दून के बहुउद्देशीय लखवाड़ जल विद्युत प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के लिए महत्वपूर्ण लखवाड़ प्रोजेक्ट्स में अब नाइट में भी निर्माण कार्य होगा। सरकार इस परियोजना का निर्माण जल्द से जल्द करना चाहती है।

-राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में दी गई नाइट वर्क को हरी झंडी
-जमरानी बांध को वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस संबंधी मामला बोर्ड की विशेषज्ञ समिति को सौंपा गया

देहरादून (ब्यूरो): केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में परियोजना के निर्माण से संबंधित उस शर्त को हटाने की स्वीकृति दे दी गई, जिसमें केवल दिन में ही कार्य की अनुमति थी। समिति ने अब यमुना नदी पर निर्माणाधीन 300 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना में 24 घंटे (दिन-रात) कार्य करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। बैठक में शामिल हुए राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य सचिव डा। समीर सिन्हा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि महत्वाकांक्षी जमरानी बांध परियोजना की वन्यजीव स्वीकृति (वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस) से जुड़े विषय को समिति ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की विशेषज्ञ समिति को विचार के लिए सौंप दिया है।

दिन ही कार्य करने की शर्त हटाई
राष्ट्रीय जल विद्युत परियोजनाओं में शामिल लखवाड़ परियोजना में उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली शामिल हैं। सरकार चाहती है कि देहरादून जिले में निर्माणाधीन इस परियोजना का जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए। पूर्व में इस परियोजना में यह शर्त रखी गई थी कि कार्य केवल दिन में ही होगा। कार्य तेजी से हो, इसके लिए सरकार की ओर से यह शर्त हटाने और 24 घंटे कार्य की अनुमति देने का केंद्र से आग्रह किया गया। इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक में विमर्श के बाद स्वीकृति दे दी गई।

जमरानी डैम को लेकर जल्द रिपोर्ट देगी विशेषज्ञ समिति
इसके अलावा नैनीताल जिले में प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना के लिए वन्यजीव स्वीकृति का मामला भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के पास विचाराधीन है। बैठक में इस पर भी चर्चा हुई। अब बोर्ड की विशेषज्ञ समिति को यह मामला सौंपते हुए उसे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

खनन को लेकर यूपी संग बैठक जल्द
राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य सचिव डा। सिन्हा के अनुसार बैठक में राजाजी टाइगर रिजर्व की 10 किमी। की परिधि में खनन के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। पूर्व में इस क्षेत्र में खनन को लेकर एकीकृत कार्ययोजना बनी थी, लेकिन उसमें इस रिजर्व से लगे उत्तर प्रदेश के हिस्से को शामिल नहीं किया गया था। इस पर यूपी से रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन उसने अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है। डा। सिन्हा के अनुसार केंद्र सरकार इस विषय पर जल्द ही दोनों राज्यों की बैठक बुलाएगा। इस पर बैठक में सहमति बनी। राजाजी टाइगर रिजर्व की दस किमी। रेडियस में खनन की अनुमति से जुड़े मामले को पर जल्द ही उत्तराखंड और यूपी की बैठक होगी।

Posted By: Inextlive