राजधानी दून में आउटर के इलाकों में जैसे-तैसे रोड तो बन गई लेकिन कई इलाके पब्लिक ट्रांसपोर्ट की फैसिलिटी से वंचित हैं। लगातार मांग के बावजूद नगर निगम एरिया में अंतर्गत आने वाले नकरौंदा बालावाला नथुवावाला तुनवाला शमशेरगढ़ घोड़ा फैक्ट्री समेत दर्जनों इलाकों में पब्लिक को ट्रांसपोर्ट सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

- 3-4 किमी। के सफर को करने पड़ रहे 200 तक खर्च, पब्लिक बोल रही कब तक लुटते रहेंगे
- लगातार मांग के बावजूद रोड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी नहीं ले रही सुध, पब्लिक परेशान

देहरादून (ब्यूरो): आलम यह है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 10 रुपए के किराए के सफर के लिए 150 से 200 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इन क्षेत्रों में न तो विक्रम की सुविधा है, न टाटा मैजिक और न ही सिटी बस की। इक्का-दुक्का इलाकों में ई-रिक्शा चल रहे हैं, उन पर भी परिवहन विभाग का कोई कंट्रोल नहीं है। ई-रिक्शा चालक लोगों से मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। वह भी पब्लिक से 10 का 20 और 20 का 50 रुपये वसूल रहे हैं। पब्लिक की मांग है कि जल्द से जल्द शहर के आउटर के इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ाया जाए।

हालात नहीं सुधरे
नगर निगम में शामिल होने के बाद भी शहर के आउटर के इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा में इजाफा नहीं हुआ। उम्मीद जताई जा रही थी नगर निगम में शामिल होने पर आउटर के इलाकों में ट्रांसपोर्टेशन दुरुस्त होगा, लेकिन इस मसले पर परिवहन विभाग एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है। निगम में शामिल हुए चार साल हो गए, लेकिन परिवहन सुविधा जस की तस बनी है।

चार-चार विक्रम बदलने पड़ रहे
घंटाघर और पलटन बाजार पहुंचने के लिए आज भी आउटर के कई इलाकों को तीन-चार विक्रम बदल कर पहुंचना पड़ रहा है। नकरौंदा, नथुवावाला, बालावाला, तुनवाला समेत दर्जनों इलाके हैं, जहां लोग 3-4 किमी। के लिए ऑटो बुकिंग करने के लिए 100 से लेकर 200 रुपए तक खर्च करने को मजबूर हैं। राजधानी में ट्रांसपोर्टेशन के ये हालात हैं, तो ग्रामीण इलाकों के हालात कैसे होंगे, इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

ई-रिक्शा ही आखिरी ऑप्शन
आउटर के इलाकों में ई-रिक्शा ही आखिरी विकल्प है, लेकिन रिक्शा चालकों की मनमानी से भी पब्लिक परेशान हैं। इनका न चलने का समय है और न ही इन पर सफर सेफ है। सड़कों की हालत बेहद खराब है। गड़्ढों के चलते इनके एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।

बसों के संचालन की नहीं ली सुध
लंबे समय से लोग आउटर क्षेत्र में बसे लोग सिटी बसों के संचालन की मांग कर रही है, लेकिन संभागीय परिवहन विभाग इस मांग के प्रति लापरवाह बना हुआ है, जिसका खामियाजा पब्लिक को हर रोज भुगतना पड़ रहा है। नकरौंदा और शमशेर गढ़ में सालों पूर्व सिटी बस चली, लेकिन कुछ महीने बाद ही सेवा बंद कर दी गई। विक्रम भी अब इन क्षेत्रों में नहीं चलते, जिससे लोगों को शहर पहुंचने में कई वाहन बदलने पड़ते हैं।

जल्द शुरू हो सिटी बसों का संचालन
शहर के आउटर के इलाकों में सिटी बसों के संचालन की लंबे समय से मांग की जा रही है, लेकिन सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। इसका खामियाजा पब्लिक को रोजाना भुगतना पड़ रहा है।
प्रमोद कपरुवाण शास्त्री, अध्यक्ष, देवभूमि महासभा

नकरौंदा में मेन से 3-4 किमी। के लिए 200 रुपए तक ऑटो और रिक्शा वाले बुकिंग के ले रहा है। जबकि इतनी दूरी 10 रुपए में तय हो जाती है। जनता को किस तरह लूटा जा रहा है, यह इसकी बानगी है।
अनुराग कुकरेती, सोशल एक्टिविस्ट

नगर निगम में शामिल हुए चार हो गए है। इसके बाद भी क्षेत्र में बस सेवा शुरू नहीं हुई है, जिससे रोजाना आफिस जाने के लिए घंटो पहले घर से निकलना पड़ता है। पैसे के साथ ही समय भी अधिक लग रहा है।
लाल सिंह नेगी

राजधानी के इलाकों में सरकार ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं दे पा रही है, तो दुर्गम इलाकों में हाल क्या होंगे समझा जा सकता है। सरकार को ट्रांसपोर्टेशन में सुधार लाने की जरूरत है। इससे पब्लिक को कई नुकसान उठाने पड़ रहे हैं।
संजय कुमार

दून के आउटर के इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्या संज्ञान में है। इसके लिए रूट तय किए जा रहे हैं। जल्द से जल्द आउटर के इलाकों में बसों का संचालन का पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शैलेश तिवारी, आरटीओ (प्रवर्तन), देहरादून
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Posted By: Inextlive