लगातार गिर रहे अंडर ग्राउंड वाटर को लेकर केवल चिंता जताई जा रही है चिंतन नहीं किया जा रहा। सरकारी प्रयास फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। विभाग भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं।

- रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अब तक किए गए सरकारी प्रयास नाकाफी
- राजधानी में सीमित बिल्डिंग्स में ही है रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग की सुविधा

देहरादून (ब्यूरो): 2019 में सरकार ने सभी नई पुरानी सरकारी बिल्डिंगों और आवासों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन ताज्जुब की बात है कि आज भी 90 परसेंट विभागों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की है। कोई बजट का रोना रो रहा है, तो कोई जगह की कमी का। न अंडर ग्राउंड टैंक बनाए गए और न ही रूफ टॉप में ही काम हुआ।

अथॉरिटी बनेगी, मंथन करेगी
राज्य में प्राकृतिक जल स्रोतों के साथ ही सूख रही नदियों के संरक्षण के लिए सरकार ने अथॉरिटी के गठन की बात कही है। पहाड़ों में भी तेजी से जल स्रोत सूखते जा रहे हैं। नदियां भी धीरे-धीरे सूख रही हैैं। शासन के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही अथॉरिटी का ऐलान किया जाएगा। इस पर गहन मंथन चल रहा है। विभागों में आपसी तालमेल न होने से कई भ्रांतियां पैदा हो रही हैैं। अथॉरिटी बनने से जल संरक्षण को नया आयाम मिलेगा।

जल संरक्षण की ली शपथ
गिरते अंडर ग्राउंड वाटर लेवल को लेकर सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर जन जागरूकता का काम शुरू किया गया है। थर्सडै को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान को लेकर पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड (पिटकुल), यूजेवीएन लिमिटेड, पेयजल निगम, जल संस्थान, जलागम और वन विभाग के कर्मचारियों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया। पिटकुल मुख्यालय में एमडी पीसी ध्यानी ने कार्मिकों को अंडर ग्राउंड वाटर को लेकर कार्मिकों से डाटा साझा किया। उन्होंने जल संरक्षण की जागरुकता के लिए कार्मिकों से अपने घरों के साथ ही अपने आस-पास के लिए लोगों को भी जल संरक्षण और संवद्र्धन के लिए जागरूक करने की अपील की है।

सर्वे में लोगों ने रखी राय
बरसाती जल संग्रहण और अंडर ग्राउंड वाटर को बचाने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्सट ने फेसबुक ट््िवटर पर एक सर्वे किया, जिसमें लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी। अधिकांश लोग जल संरक्षण को लेकर सरकारी कामकाज से नाराज नजर आए। सभी ने सभी आवासीय और कॉमर्शियल बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की वकालत की है। साथ ही सरकार से इस दिशा में ठोस योजनाएं बनाने को भी खुलकर राय रखी है।

ऐसी रखी लोगों ने राय
दून में लगातार गिर रहे अंडर ग्राउंड वाटर लेवल के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं।
सरकारी सिस्टम 28
कंक्रीट के खड़े होते जंगल 22
पेड़ों का अंधाधुंध कटान 22
कृषि भूमि का घटता दायरा 28

दून सिटी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए क्या वृहद स्तर पर योजनाएं बनाई जानी चाहिए या नहीं।
हां 100

क्या रेन वाटर हार्वेस्टिंग को घरों में अनिवार्य किया जाना चाहिए।
हां 82
नहीं 9
ठोस योजना बने 9

जल संरक्षण और संवद्र्धन को लेकर सरकार की अब तक कवायद से आप कितने संतुष्ट हैं।
हां 18
नहीं 18
थोड़ा बहुत 36
इनमेें से कोई नहीं 27

एक नजर में शहर
12 लाख है दून की आबादी
100 वार्ड हैं दून में
15 हजार के लगभग हर वार्ड की आबादी
280 के करीब हैं ड्रेनेज नालियां
18 बड़े नाले हैं रिस्पना-बिंदाल से जुड़े हुए
55 छोटे-बड़े नाले हैं शहर में
1 लाख लीटर क्षमता तक के बन रहे चेकडैम
140 बिल्डंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग हुआ चार साल में

जल संवद्र्धन कार्यों पर 310 करोड़ खर्च
दून समेत पूरे राज्य में जल जीवन मिशन के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अलावा ग्रे वाटर, रिचार्ज पिट, सोक पिट, चेक डैम, कंटूर ट्रैंच बनाए जा रहे हैं, जिस पर 310 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैैं। इनमें से जल संस्थान 563 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ ही 408081 रिचार्ज पिट, पेयजल निगम 361 आरडब्ल्यूएच और 158824 रिचार्ज पिट और सिंचाई विभाग 3271 रिचार्ज पिट और चैक डैम का निर्माण कर रहा है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जिलेवार स्थिति
जिला आरडब्ल्यूएच की संख्या
देहरादून 1423
हरिद्वार 280
नैनीताल 280
पौड़ी 2
पिथौरागढ़ 182
टिहरी 54
यूएसनगर 66

इन 6 जिलों में नहीं एक भी स्कीम
उत्तरकाशी
अल्मोड़ा
बागेश्वर
चमोली
चंपावत
रुद्रप्रयाग

'जल संरक्षण को हों ठोस प्रयासÓ
सूख रहे जल भंडारण को रोकने के लिए वर्षा जल संग्रहण करना जरूरी हो गया है। इस दिशा में अभी से सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर गंभीर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। वाटर बारिंग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
बीएस नेगी

बरसात में बहने वाले नालों का पानी भूमि रिचार्जिंग के काम में लाया जाना चाहिए। नदियों में जाकर यह किसी काम नहीं आ रहा है। सरकार को इस पर बड़ी योजना बनानी चाहिए, ताकि वर्षा जल से भूमि अधिक से अधिक रिचार्ज हो सके।
महेश शर्मा

सरकार को चाहिए कि बरसात के पानी को ज्यादा से ज्यादा यूज में लिया जाए, रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आवासीय और व्यवसायिक बिल्डिंगों को के लिए जल संरक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए।
रेखा पैन्यूली

धरती पर उपलब्ध जल का 96.5 परसेंट भाग समुद्र और महासागरों में है। इस पानी का 2.5 परसेंट ही ताजा पानी है और इसका 98.8 परसेंट बर्फ और भूजल में है। इससे स्पष्ट है कि ताजे जल का एक महत्वपूर्ण भाग धरती के भूगर्भ में है।
विनोद गोयल

बारिश का पानी भी काफी कीमती है। शहरों में बढ़ती आबादी के साथ बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें खड़ी हो गई है। सड़कें भी पक्की हो गई। कच्ची जगह कम बची है, जिससे बारिश के पानी को भूमि के अंदर बहुत कम मात्रा में जा रहा है, जिसका नतीजा भविष्य में भुगतना पड़ सकता है।
मुन्नी देवी उनियाल

भविष्य में आने वाली परेशानियों को देखते हुए अभी से रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर दिया जाना चाहिए। पूरा शहर कंक्रीट के ऊपर बसने से जमीन बहुत कम रिचार्ज हो रही है, जो भविष्य में बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। इसके लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।
अतुल कुमार
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive