108 ऑफिस के पास खड़ी 108 एम्बुलेंस 2008 के बाद से पब्लिक के लिए लाइफलाइन बनी एम्बुलेंस कई सालों से कबाड़ बनती जा रही हैं। मंत्री से लेकर अधिकारी भी यहां आकर चैकिंग कर चुके हैं। लेकिन इस विषय पर कोई भी सॉलिड कदम नहीं उठा पाए। जबकि इसके ऑक्शन से आये धन से और भी एम्बुलेंस मंगवाए जाने का प्लान था। लेकिन लापरवाही इनको कबाड़ बनाने पर आमादा है।

-कई बार अधिकारी व मंत्री भी कर चुके निरीक्षण
-बिक जाते तो दूसरे उपयोग में आती इसकी धनराशि

देहरादून, (ब्यूरो):
उत्तराखंड राज्य गठन को 22 वर्ष पूरे हो चुके हंै। दूनवासियों को उम्मीद थी कि नए राज्य में आम लोगों के सपनों को नई उड़ान मिलेगी। शिक्षा व स्वास्थ्य में भी बदलाव होगा। पब्लिक के टैक्स का सही जगह पर इस्तेमाल होगा। दून राजधानी तो बनी लेकिन, यहां कई विभाग ऐसे हैं जहां लाखों- करोड़ों सम्पत्ति को कबाड़ बनाने में तुले हैं। इसमें दून की लाइफलाइन कही जाने वाली 108 एंबुलेंस भी शामिल हैं। जो चन्दन नगर स्थित 108 ऑफिस के सामने कबाड़ बनने के लिए तैयार हैं। धन की बर्बादी को लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट एक स्टोरी सीरीज के दौरान जब मौके का मुआयना किया तो रियलिटी सामने आई।

जंग खा रही एंबुलेंस
दून के चंदरनगर स्थित 108 स्टेट हैडक्वार्टर के सामने कई सारी गाडिय़ां नजर आएंगी। यहां वर्षों से एंबुलेंस सड़ रही हैं। दरअसल, ये वह एंबुलेंस हैं, जो 2008 से 2016 तक सड़कों पर मरीजों को लेकर दौड़ती रहीं। इन एंबुलेंस ने साढ़े पांच से लेकर 6 लाख तक किलोमीटर तक का सफर तय किया। यहां ये एंबुलेंस कई वर्षों से खड़ी हैं।

कई बार ऑक्शन के लिए गई
चन्दरनगर स्थित 108 ये एंबुलेंस विभाग की ओर से इनकी नीलामी की सोची। लेकिन, सफलता नहीं मिल पाई। विभाग ने कई बार नीलामी का भी प्रयास किया। अगस्त, नवम्बर और दिसम्बर में इसके ऑक्शन के लिए प्रयास किया गया लेकिन, परिणाम फेल रहा।

ये हैं हालात
-प्रदेश भर में 108 के बेड़े में 272 गाडिय़ां शामिल।
-130 एम्बुलेंस हो चुकी हंै पुरानी, दून में 27 पुरानी एम्बुलेंस शामिल।
-27 वाहनों की कीमत 38.18 लाख रुपये।
-फिलहाल 108 का बेड़ा 274 एंबुलेंस का। जिसमें दून में 32 एंबुलेंस शामिल।
-6 लाख किलोमीटर से ज्यादा दौड़ चुके वाहन।
-जगह घेरकर खड़ी हैं ये एंबुलेंस।
-केकेएस की छोटी एंबुलेंस की संख्या 17.

नीलामी में भी नहीं निकल रहे वाहन
108 की पुरानी हो चुकी ये एंबुलेंस कई बार ऑक्शन के लिए जा चुकी हैं। लेकिन, हर बार ये वाहन ऑक्शन के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी नीलाम नहीं हो पा रही हैं। डीजी हेल्थ के अनुसार इन सभी वाहनों की नीलामी एक ही साथ होगी। लेकिन, शर्त ये होगी कि एक ही फर्म को या फिर एक टोकन पर ही इन एम्बुलेंस का खरीदा जा सकेगा।

ये है स्थिति
कुल मौजूद एम्बुलेंस- 272
दून में कुल एम्बुलेंस- 32
पुरानी गाडिय़ां- 130
प्रदेश में पुरानी हो चुके एम्बुलेंस- 130
दून में पुरानी एम्बुलेंस- 27

108 ऑफिस के सामने खड़े वाहन लगातार कबाड़ होते जा रहे हैं। अब तो इन वाहनों के बीच में झाडिय़ां भी आ गई हैं। अगर ये ऐसे ही सड़तीं रहीं तो कबाड़ हो जाएंगी। ये पब्लिक के पैसों की बर्बादी है।
राहुल, व्यापारी

सरकार को चाहिए कि इन एंबुलेंस को ऑक्शन कर इनकी जगह दूसरे वाहन खरीदें। जिससे पब्लिक को फायदा हो, साथ ही कबाड़ होने से वाहनों को बचाया जा सके।
प्रकाश, स्थानीय निवासी

विभाग नये वाहनों को लाकर पुराने वाहन को सड़ाने के लिए छोड़ देता है। जबकि, सरकार को चाहिए कि वे इन वाहनों को ऑक्शन कराकर हमारे धन को बर्बाद होने से बचा सके।
वीरू बिष्ट, व्यापारी

हमारी ओर से कई बार इन वाहनों के ऑक्शन के लिए नोटिस जारी हो चुके हैं। लेकिन, किसी ने भी इनकी बोलीे लगाने के रुचि नहीं ली है। इसके बाद भी हमारी कोशिश है कि नोटिस निकाल कर इन्हें नीलाम करायें।
डॉ। आर राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य

Posted By: Inextlive