट खुलवाया गया। सांस्कृतिक यात्रा शुरू होने से पहले महिला मंच की संयोजक कमला पंत ने कहा कि वर्तमान राज्य व्यवस्था और राज्य सरकारों की नीतियों के चलते उत्तराखंड की संस्कृति उसकी अस्मिता, पहचान, जीवन शैली खतरे में है। स्थानीय स्तर पर रोजगार की उम्मीद में मातृ शक्ति, युवा शक्ति, आंदोलनकारी उत्तराखंडी जनता के संघर्षों बलिदानों से यह राज्य बना। उस राज्य में आज पहले से ज्यादा पलायन व बेरोजगारी है।
2018 को कानून वापस लो
महिला मंच की जिला अध्यक्ष और गढ़वाल सभा की उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट और संयोजक उषा भट्ट ने कहा कि 2018 में भू कानून बनने के बाद बेरोकटोक राज्य की पहाड़िया और कीमती जमीन लोगों के हाथों से खिसक रही हैं। पहली जरूरत है कि सरकार अपने 2018 के भू कानून को तत्काल वापस ले। उत्तराखंड की युवा शक्ति इनकी मुंह जबानी लफ्फाजी को बर्दाश्त नहीं कर सकती। गांधी पार्क से निकलकर सांस्कृतिक यात्रा पहाड़ी गीतों और भू कानून को लेकर नारेबाजी करते हुए शहीद स्मारक पहुंची। यहां काकोरी कांड में शहीद हुए महान क्रांतिकारी शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला और राजेंद्र दास को श्रद्धांजलि के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
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