स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर दून की शक्ल बदल दी है. बेतरतीब और आधे-अधूरे निर्माण कार्यों से परेशान शहरवासियों का अब धैर्य जवाब देने लगा है.

राज्य स्थापना दिवस पर दून डिक्लेरेशन का मसौदा किया जाएगा जारी, मंथन पर जुटे गणमान्य

देहरादून (ब्यूरो) थर्सडे को शहर के तमाम गणमान्य एकत्रित हुए। जिन्होंने स्मार्ट सिटी के नाम पर अनप्लांड डेवलपमेंट को लेकर मंथन किया। खास बात ये रही कि इसमें सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के अलावा कांग्रेस के लीडर्स के साथ तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों, गणमान्य लोगों व सोशल एक्टिविस्ट ने प्रतिभाग किया। यह भी तय हुआ कि राज्य स्थापना दिवस पर दून डिक्लेरेशन का मसौदा जारी किया जाएगा।

आखिर कब पूरे होंगे काम
संयुक्त नागरिक संगठन के बैनर तले हरिद्वार रोड स्थित एक वेडिंग प्वाइंट में शहर के तमाम गणमान्य लोग स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर जुटे। वक्ताओं का कहना था कि जिस तरह से पिछले कई वर्षों से दून सिटी में सड़कें खोदी जा रही हैं और शहरवासियों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है, वह अब बर्दाश्त करने योग्य नहीं रहा। वक्ताओं का कहना था कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जो लंबे वक्त से शहर में काम हो रहे हैं, वे कब तक पूरे होंगे, स्पष्ट नहीं। वक्ताओं का ये भी कहना था कि स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। नालियों के निर्माण से सड़कों की चौड़ाई के बजाय संकरी हो चुकी हैं। तय हुआ कि इन तमाम मुद्दों को लेकर दून डिक्लेरेशन का मसौदा तैयार कर राज्य स्थापना दिवस पर इसे सार्वजनिक किया जाएगा।

वक्ताओं के ये थे तर्क
-शहर का हो गया है बुरा हाल।
-हर तरफ जाम ही जाम
-सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे जा रहे पेड़
-प्लानिंग के तहत नहीं हो रहे काम।
-लंबे समय से जारी काम नहीं हो रहे पूरे।
-शहर को हर तरफ खोद डाला।
-सड़कें चौड़ी नहीं, हो गई हैं संकरी

हरे पेड़ों के काटे जाने पर भी मंथन
इस दौरान स्मार्ट सिटी की प्रोजेक्ट की बदहाली के साथ ही एमडीडीए की ओर से तैयार मास्टर प्लान-2041 और शहर में पेड़ों को काटे जाने पर चर्चा की गई।

कानूनी प्रक्रिया पर भी विचार
एसडीसी फांउडेशन के फाउंडर अनूप नौटियाल ने कहा कि एमडीडीए ने मास्टर प्लान-2041 बनाया है। उस पर आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। उन्होंने तमाम कमेटी का गठन कर आम लोगों को अवेयर कर लामबंद करने, ङ्क्षचतन पद यात्राएं व कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेने का सुझाव दिया। पूर्व बैंकर व सोशल एक्टिविस्ट जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा कि पूरा शहर खोदने से ट्रैफिक व्यवस्था आउट ऑफ ट्रैक हो चुकी है। मेट्रो को लेकर कई बार नेता और अफसर विदेशों को दौरा कर चुके हैं, लेकिन मेट्रो फाइलों से बाहर नहीं निकल रही है।

स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला गलत
वक्ताओं में संयुक्त नागरिक संगठन के फाउंडर सुशील त्यागी ने कहा कि अब दून को पुराने स्वरूप में लाने के साथ ही बचाने की जरूरत है। कहा, कभी दून रिटायर्ड लोगों का शहर कहा जाता था। लेकिन, अब पिछले कुछ सालों में दून की शक्ल व सूरत जुदा हो गई है। संयुक्त नागरिक संगठन के महासचिव व राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने सुझाव दिया कि एक सुझाव व शिकायत बनाकर डीएम, नगर निगम, एमडीडीए, सीएम के साथ ही शहरी विकास विभाग को मौन धरने के साथ सौंपे। कहा, दून शहर को बचाने व संवारने के लिए लोगों, सरकार व शासन को जगाने का कार्य किया जाएगा। पार्षद देवेंद्र पाल ङ्क्षसह मोंटी ने कहा कि दून को स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला ही गलत था। पुराने शहर के आसपास कहीं एक अलग से स्मार्ट सिटी बनानी चाहिए थी।

स्मार्ट सिटी की सिटी एडवाइजरी लेवल फोरम का दावा
-एसीईओ बोले, स्मार्ट सिटी के प्रस्तावित हैं 22 प्रोजेक्ट्स।
-इनमें 16 पूरे, 6 प्रोजेक्ट्स पर चल रहा है काम।
-वर्तमान में प्रोग्रेस करीब 70 परसेंट से अधिक
-गतिमान प्रोजेक्ट्स पर तेजी से चल रहा है कार्य।
-ये भी दावा, इन्वेस्टर्स समिट से पहले स्मार्ट रोड का काम होगा पूरा।

Posted By: Inextlive