कुछ लौटे अफगानिस्तान से, कुछ का इंतजार बाकी
- अब तक दून के 30 लोग पहुंच चुके हैं घर वापस
- काबुल और आसपास अब भी फंसे हैं कुछ दूनवासी देहरादून, तालिबान के शिकंजे में फंसे अफगानिस्तान में दुश्वारियां लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय के साथ ही दूसरे मुल्क के लोग भी खौफ के साये में हैं। दर्जनों भारतीयों का घर वापसी की आस में एक-एक पल गुजारना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, भारतीयों के स्वदेश लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। लेकिन, अब भी बड़ी संख्या में भारतीय काबुल और आसपास के इलाकों में फंसे हैं। दून के करीब 30 व्यक्ति जैसे-तैसे घर पहुंच चुके हैं। पर वहां एयरपोर्ट समेत आसपास के होटलों में दर्जनों उत्तराखंडी डरे-सहमे वतन वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। स्थानीय कंपनियों ने उन्हें भले ही बेसहारा छोड़ दिया हो, पर उनकी भारत सरकार पर उम्मीदें टिकी हैं। काबुल में एक-एक रात काटनी हुई भारीकाबुल एयरपोर्ट पर वतन वापसी की आस लगाए देहरादून वासियों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। हर वक्त उनकी आंखें हवाई पट्टी पर गड़ी रहती हैं और कान एनाउंसमेंट पर लगे रहते हैं। इस उम्मीद में कि कोई भारतीय विमान आएगा और उन्हें अपने मुल्क वापस ले जाएगा। दून के रितेश राणा दो दिन से एयरपोर्ट पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि रितेश अपने परिवार से लगातार फोन काल, वीडियो काल और संदेश भेजकर बात कर रहे हैं, लेकिन उनके परिवार का कहना है कि सुरक्षित घर नहीं पहुंचने तक उनकी चिंता खत्म नहीं होगी। रितेश की पत्नी पूनम ने बताया कि रितेश अफगानिस्तान में एक कोरियन कंपनी में सुरक्षा विभाग में नौकरी करते हैं। फोन पर रितेश से बात हुई तो उन्होंने बताया कि वह जल्द वतन लौटने की कोशिश करेंगे। रितेश करीब 140 भारतीयों के साथ एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं। इधर, नेहरूग्राम निवासी नरेंद्र शर्मा के भाई अंकित ने बताया कि भाई को एयरपोर्ट पर चार दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक उनका नाम वतन वापसी के लिए नहीं आया। भाई ने बताया है कि कल उनका नाम आने की उम्मीद है।
राजू थापा से मिलने को उत्साहित है परिवारदून के नयागांव निवासी राजू थापा काबुल एयरपोर्ट पर अपने साथियों संग फंसे हुए थे। तीन दिन से वह लगातार घर वापसी का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही थी। हालांकि, अब वह किसी तरह काठमांडू होते हुए दिल्ली पहुंच चुके हैं। आज वह देहरादून अपने घर पहुंच जाएंगे। दून में राजू की वापसी को लेकर चिंतित परिवार ने अब राहत की सांस ली है। अब वह राजू से मिलने को बेताब हैं। राजू थापा बीते 2017 से अफगानिस्तान में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे थे।