दून की सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम कमर कस ली है। हालांकि यह समस्या दून के लिए नई नहीं है लेकिन नगर निगम आमतौर पर इस मामले में खानापूर्ति ही करता रहा है। फिलहाल नगर निगम ने आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए अभियान शुरू किया है। निगम के कर्मचारी ऐसे पशुओं को गाडिय़ों में उठाकर कांजी हाउस ले जा रहे हैं। पशुओं के मालिकों से जुर्माना लेकर उन्हें छोड़ा जा रहा है। जिन पशुओं के मालिक छुड़ाने नहीं आ रहे हैं उन्हें कांजी हाउस और गौशालाओं में रखा जा रहा है।

देहरादून ब्यूरो। दून में अक्सर पशुपालक पशुओं का दूध निकालने के बाद उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। नगर आयुक्त ने ऐसे पशुओं को सड़कों से हटाने के सख्त आदेश दिये हैं। इस आदेश के बाद नगर निगम की टीम लगातार पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए अभियान चला रही है। अब तक चन्द्रबनी, बसंत बिहार, रायपुर रोड, किददू वाला पुल और सहस्रधारा रोड पर इस तरह का अभियान चलाया जा चुका है और दूसरी जगहों पर भी अभियान चलाने की तैयारियां की जा रही हैं।

अब तक 17 पशु पकड़
नगर निगम की टीम अब तक विभिन्न क्षेत्रों से 17 पशुओं को पकड़क कांजी हाउस ले जा चुकी है। इनमें 8 पशुओं को चंदबनी और वसंत विहार क्षेत्र से और 9 पशुओं को रायपुर रोड और सहस्रधारा रोड से पकड़ा गये। इनमें 14 पशुओं के मालिकों ने जुर्माना देकर अपने पशु छुड़वा लिये हैं, जबकि 3 पशु अब भी कांजी हाउस में हैं।

37500 जुर्माना और चेतावनी
इन पशुओं को छुड़ाने के ऐवज में उनके मालिकों से जुर्माने के रूप में 37,500 रुपये वसूल किये गये हैं। इसके साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी गई है कि पशुओं का सड़कों पर न छोड़ें। नगर निगम ने सभी पशुपालकों का चेतावनी दी है कि वे अपने पशुओं को पशुपालन विभाग में रजिस्टर्ड करके उनके कानों में छल्ले जरूर लगावाएं। जिन पशुओं के कानों में छल्ले नहीं होंगे, उन्हें पकड़े जाने की स्थिति में छोड़ा नहीं जाएगा। उल्लेखनीय है कि गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 के अनुसार पशुओं को पशुपालन विभाग से रजिस्टर्ड न करवाना और उन्हें सड़क पर खुला छोडऩा दंडनीय है।

Posted By: Inextlive