राजधानी दून में जिधर भी देखो उधर बिजली के खम्भे तारों के गुच्छों से भरे पड़े हैं. ये तारें केवल बिजली की नहीं बल्कि कई कंपनियों के टेलीफोन फाइबर व इंटरनेट तारें भी हैं. क


देहरादून,(ब्यूरो): राजधानी दून में जिधर भी देखो उधर बिजली के खम्भे तारों के गुच्छों से भरे पड़े हैं। ये तारें केवल बिजली की नहीं बल्कि कई कंपनियों के टेलीफोन, फाइबर व इंटरनेट तारें भी हैं। कई बार इन तारों की वजह से दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, इसके बाद भी जिम्मेदार अफसरों की तंद्रा नहीं टूट पा रही है। कहीं सड़कों पर तार झूल रहे हैं, तो कहीं सड़क पर बिखरी हैं। अलबत्ता स्मार्ट सिटी के तहत चकराता रोड, राजपुर रोड व ईसी रोड में दो किमी। की रेडियस में वायर अंडरग्राउंड होने से पब्लिक को राहत मिली है, लेकिन अभी भी शहर की तमाम सड़कों पर तारों का जाल लोगों के लिए परेशानियों का सबब बनी हुई है। सिटी की खूबसूरती पर दाग


यह तो ठीक है, लेकिन जिस काम के लिए मुहिम शुरू की गई वह पर्पज आज तक पूरा नहीं हुआ। लिहाजा आज भी बड़ी संख्या मे खम्भों पर लटके तारों के जाल बिछे हुए हैं, जो न केवल दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे हैं, बल्कि शहर की सुंदरता पर भी दाग लगा रहे हैं। कहने को तो दून राजधानी है, लेकिन जिस तरह से शहर में तारों का कब्जा है उसने ऊर्जा विभाग के साथ ही पुलिस-प्रशासन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

हर बिजली पोल पर जाल बिजली के खंभों पर न केवल बिजली के तार गुजर रहे हैं, बल्कि कई केबल गुजर रही हैं। टेलीफोन के तार से लेकर फाइबर की वायर, टीवी केबल नेटवर्क की केबल, बीएसएनल समेत कई कंपनियों के टेलीफोन और वाईफाई नेटवर्क के तारें गुजर रही हैं। पूरे शहर में खंभे तारों से भरे पड़े हैं, जिनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। कागजी बना अभियानशहर में बिजली समेत खंभों पर लटक रही विभिन्न प्रकार की तारों से हो रही दुर्घटनाओं के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन ने ऊर्जा निगम के साथ अभियान चलाया। अभियान के तहत बिजली के खंभों से झूल रही तारों को व्यवस्था ही नहीं किया जाना था, बल्कि खंभों को तारों से हटाया जाना था। जोर-शोर से चले अभियान से तब लग रहा था कि जल्दी तारों से पब्लिक को मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन दो साल के लंबे अंतराल के बाद भी एक भी खंभे से तार नहीं हटी। इक्का-दुक्का खंभों से लटक रही तारों को जरूर ठीक किया गया है। पूरे अभियान की अब तक प्रोग्रेस यही है। 500 रुपये प्रति पोल तय है चार्ज

बिजली के खम्भे पर से केबल ले जाने के लिए संबंधित फर्मों और कंपनियों को 500 रुपये प्रति खम्भे के हिसाब से ऊर्जा निगम को चार्ज करना था, लेकिन यूपीसीएल के पास अभी तक इस मद में कितना पैसा आया इसकी कोई जानकारी नहीं है। बहरहाल अभियान पैसा वसूली के लिए नहीं, बल्कि तारों का जाल हटाकर पब्लिक को राहत पहुंचाना था, जो काम आज तक नहीं हुआ। अंडरग्राउंड केबलिंग बड़ी राहत घंटाघर से चकराता रोड, राजपुर रोड और ईसी रोड में दो किमी। की रेडियस में स्मार्ट सिटी की ओर से बिजली के पोल अंडरग्राउंड किए गए हैं। यहां व्यवस्था थोड़ी ठीक हो गई, लेकिन दूसरी जगहों पर अभी भी बुरा हाल है। ऊर्जा निगम के अफसरों ने बताया कि शहर में करीब 1000 करोड़ से शहर की मेन सड़कों से पोल अंडर ग्राउंड करने का काम शुरू किया गया है, जिसमें 500 किमी। अंडर ग्राउंड केबिलिंग की जानी है। इससे शहर को काफी राहत मिलेगी। 1. छह नंबर पुलिया में चौराहे पर लगा बिजली पोल तारों के गुच्छे से भरा पड़ा है। इसके पास ही रेड लाइट भी है। पोल के तारों के गुच्छे के चलते कई बार ट्रैफिक को आगे कुछ नजर नहीं आता है। जिससे यहां पर लगातार दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
2. रिंग पर भी एक पोल तारों से ऐसे गुच्छा पड़ा है कि मानों यह पोल अभी गिरने वाला है। कई बार लोगों की जब पोल पर नजर जाती है, तो गिरने की आशंका को देखते हुए लोग यहां पर खड़े रहने में डरते हैं। 3. कैनाल रोड पर भी तारों का ऐसा जाल लोगों का डरा रहा है। यहां पर एक-दूसरे पोल से खींचे तार छत की तरह लग रहे हैं। एक बराबर एक कई तार लटगाए गए हैं, जो हवा में एक-दूसरे पर टकराने से इनसे अक्सर चिंगारियां निकलती है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

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Posted By: Inextlive