चारधाम यात्रा समेत अन्य पर्यटक स्थलों पर रिकॉर्डतोड़ यात्रियों व पर्यटकों की तर्ज पर इस बार वैली ऑफ फ्लावर में भी देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला.

देहरादून, (ब्यूरो): चारधाम यात्रा समेत अन्य पर्यटक स्थलों पर रिकॉर्डतोड़ यात्रियों व पर्यटकों की तर्ज पर इस बार वैली ऑफ फ्लावर में भी देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला। अंदाजा इस बाद से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष 2023 में जहां जून महीने में 2086 विजिटर्स वैली पहुंचे। वहीं, इस बार जून के महीने में पर्यटकों की संख्या 3608 तक पहुंची। इस प्रकार से 708700 की आमदनी भी घाटी प्रशासन को हुई।

वैली पहुंचे पर्यटकों की संख्या
वर्ष 2024, जून माह
कुल पर्यटक--3608
देशी पर्यटक--3576
विदेशी पर्यटक--26

वर्ष 2023, जून माह
कुल पर्यटक--2086
देशी पर्यटक--2060
विदेशी पर्यटक--26

सितंबर में कर सकेंगे विजिट
हर वर्ष की तर्ज पर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित वैली ऑफ फ्लावर इस बार भी पहली जून को पर्यटकों की आमद के लिए खोला गया। बताया गया है कि अब आने वाले सितंबर पहले सप्ताह तक वैली ऑफ फ्लावर पर्यटक के लिए खुला रहा है। लेकिन, इस बार गत वर्ष के एवज में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में ज्यादा संख्या देखने को मिली है। जबकि, अभी पार्क खुलने रहने का सीजन करीब 2 महीने का बाकी है। वैली की वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल इस बार वैली पहुंचने वाले पर्यटकों की आवाजाही में खासा उत्साह नजर आ रहा है। इस बार देशी पर्यटकों के लिए 200 व विदेशी टूरिस्ट के लिए 800 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है।

हर 15 दिन में बदलती हैं वैली रंग
फूलों की घाटी ट्रैक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस घाटी के रोचक बात ये है कि ये वैली हर 15 दिन में अपना रंग बदल लेती है। फूलों की कुछ प्रजाति ऐसी हैं, जो आपको सिर्फ यहीं देखने को मिलती है। फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना बताया गया है। यहां प्रकृति प्रेमियों को टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के बिहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं।

12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित
वैली ऑफ फ्लावर समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जिसको कुदरत का अनोखा संसार भी कहा जाता है। यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की इस घाटी में दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां और पक्षियां पाई जाती हैं। घाटी 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली हुई है। वहीं, यहां सीजन में हर साल देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं।

वैली ऑफ फ्लावर पर एक नजर
-इस घाटी को वर्ष 1982 में नेशनल पार्क किया गया घोषित।
-इसके बाद यूनेस्को ने 2005 में इसको विश्व प्राकृतिक धरोहर का दिया दर्जा।
-घाटी में बायोडाइवर्सिटी का है खजाना।
-घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी।
-वर्ष 1937 में फ्रैंकस्मित ने वैली ऑफ फ्लावर नामक पुस्तक लिखकर अपने एक्सपीरियंस शेयर दुनिया के सामने रखे।

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Posted By: Inextlive