स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अस्पतालों में शामिल गांधी शताब्दी अस्पताल. इस हॉस्पिटल को जिला अस्पताल कोरोनेशन का पार्ट-टू भी कहा जाता है. लेकिन इतने बड़े अस्पताल की मानो कोई देख-रेख करने वाला नहीं. बेसमेंट पर जलभराव से डेंगू का खतरा रूफ सीलिंग व वॉल टाइल्स का उखड़ जाना ऐसे कई उदाहरण हैं. जो अस्पताल प्रशासन पर सवालिया निशान उठाते हैं. लेकिन सीएमओ का कहना है कि कारणवश जो भी दिक्कतें होंगी उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएंगी. वहीं सीएमएस का कहना है कि अस्पताल में रिनोवेशन का काम चल रहा है. जल्द सब कुछ ठीक कर दिया जाएगा।


- बेसमेंट में बारिश का पानी जमा, बढ़ सकता है डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा


- वॉश रूम में थूका जा रहा गुटखा, अस्पताल प्रशासन इसको लेकर बेखबर

देहरादून, 19 जुलाई (ब्यूरो)। दून अस्पताल मेडिकल कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया, उसके बाद कोरोनेशन व गांधी शताब्दी को वर्ष 2019 में एक साथ मिलाते हुए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का दर्जा दिया गया। इसके बाद गांधी शताब्दी अस्पताल को कोरोनेशन का पार्ट-टू कहा गया। उसके बाद गांधी शताब्दी अस्पताल में लगातार अपडेट्स होते रहे। मरीजों के लिए कई फैसिलिटीज उपलब्ध कराई गई। जिसमें आई सर्जरी, महिला विंग, स्किन और ब्लड बैंक जैसी सुविधाएं मुहैया कराई गई। लेकिन, अब इस अस्पताल में बदहाली नजर आ रही है। वॉश रूम में तंबाकू की पीक आसानी से देखी जा सकती है। फायर सेफ्टी के नाम पर फायर सिलेंडर की वर्ष 2019 से रिफिलिंग तक नहीं कराई जा सकी है। बेसमेंट पर बारिश का पानी रुका हुआ है। जिससे डेंगू के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है।::अस्पताल में ये नजर आया::


-बड़ी बिल्डिंग की दीवारों पर नमी से निकल रही सीमेंट की पपड़ी।-पानी के पानी वाले रूम पर नजर आया ताला।-फायर सिलेंडर की रिफिलिंग तक नहीं।-बेसमेंट पर बरसात का पानी, डेंगू का खतरा।-ग्राउंड फ्लोर पर रूफ सिलिंग तक नहीं।-शो केस लिए फ्लावर पॉट्स में सूखे प्लांट्स।-दो लिफ्ट्स में से केवल एक संचालित।-सिटिंग बैंच पर सुखाए जा रहे बरसाती।डेंगू के खतरे से नहीं किया जा सकता इंकारगांधी शताब्दी अस्पताल के बेसमेंट में कहने के लिए पार्किंग की व्यवस्था है। लेकिन, यहां बरसात का पानी नजर आ रहा है। गंदगी का ये आलम है कि कोई संक्रामक बीमारी न हो, ब्लीचिंग पाउडर डाला गया है। सीएमएस का कहना है कि अस्पताल का रिनोवेशन चल रहा है। कुछ रॉ मैटेरियल बेसमेंट में रखा गया। काम पूरा होने के बाद इसको हटा दिया जाएगा।फायर सिलिंडर की रिफिलिंग तक नहींइतना बड़ा अस्पताल होने के कारण फायर सेफ्टी के लिए दीवारों पर स्थापित किए गए फायर सिलिंडर्स की वर्ष 2019 तक से रिफिलिंग नहीं की गई। सीएमएस का कहना है कि वे इसको चेक करवाएंगे।------------::वर्जन::अस्पताल में रेनोवेशन का काम चल रहा है। जल्द ही बेसमेंट से स्टोर किए गए मैटेरियल को हटा दिया जाएगा। वहीं, जरूरत पडऩे पर एक्स्ट्रा लिफ्ट भी संचालित की जाती है। फायर सिलिंडर रिफिलिंग पर कहां पर छूट गया, चेक किया जाएगा।-डा। शिखा जंगपांगी, सीएमएस।

Posted By: Inextlive