दून आरटीओ डिविजन से करीब ढाई लाख वाहन बाहर हो गए हैं। स्क्रैप पॉलिसी वाहनों की 20 वर्ष की मियाद पूरी होना और टैक्स जमा न कर पाने के कारण आरसी सरेंडर करना सबसे बड़े कारण बताए गए हैं। फिलहाल दून डिविजन में वाहन कम हो रहे हैं तो जानकार पॉल्यूशन पर भी नियंत्रण होने का दावा कर रहे हैं। हालांकि जानकार ये भी बता रहे हैं लोग अब इलेक्ट्रिक वाहनों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।

देहरादून (ब्यूरो) दून आरटीओ डिविजन के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष तक दून में करीब 11 लाख 5343 वाहन पंजीकृत थे। लेकिन, इस बार इनकी संख्या में करीब सवा दो लाख की गिरावट दर्ज की गई। इस बार आरटीओ में पंजीकृत वाहनों की संख्या 899815 दर्ज की गई है। साफ है कि दून आटीओ में यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में वाहनों के पंजीकरण में गिरावट दर्ज की गई। बताया जा रहा है कि स्क्रैप पॉलिसी की संख्या के बाद इसका असर ज्यादा दिखा। इसमें सबसे ज्यादा सरकारी विभागों के वाहनों को सड़कों से रिमूव होना पड़ा। उसके बाद कई ऐसे वाहन शामिल रहे, जिन्होंने लंबे समय से टैक्स जमा नहीं किया था। उनके ऊपर टैक्स का लोड इतना बढ़ गया कि उन्हें अपने आरसी सरेंडर करने पड़े।

सबसे ज्यादा टॉप टेन रजिस्टर्ड वाहन
मोटर साइकिल--607232
मोटर कार--247914
गुड्स कैरियर--12328
मोटर कैब--8930
मैक्सी कैब--4587
थ्री-व्हीलर पैसेंजर्स--2956
बस--2634
एग्रीकल्चर ट्रैक्टर--2505
ई-रिक्शा--2151
थ्री-व्हीलर--1436

सबसे ज्यादा मोटर व कार
दून आरटीओ में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या पर गौर करें तो सबसे ज्यादा मोटर साइकिल पंजीकृत हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर कारों की संख्या है। मोटर साइकिल से लेकर कार निजी वाहनों की श्रेणी में शामिल बताए गए हैं। इसके बाद सामान ले जाने वाले वाहनों की संख्या भी कम नहीं है। इन वाहनों की संख्या 12 हजार के पार तक है।

कॉमर्शियल टू-व्हीलर 1778 तक
दून में ऐसे दोपहिया वाहन भी पंजीकृत हैं, जो कॉमर्शियल यूज के लिए रजिस्टर्ड हैं। इनकी संख्या 1778 है। साफ है कि देश-दुनिया से आने वाले पर्यटक इन वाहनों को किराए पर लेकर यूज करते हैं। इसी कारण इन वाहनों की तादात भी लगातार बढ़ रही है।

मोबाइल वर्कशॉप व लाइब्रेरी वाहन भी
आरटीओ में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या में कुछ ऐसे वाहन भी शामिल हैं, जिन्हें आप पहली बार सुनेंगे। इनमें मोबाइल वर्कशॉप 5, लाइब्रेरी वैन 1 शामिल हैं। इसके लिए 25 मोबाइल कैश वैन भी पंजीकृत हैं, जो तमाम बैंकों तक कैश पहुंचाते हैं।

हर तरफ मोबाइल कैंटीन, केवल 1 रजिस्टर्ड
दून की सड़कों पर कई फूड कैब आपको नजर आते होंगे। लेकिन, आरटीओ में केवल एक ही मोबाइल कैंटीन नाम से पंजीकृत है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे वाहन नॉन रजिस्टर्ड होने के कारण सड़कों के किनारे खूब कमाई कर रहे हैं। लेकिन, सरकार को टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि इस पर आरटीओ को इनके खिलाफ सख्ती बरतनी चाहिए।

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Posted By: Inextlive