Varanasi news: सिटी ऑफ म्यूजिक में युवाओं ने संभाली संगीत की बागडोर
वाराणसी (ब्यूरो)। शिव की नगरी काशी पुराणों से भी प्राचीन है। काशी यूनेस्को की धरोहर में संगीत की वजहों से शामिल है। काशी में कुछ खास है, जो इसे संगीत की दुनिया में विशेष बनाता है। संगीत की दुनिया में बनारस घराना अपनी अलग पहचान रखता रहा है। कबीरचौरा से रामापुरा तक पुराने बनारस के इर्द-गिर्द फैले क्षेत्र में शताब्दियों से दिन-रात इन घरानों से सुर-संगीत की राग-रागिनियां देश ही नहीं दुनिया को आनंदित कर रही हैं। गायन, वादन और नृत्य के लिए बनारस घराना मशहूर है। कई नवोदित कलाकार यहां से निकलकर शहर का नाम रोशन कर रहे हैं, तो कई कलाकार यहां की विधा को आगे बढ़ा रहे है। आज वल्र्ड म्यूजिक डे पर हम जानेंगे कि ये नवोदित कलाकर किस तरह संगीत के सफर को आगे बढ़ा रहे हैं।
2016 में यूनेस्को की धरोहर में शामिल
कहते हैं संगीत की कोई भाषा नहीं होती, यह सरहदों के पार होता है, दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है। संगीत को प्रेम की भाषा भी कहा जाता है। शिव की नगरी काशी का कण-कण संगीत में रमा हुआ है। संगीत की वजह से ही यह शहर 2016 में यूनेस्को की धरोहर मेें शामिल किया गया। यहां तबले के महारथी पं। सामता प्रसाद मिश्र (गुदई महाराज), पं। किशन महाराज, पं। कुमार लाल मिश्र, सारंगी के जादूगर पं। हनुमान प्रसाद मिश्र, पं। गोपाल मिश्र, प। बैजनाथ मिश्र जैसे दिग्गज ने देश ही दुनिया में ख्याति प्राप्त की.
पहचान बना रहे युवा
पं। किशन महाराज के पुत्र पूरन महाराज ने कहा, काशी के युवा कलाकार मेहनत कर मुकाम हासिल कर रहे हैं। क्लासिकल म्यूजिक में अवंतिका महाराज और तबले में देवराज मिश्रा ने अपनी पहचान बनाई है। इसके अलावा पं। शुभ महाराज, गायन में रजनीश, रितेश व स्वरांश तो कथक में आशीष सिंह और सारंगी में संदीप और संगीत ने अपनी पहचान बनाई है। हिमांशु जोशी (तबले) ने शानदार प्रस्तुतियों के जरिए उम्मीदों की लौ जगाई है.
घर में क्लासिकल तबले का माहौल
अवंतिका बताती हैं कि घर में क्लासिकल तबले का ही माहौल था। पं। किशन महाराज मेरे दादा थे और मेरे पिता जी पूरन महाराज से ही क्लासिकल की शिक्षा-दीक्षा ली। 13 साल की उम्र से ही शहर में प्रोग्राम करने लगी। इस बार संकट मोचन संगीत समारोह में भी प्रस्तुति दी। पहले दुर्गामंदिर समेत सारनाथ में भी प्रस्तुति दे चुकी हूं। अब पिताजी के साथ अहमदाबाद प्रस्तुति देने 26 जून को जा रही हूं.
तबला बजाना अच्छा लगता है
महादेव प्रसाद मिश्र के नाती देव नारायण मिश्र तबले में महारथ हासिल कर चुके हैं। तबले की प्रस्तुति देने बेंगलुरू जा रहे हैं। उनका कहना है कि शुरू से ही पं। किशन महाराज को तबला बजाते हुए देखता था तो मुझे भी शौक होता था कि मैं भी बजांऊ। तब से तबले में दिलचस्पी बढ़ गई।
गायिकी में नाम कर रहे रोशन
बनारस के संगीत घराने को आगे बढ़ा रहे राहुल रोहित मिश्रा ने कहा, देशभर के लोगों को यहां की गायिकी से प्रसन्न कर रहे हैं। सितार वादक नीरज मिश्रा अपने सितार वादन से शहर का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, सरोद में अंशुमान महाराज का कोई जवाब नहीं है।
पं। किशन महाराज की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। क्लासिकल तबला की शिक्षा दे रहा हूं। नवोदित जो भी कलाकार आते हैं। उनको संगीत के बारे में बताया जाता है.
पूरन महाराज, तबला वादक
संगीत काफी अच्छा लगता है। संगीत सीखकर जहां मौका मिलता है। वहां पर कार्यक्रम प्रस्तुत करती हूं। पहले की तरह न लोग रहे, न ही सिखाने वाले.
अन्नपूर्णा मालवीय, गायक
तबला बजाना अच्छा लगता है। आज कई शहर में प्रस्तुति दे चुका हूं। यहां के कलाकारों के लिए अलग से मंच होना जरूरी है.
हिमांशु जोशी, तबला वादक
बनारस से ही सरोद सीखा। आज देश के शहरों में बनारस संगीत घराने की विधा को आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक कई प्रस्तुति दे चुका हूं.
अंशुमान महाराज, सरोद वादक
कड़ी मेहनत के साथ सितार सिखा है। आज नए कलाकारों को सीखने का मौका मिल रहा है। कई कलाकार सीखने के बाद शहर का नाम रोशन कर रहे हैं.
नीरज मिश्रा, सितार वादक
शुरू से ही संगीत में दिलचस्पी रही। आज संगीत के क्षेत्र में बनारस के कलाकार तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
देव नारायण मिश्रा, तबला वादक
क्लासिकल तबले की शिक्षा मैंने अपने पिता पूरन महाराज से ली है। जून में अहमदाबाद में प्रस्तुति देने जाऊंगी। संकट मोचन में इस बार तबला बजाया था.
अवंतिका महाराज, क्लासिकल तबला वादक
गाए जाएंगे मो। रफी के गीत
वल्र्ड म्यूजिक डे पर 21 जून (शुक्रवार) को होटल आरके ग्राउंड सिगरा में शाम 7.30 बजे से मोहम्मद रफी ञ्च 100 प्रोग्राम होगा। म्यूजिक क्लब की ओर से होने वाले प्रोग्राम मेें हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पाश्र्व गायक मो। रफी के 100 गीत गाए जाएंगे.