उत्तराखंड की चारधाम यात्रा शुरू होने में अब सिर्फ एक हफ्ते का वक्त बाकी है। 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। 25 अक्टूबर को केदारनाथ और 27 अक्टूबर को बदरीनाथ के कपाट खुल जाने के बाद यात्रा में तेजी आ जाएगी। राज्य सरकार पहले ही दावा कर चुकी है कि इस वर्ष पिछले वर्ष से ज्यादा तीर्थयात्री उत्तराखंड आएंगे। यानी कि इस वर्ष पिछले वर्ष का रिकॉर्ड टूटने की पूरी उम्मीद है।

देहरादून ब्यूरो। राज्य सरकार के प्रतिनिधि अलग-अलग मंचों से इस वर्ष पिछले वर्ष से ज्यादा तीर्थयात्रियों के आने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में इतने लोगों के लिए जो व्यवस्था चारधाम यात्रा मार्ग पर होनी चाहिए वह नहीं हो रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने यात्रा की तैयारियों को लेकर राज्य सरकार के दावों की हकीकत जानने के लिए ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक का जायजा लिया तो यात्रा व्यवस्था के नाम पर जमीन पर कुछ नजर नहीं आया। जाम की समस्या ऋषिकेश से शुरू होकर यात्रा मार्ग के हर नगर और हर कस्बे में दिखाई दी।

ऋषिकेश में कई घंटे जाम
जिला प्रशासन, पुलिस और ट्रैफिक पुलिस पिछले दो महीने से ऋंिषकेश में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के कई दावे कर रही है। लेकिन वास्तव में यात्रा सीजन शुरू होने के 10 दिन पहले तक भी ऋषिकेश में जाम से निपटने की कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। संडे 9 अप्रैल को नटराज चौक से तपोवन चौक तक पहुंचने में सवा दो घंटे लग गये। फिलहाल न तो दावे के मुताबिक ऋषिकेश अब तक ट्रैफिक डायवर्ट की कोई व्यवस्था है और न ही पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की जवान उतनी संख्या में नजर नहीं आये, जितना दावा किया जा रहा है।

कचरा दूसरी बड़ी चुनौती
यात्रा मार्ग में कचरा और खासकर प्लास्टिक कचरा दूसरी बड़ी चुनौती बन सकता है। ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक यात्रा मार्ग पर सीजन शुरू होने से जगह-जगह पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल नजर आ रही हैं। आमतौर पर वाहनों पर सवार लोग पानी या कोल्ड ड्रिंक्स पीने के बाद बॉटल लापरवाही से सड़क पर फेंक देते हैं। लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिए पूरे यात्रा मार्ग पर कोई साइन बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। पूरे मार्ग में सिर्फ दो जगहों पर सड़क के किनारे डस्टबिन नजर आये। सरकारी विभागों की ओर से यात्रा मार्ग की शहरों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने के दावों के बावजूद कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। यात्रा रूट के नगर में ज्यादातर जगहों पर कचरे को आग लगाई जा रही है।

सड़कों के आधे हिस्से पर मलबा
चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए पिछले चार वर्षों से सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है। कुछ हिस्से को चौड़ा कर दिया गया है। लेकिन, इस काम के लिए पहाड़ों को बेतरतीब तरीके से काटा गया है। नतीजा यह है कि इन चौड़ी की जा चुकी सड़कों पर ज्यादातर जगहों पर सड़क का आधा हिस्सा अब भी मलबे से अटा हुआ है। कई जगहों पर लगातार पत्थर गिर रहे हैं। इससे यात्रा सीजन में एक्सीडेंट का खतरा बना हुआ है।

38 परसेंट ने माना जाम समस्या
चारधाम यात्रा मार्ग में सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर दून स्थिति एसडीसी फाउंडेशन की ओर से कराये गये एक सर्वे में 38 परसेंट लोगों ने ट्रैफिक और पार्किंग को सबसे बड़ी समस्या के रूप में चिन्हित किया है। 29 परसेंंट लोगों ने माना कि कचरा चारधाम यात्रा मार्ग पर पर सबसे बड़ी समस्या है। 26 परसेंट लोगों ने पर्यावरण को बड़ी समस्या माना। 8 परसेंट लोगों ने अन्य समस्याओं को बड़ी समस्या बताया।

Posted By: Inextlive