एक समय था जब दून हरा भरा दिखता था लेकिन कुछ समय से धीरे धीरे शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है। जिससे यहां की ग्रीनरी और आबोहवा भी प्रभावित हो रही है। आमतौर पर जो पेड़ पहले सड़क किनारे देखे जाते थे अब वो लोगों किए गमलों में शिफ्ट कर गए हैं। हम बात कर रहे हैं बोन्साई की जो बड़े पेड़ों का बौना रूप होता है।

देहरादून (ब्यूरो) नर्सरी कारोबारियों के अनुसार शहर में बोन्साई का चलन बढ़ता जा रहा है। लोग बरगद, पीपल, नीम, आम, अनार जैसे पेड़ों को छोटे गमलों में उगा रहे हैं। जिन्हें ये लोग अपने घरों के ड्राइंग रूप, बालकनी, ऑफिस में सजावट के लिए यूज कर रहे हैैं। बोन्साई पेड़ का बेहद छोटा रूप होता है, जिसको ग्राफ्टिंग और नॉन ग्राफ्टिंग के जरिए गमले में प्लांट किया जाता है। बार-बार प्रूनिंग करके इसे बौना रूप दिया जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में कई साल लग जाते हैं ऐसे में अधिकतर लोग इसे नर्सरियों से ही खरीदना पसंद करते हैं।

जितने पुराने, उतने महंगे बोन्साई
नर्सरी कारोबारियों के अनुसार बोन्साई को ज्यादा समय तक जीवित रखना थोड़ा मुश्किल रहता है, यही कारण है कि यह पेड़ जितना पुराना होता है उसकी कीमत उतनी ही अधिक होती है। शुरुआत में पेड़ों की समय समय पर देखभाल करनी पड़ती है। पेड़ों के गमलों की लगातार सफाई, उनके तनों की छंटाई और पौधों की रिपॉटिंग करनी होती है। साथ ही गमले में मॉस ग्रास बिछाई जाती है, जिससे मिट्टी में नमी बने रहे।

300 रुपए से 15000 तक रेट
बोन्साई प्लांट्स को लोग अपने घरों में अंदर या बाहर, ऑफिस, स्कूल और इंस्टीट्यूशंस में सजावट के लिए रखते हैं। इस कारण इसकी डिमांड हर समय रहती है। बाजार में इन पौधों की कीमत 300 रुपये से लेकर करीब 15000 हजार रुपये तक है। इसके अलावा भी कई शौकीन लोग पौधों को घर पर ही बोन्साई बना देते हैं जिसमें अधिकतर, आम, अमरूद, बरगद, पीपल के पेड़ शामिल रहते हैं।

देखभाल करना भी है आसान

बोन्साई प्लांट्स की देखभाल भी आम पौधों की तरह की जाती है। लेकिन इनमें बड़ा रोल समय-समय पर प्रूनिंग और रिपॉटिंग का रहता है। ये दोनों ही पेड़ को शेप देने में अहम रोल निभाते हैं। इसके अलावा खाद-पानी का भी ध्यान रखना पड़ता है। अगर आप ये सब करते हैं तो बोन्साई बहुत ही खूबसूरती के साथ बड़ा होगा। छोटा शेप होने की वजह से इसे आप अपने डायनिंग रूम से लेकर बालकनी तक में रख सकते हैं।

घर पर ऐसे तैयार करें बोन्साई
नर्सरी संचालकों के अनुसार लोग घर पर भी बोन्साई प्लांट्स बना सकते हैं। इसके लिए प्लांट को एक बड़े गमले में लगाना है और प्लांट को उस हाइट तक बढऩे देना है, जिस हाइट तक आपको चाहिए। इसके बाद प्लांट को जिस शेप में ढालना है उसके अनुसार प्रूनिंग की जाती है। पेड़ों की जड़ गमले से न बंधे, इसके लिए उन्हें दो से तीन सालों में फिर से रिपॉट किया जाता है।

गमले को लेकर रखा जाता है विशेष ध्यान
नर्सरी कारोबारियों के मुताबिक बोन्साई प्लांट तैयार करने के लिए मिट्टी में रेत मिलाई जाती है। जिससे पानी आसानी से बाहर निकल जाए। वहीं, टाइम टू टाइम इसमें खाद को बराबर मात्रा में डालना चाहिए। जिससे पौधे की वृद्धि सही तरीके से हो। लेकिन इनके गमले को लेकर विशेष ध्यान रखा जाता है। ये पौधे गोलाकार या अंडाकार के गमलों में अच्छे से सरवाइव कर पाते है।

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Posted By: Inextlive