तेजी पकडऩे लगा आशारोड़ी आंदोलन
देहरादून ब्यूरो। आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए जिन दर्जनभर संगठनों ने आगे आने के ऐलान किया, उनमें मुख्य रूप से सिटीजन फॉर ग्रीन दून, पराशक्ति, उत्तराखंड महिला मोर्च, राज्य आंदोलनकारी संगठन, अखिल गढऋवाल सभा, उत्तराखंड महिला मोर्चा आदि प्रमुख हैं। इन संस्थाओं ने पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा के नेतृत्व के आंदोलन को आगे बढ़ाने की हामी भरी।
बर्बादी को लोगों की नजर में लाना
आंदोलन की अगुआई कर रही संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि उनका इरादा इस आंदोलन माध्यम से लोगों को ध्यान इस बर्बादी की ओर खींचना है। वे कहते हैं कि अब बर्बादी बहुत हो चुकी है अब यह बर्बादी रुकनी चाहिए। रवि चोपड़ा का कहना था कि जो साल के पेड़ काटे जा रहे हैं, उनका कोई विकल्प नहीं है। इन पेड़ों के कटने से शिवालिक की पहाडिय़ों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने युवा वर्ग के इस आंदोलन से जुडऩे पर प्रसन्नता जताई और आंदोलन को आगे ले जाने का आह्वान किया।
हर परिवार शामिल हो
उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने कहना था कि यह आंदोलन जीवन के अस्तित्व को बचाने का आंदोलन है, इसलिए हर परिवार से एक व्यक्ति को जरूर इस आंदोलन से जुडऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारी भावनाओं से जुड़ा मामला है, क्योंकि हम जंगलों को देवता मानने वाले लोग हैं। पराशक्ति ने जेना कुकरेजा ने कहा कि इस आंदोलन से ज्यादा से ज्यादा यूथ को जोडऩे का प्रयास होगा। ब्रिगेेडियर बहल ने रि प्लांटेशन की जरूरत बताई।
राज्य आंदोलनकारी जयदीप सकलानी ने कहा कि उत्तराखंड में वृक्षारोपण सिर्फ दिखावा है। उन्होंने सवाल किया कि तीन साल पहले रिस्पना के दोनों तरफ एक ही दिन में ढाई लाख पौधे रोपने का दावा किया गया था। पूरा शासन और प्रशासन सहित कई विभाग और स्कूली बच्चे इस अभियान में झोंके गये थे, लेकिन वे पेड़ अब कहां है, यह पूछने वाला भी कोई नहीं है।