प्रदेश के सबसे बड़े दून हॉस्पिटल में इन दिनों कूड़े के ढेर ऐसे लगे हैैं मानो हॉस्पिटल कैंपस डम्पिंग जोन बना हो. जानकारी ली तो पता चला यहां से पिछले 5 दिन से कूड़ा ही नहीं उठा है.


देहरादून, ब्यूरो: प्रदेश के सबसे बड़े दून हॉस्पिटल में इन दिनों कूड़े के ढेर ऐसे लगे हैैं मानो हॉस्पिटल कैंपस डम्पिंग जोन बना हो। जानकारी ली तो पता चला यहां से पिछले 5 दिन से कूड़ा ही नहीं उठा है। बताया जा रहा है कि कूड़े में मेडिकल वेस्ट डाला जा रहा है, जिसके कारण नगर निगम ने यहां का कूड़ा उठाने से इनकार कर दिया है। वहीं हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार कूड़े से मेडिकल वेस्ट को अलग कर लिया गया है।ये है मामला


बीते दिन सामान्य कूड़े में मेडिकल वेस्ट डंप करने का आरोप लगाते हुए निगम के सुपरवाइजर ने अधिकारियों से शिकायत की। जिसके बाद अधिकारियों ने हॉस्पिटल प्रबंधन को स्पष्ट कहा कि यदि बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य कूड़े के साथ मिक्स किया, तो कूड़ा नहीं उठाया जाएगा। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जब रविवार को मौका का मुआयना किया तो यहां काली पॉलीथिन (सामान्य कूड़े के बैग में) बायो मेडिकल वेस्ट मिला। टीम ने कई पॉलीथिन को खोलकर भी देखा तो यहां काली पॉलीथिन के अंदर, नीली व लाल पॉलीथिन भी मिली। हॉस्पिटल प्रंबधन का दावा

हॉस्पिटल में होने वाले कूड़े को रोजाना नगर निगम की टीम उठाती है। कई दिन से जब हॉस्पिटल परिसर से कूड़ा नहीं उठा तो दून अस्पताल प्रबंधन की ओर से नगर निगम में शिकायत की गई। पता चला कि सुपरवाइजर ने कूड़ा उठान से मना कर दिया है। उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल ने बताया कि सुपरवाइजर की ओर से लिखित में शिकायत दी गई है कि दून अस्पताल के सामान्य कूड़े में बायो मेडिकल वेस्ट मिला रहता है, जिससे कूड़ा उठान कर्मियों के संक्रमण और बीमारी की चपेट में आने की आशंका है। ऐसे में उन्होंने जब तक बायो मेडिकल कूड़ा अलग निस्तारित नहीं किया जाता, सामान्य कूड़ा उठाने से भी इनकार कर दिया है। वहीं दूसरी ओर दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रबंधक के अनुसार लैब स्टाफ और महिला हॉस्पिटल के कर्मचारियों की गलती के कारण ये कूड़ा मिक्स हुआ है। अब इसे अलग कर लिया गया है। किस रंग की पॉलीथिन में कैसा कूड़ालाल पॉलीथिनलाल रंग की पॉलीथिन अस्पताल में उपयोग किए जाने वाले खतरनाक सामान को फेंकने के लिए होता है। इसमें ब्लड बैग्स, यूरिन बैग्स, ग्लव्स, आईवी सेट, सिरिंज, और अन्य इंफेक्टेड आइटम डाले जाते हैं।पीली पॉलीथिन

पीले पॉलीथिन का इस्तेमाल मानव शरीर से संबंधित चीजों को फेंकने के लिए किया जाता है। इसमें ह्यूमन टिशूज, प्लेसेंटा बच्चे की नाल, पट्टियां, और खून से सनी रूई डालते हैं।
काली पॉलीथिन काली पॉलीथिन में बायोमेडिकल और हानिकारक कचरे को डाला जाता है। इसमें बैटरियां, बेबी डायपर, सेनेटरी पैड्स, एक्सपायर दवाइयां, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और केमिकल्स जैसी चीजें होती हैं। नीली पॉलीथिननीले रंग की पॉलीथिन सूखा कचरा रखने के लिए यूज होती है। इसमें प्लास्टिक की चीजें, मेटल, जार, प्लास्टिक की बोतलें, चिप्स के पैकेट और दूध के खाली पैकेट डाल सकते हैं।क्या कहते हैैं अफसरदून हॉस्पिटल में बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल की ओर से निजी कंपनियों से इसके लिए अनुबंध भी किया गया है। लेकिन, सामान्य कूड़े में बायोमेडिकल वेस्ट मिलाना गलत है। जब तक इसकी सुचारू व्यवस्था नहीं होती तब तक कूड़ा नहीं उठ पाएगा। :- गोपाल राम बिनवाल, उप नगर आयुक्तहमारी ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। सफाई व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है। सफाई व्यवस्था में काफी कमियां हैं। सुपरवाइजर को कड़े निर्देश दिए गए है। हर वार्ड में लॉग रजिस्टर्ड तैयार किए जा रहे है। जिसका रिकॉर्ड भी मांगा गया है। :- डॉ एनएस बिष्ट, सीएमए दून मेडिकल कॉलेज

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Posted By: Inextlive