Dehradun : हिमालय का नाम दिमाग में आते ही सबसे पहले बर्फ से ढकी चोटियों की इमेज ही नजर आती हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा हाल ही की गई स्टडी में हिमालय से जुड़ी कई नई बातें सामने आई हैं. इनमें सबसे अहम यह है कि हर साल 20 गीगा टन की दर से हिमालय का बर्फ पिघल रहा है. यानी वक्त रहते अगर नहीं चेता गया तो वह दिन दूर नहीं जब हिमालय की चोटियां सिर्फ किताबों में रह जाएंगी.


40 हजार वर्ग किलोमीटर में हिमालयइंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रो। अनिल कुलकर्णी ने आई-नेक्स्ट से एक्सक्लुसिव बातचीत में बताया कि ताजा स्टडी में हिमालय को लेकर कई नई बातें सामने आई हैं। इनमें सबसे अहम है हिमालय की लंबाई। स्टडी के मुताबिक अफगानिस्तान से लेकर हिमाचल प्रदेश तक हिमालय 40 हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। खास बात यह है कि अपनी विशालता की माफिक इसके गर्भ में दो हजार गीगा टन बर्फ समाया हुआ है। उन्होंने बताया कि हिमालय को लेकर हालांकि लगातार रिसर्च जारी है, लेकिन ताजा रिसर्च वाकई चौंकाने वाला है।घट रही बर्फ, पिघल रहा गर्व


भारत ही नहीं दुनिया का गर्व हिमालय अब संकट में है। इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के रिसर्च के मुताबिक हिमालय की गर्त में दो हजार गीगा टन बर्फ तेजी से पिघल रहा है। इसमें हर साल 20 गीगा टन की दर से कमी आ रही है। अगर इंसानों की ओर से उत्सर्जित की जा रही कार्बन-डाई-ऑक्साइड पर काबू न पाया गया तो यह दर 20 से बढ़कर 30 गीगा टन प्रतिवर्ष तक पहुंच जाएगी। यानी हिमालय का गर्व यह बर्फ आगामी 100 से 150 सालों में बिल्कुल खत्म हो जाएगा। हालांकि बर्फ में बेतहाशा बढ़ोत्तरी भी एक अपवाद के तौर पर कही जा सकती है।

ब्लैक कार्बन का हमलाहिमालय पर अभी तक ग्लोबल वार्मिंग का असर सामने आया था। कार्बन डाई ऑक्साइड भी एक पहलू रहा है, लेकिन ताजा स्टडी में यह बात सामने आई है कि अब यहां ब्लैक कार्बन सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। दरअसल जंगलों में लगी आग के बाद पैदा होने वाला यह ब्लैक कार्बन से सबसे अहम कारक माना जाने लगा है। 2009 में जंगलों में आग के मामले बेहतहाशा बढ़ गए थे, इसकी वजह से उस साल हिमालय के बर्फ के रिफ्लेक्शन में 30 से 40 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई थी। साल दर साल बढ़ रहे फॉरेस्ट फायर के मामलों ने हिमालय पर ब्लैक कार्बन का खतरा बढ़ा दिया है।

Posted By: Inextlive