उत्तराखंड मेें दून समेत 5 जिलों में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई थी। दून में वर्ष 2017 में नियर सर्वे चौक स्थित तीलू रौतेली बिल्डिंग कैंपस में वन स्टॉॅप सेंटर की शुरूआत की गई थी। इसी दौरान नियुक्तियों के लिए पदों का सृजन किया गया और आदेश जारी हुए। संविदा कर्मचारियों की नियुक्तियां हुई। लेकिन बाद में इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। हटाए गए कर्मचारियों ने कोर्ट की शरण ली जिसके बाद इन पदों की नियुक्तियों पर रोक लग गई। स्थिति ये है कि बीते 6 माह से दून समेत अन्य जिलों में वन स्टॉप सेंटर बिना कार्मिकों के चल रहे हैं। जिस कारण महिलाओं की समस्याओं का निपटारा नहीं हो पा रहा है।


-चौबीसों घंटे सुविधाएं देने के बजाय, महज शिकायतें ही हो पा रही हैं दर्ज
-अब पीडि़त व जरूरतमंद महिलाएं व बालिकाएं शाम के बाद कहां दर्ज करें अपनी शिकायतें

देहरादून, 10 मई (ब्यूरो)। ऐसा लगता है कि बालिकाओं व महिलाओं की तमाम वॉयलेंस संबंधी समस्याओं का समाधान के लिए शुरू किए वन स्टॉप सेंटर इन दिनों ढांचे मात्र के रह गए हैं। वजह जो भी रहे हों, लेकिन बहाना स्टॉफ का बताया जा रहा है। स्थिति ये है कि सेंटर केवल वर्किंग ऑवर में ही शिकायत दर्ज करने के लिए खोले जा रहे हैं। लेकिन, इन शिकायतों का न तो निस्तारण हो पा रहा है और न ही काउंसिलिंग। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिसम्बर, 2022 से दून समेत 5 जिलों के वन स्टॉॅप सेंटर के मानो बंद हïो गए हैं। नतीजतन, महिलाएं शिकायत के लिए महिला आयोग व पुलिस पर निर्भर हो रही हंै। जबकि, पीडि़त महिलाओं को महिला आयोग से भी मायूसी मिल रही है। सदस्य न होने के कारण आयोग में भी महिलाओं की शिकायतों पेंडिंग में चल रही हैं।

क्या है वन स्टॉॅप सेंटर
-केंद्र सरकार ने हिंसा से प्रभावित महिलाओं व बालिकाओं को सहयोग देने के लिए अप्रैल 2015 में शुरू किया था वन स्टॉप सेंटर प्रोजेक्ट
-इसका दूसरा नाम सखी भी दिया गया, योजना के तहत वॉयलेंस से प्रभावित महिलाओं व बालिकाओं को एक स्थान पर सहायता देना
-सेंटर का उद्देश्य परिवार, कार्य क्षेत्र समेत समाज में किसी भी निजी व सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली महिला हिंसा के बाद सहायता देना
-सेंटर में महिलाओं की शिकायत से लेकर, कांउसलिंग, लीगल हेल्प व रहने तक की सुविधा कराई जाती है मुहैया।

यहां लगा 'स्टॉॅपÓ
-देहरादून
-उधमसिंहनगर
-नैनीताल
-बागेश्वर
-पौड़ी
-अल्मोड़ा

ये सुविधाएं होना जरूरी
-शिकायत दर्ज
-पुलिस काउंसिलिंग
-सुरक्षा को लेकर हेल्प
-लीगल हेल्प
-मेडिकल हेल्प
-शेल्टर

मार्च 2016 से 2023 तक
डिस्ट्रिक्ट- कंप्लेन - सुनवाई- पेंडिग
दून - 1314- 1210- 104
अल्मोड़ा- 296- 273- 23
बागेश्वर- 422- 407- 15
चमोली - 176- 155- 21
चंपावत- 162- 135- 27
हरिद्वार - 593- 555- 38
नैनीताल - 1323- 1088- 235
पौड़ी - 325- 298- 27
पिथौरागढ़- 315- 296- 19
रुद्रप्रयाग- 207- 180- 27
टिहरी - 185- 175- 10
यूएसनगर - 1081- 1013- 68
उत्तरकाशी - 148- 95- 51
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कुल - 6547- 5882- 665
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फिलहाल, ऑफिस समय में कंप्लेन दर्ज
विभागीय अधिकारियों के अनुसार स्टॉफ न होने के कारण सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कोई भी महिला शिकायत लेकर पहुंचती है तो कंप्लेन दर्ज कर ली जाती हैं। लेकिन, इसके बाद स्टाफ न होने के कारण 24 घंटे शिकायतें दर्ज किए जाने की अब व्यवस्था महिलाओं को नहीं मिल पा रही है।
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::वर्जन::
संविदा पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के कारण ये समस्या सामने आई है। छह जिलों के वन स्टॉॅप सेंटर में स्टाफ नहीं है। हालांकि, ऑफिस टाइम के दौरान सेंटर्स खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे महिलाओं की कंप्लेन आसानी से दर्ज की जा सके।
आरती बलोदी, नोडल ऑफिसर, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास।

30 नवंबर को सभी संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के बाद नई नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। जिस कारण ये समस्याएं सामने आ रही हैं। ऐसे में वन स्टॉप सेंटर्स को चौबीसों घंटे संचालन भी नहीं हो पा रहा है। लेकिन, एक स्टाफ के जरिए शिकायतें जरूर दर्ज की जा रही हैं।
मोहित चौधरी, डीपीओ, दून।

Posted By: Inextlive