देहरादून शहर के बाजावाला और कौलागढ़ क्षेत्र की करीब 30 हजार आबादी जल्द सीवर नेटवर्क से जुड़ेगी। क्षेत्र के करीब 5000 से अधिक घर बाजावाला में टौंस नदी पर निर्माणाधीन 3 एमएलडी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एसटीपी से जुड़ेगें।

- बजट के अभाव में पिछले सात साल से रुका हुआ था प्रोजेक्ट
- क्षेत्र की करीब 30 हजार की आबादी को मिलेगा इसका लाभ

देहरादून, ब्यूरो: एसटीपी का निर्माण कर रहे दून डिविजन, उत्तराखंड पेयजल निगम ने प्रोजेक्ट का काम अक्टूबर 2022 तक काम पूरा करने की डेडलाइन तय की गई है। एसटीपी की लंबे समय से क्षेत्र में डिमांड थी, लेकिन बजट के अभाव में यह प्रोजेक्ट लटका हुआ था। अमृत कार्यक्रम के फेज-वन में शामिल होने के बाद काम तेजी के साथ हुआ है।

20 किमी सीवर लाइन का काम पूरा
बाजावाला एसटीपी 2014-15 में 13वें वित्त आयोग में प्रस्तावित थी, लेकिन बजट के अभाव में एसटीपी का निर्माण नहीं हो सका। 13वां वित्त आयोग समाप्त होने पर एसटीपी का निर्माण स्टॉप हो गया था, जबकि क्षेत्र में करीब 20 किमी सीवर लाइन का निर्माण 13वें वित्त आयोग में पूरा हो गया था। 14वें वित्त आयोग में एसटीपी के लिए बजट नहीं मिला। 2018-19 में इसे केंद्र सरकार के अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत योजना) में स्वीकृति मिली। टेंडरिंग के बाद 2020 में एसटीपी का कार्य पेयजल निगम को अवार्ड हुआ।

2500 स्क्वायर मीटर में निर्माण
लगभग साढ़े 5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हो रहा बाजावाला एसटीपी का निर्माण एरिया 2500 स्क्वायर मीटर है। एसटीपी का निर्माण 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है। इस एसटीपी को 2031 तक की पॉपुलेशन के लिए डिजाइन किया गया है। एसटीपी के लिए नगर निगम ने जमीन मुहैया कराई है। एसटीपी की एप्रोच रोड को लेकर एक स्थानीय परिवार का विवाद था, जिस पर विभाग का समझौता हो गया है।

5 साल तक निर्माण कंपनी करेगी मेंटेनेंस
बाजावाला एसटीपी के मेंटेनेंस के लिए करीब 1.50 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एसटीपी का निर्माण कर रही गाजियाबाद की वीआर एंड कंपनी अगले 5 साल तक एसटीपी का मेंटेनेंस करेगी। बताया जा रहा है कि इस बीच यदि एसटीपी के संचालन में कोई फॉल्ट आता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होगी।

पॉल्यूशन से बचेगा ग्राउंड वाटर
अब तक क्षेत्र में लोग घरों में सीवर टैंक में सीवर जमा करते थे। पूर्व में अधिकांश घरों में सीवर टैंक कच्चे बनाए जाते थे, जबकि कई घरों में सीमेंट से प्लास्टर करके सीवर सेफ्टी टैंक बनाए जाते थे, इन टैंकों में कई बार दरारें आ जाती थी, जिससे सीवर ग्राउंड वाटर में जाकर मिल जाता था, जिससे ग्राउंड वाटर प्रदूषित हो जाता था। जिन इलाकों में वाटर लेबल जितना ऊपर रहता है वहां ग्राउंड वाटर ज्यादा प्रदूषित होता है। लेकिन एसटीपी बनने के बाद क्षेत्र का ग्राउंट वाटर लेबल में काफी सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
बाजावाला एसटीपी को अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। दिसंबर तक योजना से जुड़े सभी घरों को सीवरेज सिस्टम से जोड़ा जाएगा। क्षेत्र की करीब 30 हजार आबादी को एसटीपी का सीधा लाभ मिलेगा।
सौरभ शर्मा, सहायक अभियंता, पेयजल निगम, देहरादून

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Posted By: Inextlive