Dehradun News: प्राचीन पौधों का अनोखा संसार है दून का क्रिप्टोगैमिक गार्डन
देहरादून,(ब्यूरो): जब हम गार्डन की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में फूलों और हरे-भरे पेड़-पौधों से सजे बाग-बगीचे की तस्वीर उभरती है। लेकिन, आज हम जिस गार्डन की बात कर रहे हैं, वहां आपको एक भी फूल नहीं मिलेगा। फिर भी ये गार्डन खूबसूरती और फायदों के मामले में किसी से कम नहीं। ये गार्डन कुछ ऐसा है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं इंडिया के पहले क्रिप्टोगैमिक गार्डन की, जो देहरादून के देओबान में स्थित है। यह गार्डन 2,700 मीटर की ऊंचाई पर, करीब 3 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसे घने देवदार और ओक के जंगलों ने घेरा हुआ है।
क्या है क्रिप्टोगैमिक गार्डन
क्रिप्टोगैमिक गार्डन एक ऐसा गार्डन है जहां बिना बीज और फूल के पौधे पाए जाते हैं। क्रिप्टोगैमिक एक ग्रीक वर्ड है, जिसका मतलब होता है छुपा हुआ प्रजनन। इनमें एल्गी, मॉस, लिवरवाटर्स, लाइकेंस और फर्न आते हैैं। इस गार्डन की शुरुआत 2021 में हुई थी, तब यहां 69 क्रिप्टोगैमिक प्रजातियां थीं, जो अब बढक़र 123 हो गई हैं। इन पौधों का उपयोग दवाइयों, मसालों, परफ्यूम जैसी चीजों में होता है। इस गार्डन की देख रेख कर रहे संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि क्रिप्टोगैम पौधे पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी होते हैं। ये पौधे जीवन को बनाए रखने में मदद करते हैं, मिट्टी का निर्माण करते हैं, कटाव को रोकते हैं साथ ही एयर क्वालिटी को मापने में भी सहायक होते हैं।
इस गार्डन का मेन उद्देश्य लोगों को प्राचीन हिमालयी वनस्पतियों के बारे में जागरूक करना और उनकी डाइवर्सिटी को दर्शाना है। संजीव चतुर्वेदी, बताते हैं कि इन प्राचीन पौधों को बढऩे के लिए पॉल्युशन फ्री और नमी वाले एनवायरनमेंट की जरूरत होती है। देओबान ऐसा प्लेस है, जो पॉल्युशन फ्री होने के साथ- साथ देवदार और ओक के सुंदर जंगलों से भरा हुआ है, यही कारण है की इस जगह को क्रिप्टोगैमिक गार्डन के लिए चुना गया और साल 2021 में इसे तैयार किया गया। कई प्रजाति के क्रिप्टोगैम्स
लाइकेन्स
इस समय गार्डन में लाइकेन्स की 21 प्रजातियां मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल खाने, दवाई, परफ्यूम, सनस्क्रीन और मसालों में किया जाता है। ये पौधे मिट्टी की क्वालिटी को इंप्रूव करने में मदद करते हैं और चट्टानों की उम्र पता लगाने में मदद करते हैं। हैदराबादी बिरयानी का जायका बढ़ाने के लिए भी लाइकेन्स का खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
शैवाल (एल्गी)
शैवाल पानी में उगने वाले पौधे होते हैं, जो ताजे पानी और समुद्री एनवायरनमेंट में पाए जाते हैं। ये विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं और कई देशों में खाद्य सामग्री के रूप में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। शैवाल का इस्तेमाल लिक्विड फर्टिलाइजर के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि ये मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को ठीक करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, कई शैवाल प्रजातियों का उपयोग दवाओं में भी होता है।
इनमें मॉस और लिवरवाटर्स शामिल होते हैं। इस समय गार्डन में 44 मॉस और 10 लिवरवाटर्स की प्रजातियां मौजूद हैं। ये सबसे सरल स्थलीय पौधे होते हैं, जो मिट्टी को बांधने और एयर पॉल्युशन की निगरानी में मदद करते हैं।
फर्न
गार्डन में मौजूद 18 तरह के फर्न अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। ये पौधे मिट्टी की नमी को बनाए रखने और भारी धातुओं को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं। फर्न के हरे पत्ते और विविध रूप प्राचीन समय के इन पौधों को खास बनाते हैं। ये गैर फूल वाले पौधे होते हैं, जो गहरे छायादार जंगलों से लेकर चट्टानी पर्वतीय इलाकों तक कई तरह के एनवायरमेंट में पनपते हैं। इन्हीं में से एक पहाड़ी सब्जी है लिंगुड़ा, जो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में आसानी से मिलती है।
क्रिप्टोगैम का महत्व
हालांकि हमारी रोजमर्रा की जरूरतें ज्यादातर फूलों वाले पौधों से पूरी होती हैं, लेकिन क्रिप्टोगैम्स का महत्व भी कम नहीं है। संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि क्रिप्टोगैम्स धरती के हर तरह के इकोसिस्टम की नींव होते हैं और बायोडाइवर्सिटी का अहम हिस्सा हैं। ये बड़े पौधों, कीड़ों और जानवरों की ग्रोथ के लिए बेहतर एनवायरमेंट बनाते हैं। इसके अलावा, ये पौधे क्लाइमेट को कंट्रोल करने, एनवायरमेंट की निगरानी करने, पानी को साफ करने में भी भूमिका निभाते हैं। इस गार्डन का उद्देश्य इन प्राचीन पौधों को संरक्षित करना और उनके महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना है।