प्रेशर हॉर्न मॉडिफाइड और रेट्रो साइलेंसर लगे वाहन कम से कम दून शहर के लिए नई बात नहीं है. जब भी शिकायत मिलती हैं या फिर निर्देश होते हैं. पुलिस की ओर से इनके खिलाफ अभियान चलता है.


देहरादून, (ब्यूरो): प्रेशर हॉर्न, मॉडिफाइड और रेट्रो साइलेंसर लगे वाहन कम से कम दून शहर के लिए नई बात नहीं है। जब भी शिकायत मिलती हैं या फिर निर्देश होते हैं। पुलिस की ओर से इनके खिलाफ अभियान चलता है। लेकिन, अधिकतर लोगों का कहना है कि पुलिस को ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ यकीनन कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसे ही 50 परसेंट लोगों का ये भी कहना है कि पुलिस को बाकायदा, इस पर लगातार कैंपेन चलाना चाहिए, जिससे लोगों के अलावा बेजुबान जानवर परेशानियों से निजात पा सकें।ये सरासर रूल्स का वॉयलेशन


कुछ दिन पहले ही पुलिस ने दून के कई थाना क्षेत्रों में इस वाहन चालकों के खिलाफ एक दिन का अभियान चलाया। कई वाहन सीज किए, जबकि, कई वाहन चालकों के खिलाफ एमवी एक्ट में कार्रवाई की। लेकिन, देखने में आ रहा है कि इसके बावजूद ऐसे वाहन चालकों में पुलिस या फिर कानून का कोई डर-भय नहीं है। मौके मिलने पर ऐसे वाहन चालक अपनी आदतों से मजबूर हो रहे हैं। ये तब देखने को मिलता है, जब आसपास पुलिस मौजूदगी नहीं होती है। इसको लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोशल मीडिया एक्स पर पोल किया, जिसमें 50 परसेंट लोगों ने कहा कि ये पुलिस की कार्रवाई ठीक है। इसके अलावा 50 परसेंट लोगों ने कहा कि वाहन खरीदते वक्त भी ये नियम शर्त लागू कर देनी चाहिए। ऐसे ही 50 परसेंट लोगों का कहना है कि इस प्रकार के वाहनों द्वारा सरासर ट्रैफिक नियमों का वॉयलेशन किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पब्लिक पोलमॉडिफाइड, रेट्रो साइलेंसर व प्रेशर हॉर्न लगे वाहनों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई को लेकर अभियान चलाया, 597 का एमवी एक्ट में चालान किए, 136 वाहन सीज किए। पुलिस की इस कार्रवाई से कितना इत्तेफाक रखते हैं आप।ठीक है--50 परसेंट गलत है--0 परसेंट अभियान जारी रहे--50 परसेंट कुछ नहीं कहना--0 परसेंट क्या इस समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। अगर, हां तो आपके हिसाब से क्या किया जाना चाहिए। जिससे आम लोगों के साथ बेजुबान जानवरों को भी इनसे परेशानी न हो पाए।वाहन खरीदते वक्त शर्त बने--50 परसेंट डीएल कैंसिल हो--50 परसेंट अलग पुलिस टीम बने--0 परसेंट कुछ नहीं कहना--0 परसेंट क्या हकीकत में प्रेशर हॉर्न, मॉडिफाइड और रेट्रो साइलेंसर लगे वाहनों से वाकई में लोगों या फिर बेजुबान जानवरों को दिक्कत होती है। अगर होती है तो ज्यादा क्या प्रॉब्लम होती है। क्या इसको शानोशौकत, दादागिरी या ट्रैफिक वॉयलेशन से भी देखा जाना चाहिए। ये ट्रैफिक वॉयलेशन है--50 परसेंट

ये दादागिरी से कम नहीं--25 परसेंट अचानक लोगों में बनता है डर--25 परसेंट कुछ नहीं कहना--0 परसेंट मॉडिफाइड, रेट्रो साइलेंसर व प्रेशर हॉर्न लगे वाहनों के खिलाफ अक्सर पुलिस ऐसी कार्रवाई करती है, ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन, फिर भी लोग कोई परवाह किए बगैर वाहनों को मॉडिफाइड करते हैं। क्या होना चाहिए। वाहन सीज---50 परसेंट 1 चांस मिले--0 परसेंटवर्कशाप पर भी हो कार्रवाई--50 परसेंट कुछ नहीं---0 परसेंट 1 दिन चलाया अभियान, 136 वाहन सीजबीते थर्सडे को दून पुलिस ने मॉडिफाइड, रेट्रो साइलेंसर व प्रेशर हॉर्न लगे वाहनों के खिलाफ दून पुलिस ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। बताया जा रहा है कि पुलिस को इस बावत लंबे समय से शिकायत मिल रही थी। इसके बाद ही कार्रवाई की गई। पुलिस ने ट्रैफिक वॉयलेशन के उल्लंघन में 597 वाहन चालकों के खिलाफ एमवी एक्ट में कार्रवाई की और मॉडिफाइड व रेट्रो साइलेंसर लगे 136 वाहनों को किया सीज था। जबकि, प्रेशर हॉर्न में 62 वाहनों के चालान किए और 2 वाहनों को रैश ड्राइविंग में सीज किया था। ऐसे ही पुलिस ने ट्रिपल राइडिंग व एमवी एक्ट की अन्य धाराओं में 245 वाहनों के चालान किए। आयोग के हस्तक्षेप के बाद पुलिस एक्शन

बताया जा रहा है कि मानवाधिकार आयोग में कोई शिकायत दर्ज हुई। जिसके बाद मानवाधिकार ने डीजीपी को पत्र लिखा। इसके बाद ही पुलिस ने कुछ इलाकों में मॉडिफाइड, रेट्रो साइलेंसर व प्रेशन हॉर्न के खिलाफ अभियान चलाया। ये इलाके ज्यादा संवेदनशील-रायपुर-राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम रोड-मालदेवता-पटेलनगर-राजपुर-प्रेमनगर-रिंग रोड-थानो रोड

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Posted By: Inextlive