स्कूलों के रोल मॉडल बनने पर हुआ मंथन
- एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के वार्षिक अधिवेशन में कई राज्यों के 100 से अधिक प्रधानाचार्यों ने लिया भाग
देहरादून: स्कूल लेवल पर प्रिंसिपल की भूमिका बेहद महत्वपूर्णं होती है। प्रिंसिपल की जिम्मेदारी होती है कि वह टीचर्स व स्टूडेंट्स के साथ समन्वय बनाकर उनकी समस्याओं को दूर करे। 100 से ज्यादा स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने किया प्रतिभागऐसे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। मौका था एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के स्कूलों के वार्षिक अधिवेशन का। इस दौरान उत्तराखंड समेत यूपी, पंजाब, दिल्ली के एसजीआरआर स्कूलों के 100 से अधिक स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने भाग लिया। इस दौरान प्रधानाचार्यों का एक नया विजन देखने को मिला। एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के तहत संचालित एसजीआरआर स्कूलों की वार्षिक प्रधानाचार्य अधिवेशन का ट्यूजडे को आयोजन किया गया।
इन्दिरेश अस्पताल के ऑडिटोरियम में प्रधानाचार्यों की भूमिका एवं उत्तरदायित्व विषय पर आधारित कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर चीफ गेस्ट सीबीएसई के रीजनल डायरेक्टर डॉ.रणवीर सिंह ने किया। उन्होंने कहा, स्कूलों में शिक्षा का ऐसा मॉडल तैयार किया जाना चाहिए कि कोचिंग सेंटरों में जाकर बच्चे को कोचिंग का सहारा न लेना पड़े। एसजीआरआर एजुकेशन मिशन के उपाध्यक्ष डॉ। आरपी ध्यानी ने कहा मिशन के तहत संचालित स्कूलों का मॉडल प्रधानाचार्यों के अनुकूल है। वीणा रावत, आजीवन सदस्य, एसजीआरआर एजुकेशन मिशन ने कहा कि मिशन के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज कुशल प्रशासक के रूप में हम सभी के प्रेरणास्रोत हैं। इस दौरान कई स्कूलों के प्रिंसिपल शामिल रहे।