निगम फिर सो गया शायद
- 20 से 25 जून तक मानसून के दून पहुंचने का है पूर्वानुमान
- शहर का ड्रेनेज सिस्टम नहीं दुरुस्त, नालों की सफाई ठप
तीन करोड़ खर्च, स्थिति जस की तस
राजधानी दून में नालियों की सफाई को लेकर नगर निगम बड़े-बड़े दावे करता रहा है। अलग-अलग फेज में छोटे बड़े नालों और नालियों की सफाई की बात कही गई, लेकिन ग्राउंड रियलिटी जीरो है। नगर निगम हर साल करीब तीन करोड़ रुपये खर्च करता है, इसके बावजूद स्थिति में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। नगर निगम की हर 500 मीटर में सफाई कर्मचारियों को तैनात करने की योजना भी फेल साबित हो रही है।
बारिश में हालात होंगे और खराब
शहर में 100 वार्ड हैं। यहां सैकड़ों छोटी-बड़ी नालियां बहती हैं। कहीं पक्के तो कहीं कच्चे नाले हैं। वीआईपी इलाकों को छोड़कर बाकी जगहों पर नालियों की नियमित सफाई नहीं होती है। सभी वार्डों में बजबजाती नालियां नजर आती हैं। इससे बारिश के दौरान पानी की निकासी कैसे होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बारिश में नाले चोक होने पर एक्सीडेंट का खतरा रहता है। जरा भी ध्यान हटा तो सीधे नाले में चले जाएंगे। बीते कुछ वर्षों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिससे नाले में बहने से किसी व्यक्ति या बच्चे की मौत हो गई हो। इसके बावजूद नगर निगम नालियों की नियमित सफाई नहीं करता, जिसका खामियाजा आखिरकार पब्लिक को भुगतना पड़ता है।
स्मार्ट सिटी की नालियों के डिजाइन फेल
स्मार्ट सिटी के तहत शहर की कई प्रमुख सड़कों के किनारे नालियों का निर्माण किया जा रहा है। इन नालियों पर नगर निगम ने सवाल खड़े किए हैं। नालियों के डिजाइन में खामी बताते हुए कई बार निगम स्मार्ट सिटी कंपनी से इसे दुरुस्त कराने की बात कर चुका है। हालांकि, इसका संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। वर्षाकाल सिर पर है और नालियों के निर्माण में सड़कों के पानी की निकासी की कोई गुंजाइश नहीं है। अब आने वाले दिनों में शहर के मुख्य मार्गों पर जलभराव से कैसे निपटा जाएगा, कहा नहीं जा सकता।
स्मार्ट सिटी द्वारा ईसी रोड, राजपुर रोड, सुभाष रोड, चकराता रोड, घंटाघर क्षेत्र में नालियों का निर्माण किया जा रहा है। नगर निगम का आरोप है कि सड़क किनारे बनाई जा रही नालियां सड़क से अधिक ऊंचाई पर हैं और ऊपर से स्लैब डालकर पूरी तरह ढक दी गई हैं। ऐसे में वर्षा जल की निकासी संभव नहीं है। बारिश का पानी सड़कों पर जमा होने की आशंका है। पब्लिक के साथ धोखा कर रहा निगम
नालियों की नियमित सफाई की जानी चाहिए। नगर निगम करोड़ों रुपये खर्च कर सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है, जो उचित नहीं है। यह पब्लिक के साथ धोखा है।
अर्जुन सिंह रावत, सोशल एक्टिविस्ट खुले नाले बरसात में मौत का कारण बन रहे हैं। कई बार पूर्व में नालों के तेज बहाव में बच्चों के बहने की घटनाएं हुई हैं, इसके बावजूद नगर निगम बेपरवाह बना हुआ है।
रेनू नेगी, गृहणी
सफाई के नाम पर पब्लिक को लूटा जा रहा है। टैक्स वसूली करके निगम लोगों से मोटा पैसा वसूलता है, लेकिन उसके अनुरूप पब्लिक को सुविधाएं नहीं दी जाती है।
दीपक गोयल, रिटायर्ड इंजीनियर
विकास भट्ट, सोशल वर्कर 12 लाख के लगभग है दून की आबादी
280 के करीब है ड्रेनेज नालियां
55 छोटे-बड़े नाले हैं दून में
18 बड़े नाले रिस्पना, बिंदाल से जुड़े
40 लोग नाला गैंग में
100 वार्ड हैं दून नगर निगम में
500 मीटर के दायरे में कर्मचारी व्यवस्था फेल
03 करोड़ हर साल होता है नालियों की सफाई पर खर्च
नालियों के सफाई का काम शुरू किया जा रहा है। बरसात से पहले सभी नालियों की सफाई पूरी हो जाएगी। नालियों के निर्माण में खामियां हैं, इस संबंध में कई बार स्मार्ट सिटी को अवगत कराया जा चुका है। वर्षा जल निकासी को व्यवहारिक तरीके से नालियों का निर्माण होना चाहिए था।
मनुज गोयल, नगर आयुक्त