दिल्ली कोचिंग की घटना के बाद उत्तराखंड सरकार भी अब हरकत में आ गई है. बाकायदा खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में संचालित कोचिंग सेंटरों की गहनता से जांच के निर्देश दिये हैं.

देहरादून, (ब्यूरो): दिल्ली कोचिंग की घटना के बाद उत्तराखंड सरकार भी अब हरकत में आ गई है। बाकायदा, खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में संचालित कोचिंग सेंटरों की गहनता से जांच के निर्देश दिये हैं। कहा कि कोचिंग सेंटरों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स व टीचर्स आदि के लिए की गई व्यवस्थाओं का भी स्थलीय निरीक्षण किया जाए। सीएम ने इसके लिए प्रदेश व्यापी अभियान संचालित करने के भी निर्देश चीफ सेक्रेटरी को दिए। सीएम ने कहा है कि कोचिंग सेंटरों में पार्किंग व्यवस्था व आसपास ट्रैफिक की सुगमता पर भी ध्यान दिया जाए।

बेसमेंट पर हो रियलिटी चेक
सीएम ने कहा है कि स्टट में भारी वर्षा को देखते हुए जल भराव होने की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की आपदा के तत्काल निराकरण के लिए राज्य में संचालित तमाम कोचिंग सेंटर्स व ऐसे भवन जिनके बेसमेंट में तमाम प्रकार की मानवीय गतिविधियां संचालित हो रही हैं, की तत्परता और प्राथमिकता के साथ जांच कर उनमें सुधारात्मक कार्रवाई की जाए। जिससे किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।

अब सीएस एक्शन में
सीएम के निर्देशों के क्रम में सीएस राधा रतूड़ी ने प्रदेश के सभी डीएम को राज्य में संचालित तमाम कोचिंग सेंटर्स व ऐसे भवन, जिनके बेसमेंट में तमाम प्रकार की मानवीय गतिविधियां संचालित हो रही हैं, की जांच के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में जारी निर्देश में चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि मानसून के दौरान अतिवृष्टि के कारण नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में जलभराव की स्थिति के कारण हुई अप्रिय घटना को देखते हुए उत्तराखंड में संचालित तमाम कोचिंग सेंटर्स व ऐसे भवन, जिनके बेसमेंट में कई प्रकार की ह्यूमन एक्टिविटीज संचालित हो रही हैं, की जॉच भवन उप-नियमों और सुरक्षा संबंधी अन्य मानकों व नियमों के तहत शीर्ष प्राथमिकता के साथ करना सुनिश्चित किया जाए।

सीएस के निर्देश
-सभी डीएम संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ तत्काल बैठक करें।
-जिले में सभी कोचिंग सेंटरों के निरीक्षण के लिए एक कमेटी का गठन हो।
-कमेटी के जरिए वर्णित स्थानों की जांच कर कमियों का निराकरण सुनिश्चित किया जाए।
-जिन भवनों में कमियों का निराकरण किया जाना असंभव हो, वहां मानसून तक रोक लगे।
-जिससे मानसून अवधि में जलभराव से होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।
-इस बावत की गई कार्रवाई से शासन को 15 दिनों के भीतर अवगत कराया जाए।

सेफ्टी इक्विपमेंट की हो जांच
चीफ सेक्रेटरी ने कहा है कि ऐसे बिल्डिंग, जिनके बेसमेंट में तमाम ह्यूमन एक्टिविटीज संचालित हो रही हैं, उनमें फायर सेफ्टी मानकों की भी जांच हो। इसके अलावा उस कोचिंग सेंटर में उपलब्ध फायर सेफ्टी इक्विपमेंट व अलार्म या फिर किसी आगजनी की घटना में निकासी मार्ग को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया गया है या नहीं, उसक भी जांच के लिए कहा गया है।

इलेक्ट्रिक सिस्टम की भी होगी जांच
ये भी कहा गया है कि ऐसे भवनों में स्थापित इलेक्ट्रिक सिस्टम की भी सुरक्षा मानकों की जांच की जाए। क्या आवश्यक एनओसी भवन स्वामी द्वारा लिया गया है या नहीं।

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Posted By: Inextlive