Varanasi news: मंदिर-मस्जिद में खो गया कारोबारियों का मुद्दा
वाराणसी (ब्यूरो)। आज का यूथ व्यापारी पार्टी नहीं बल्कि कैंडिंडेट की पर्सनैलिटी के आधार पर सरकार में अपना प्रतिनिधि चुनने की सोच रखता है। व्यापारी चाहता है कि व्यापार के सिस्टम में बदलाव हो और सुगम व्यापार के लिए सरल कानून बने। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है। मंदिर-मस्जिद में व्यापारियों के व्यापार का मुद्दा खो गया है.्र ऑनलाइन कारोबार पर सभी ने एकजुट होकर बोला, इस पर सरकार को सख्ती से रोक लगाना चाहिए। ऑनलाइन वोटिंग को लेकर 30 परसेंट व्यापारियों ने सहमति दी। लेकिन, उनका ये भी मानना है कि ऑनलाइन कारोबार की तरह ऑनलाइन वोटिंग भी खतरा न बन जाए। लोकसभा चुनाव को देखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट राजनी टी कैंंपेन चला रहा है। इसके तहत मलदहिया स्थित लॉन में जब व्यापारियों को आईनेक्स्ट का मंच मिला तो उन्होंने खुलकर अपनी बात को रखा। कहा कि देश का विकास हो रहा है, लेकिन व्यापार के विकास का पहिया थम चुका है। व्यापार करने के लिए इतना अधिक जटिल नियम बना दिया गया है कि हर व्यापारी उसमें उलझ कर रह गया है। सभी व्यापारियों का बीमा होना चाहिए.
खुलकर बोले व्यापारी
व्यापारियों के बीच टीम ने व्यापार, कारोबार और डेवलपमेंट के मुद्दे के साथ ही चुनावी मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान ऑनलाइन कारोबार, ऑनलाइन वोटिंग, जीएसटी, रिटर्न में क्या-क्या दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है पर सभी ने अपने-अपने मत रखे। उन्होंने कहा कि डिजिटल दौर में जब हर चीज ऑनलाइन हो चुकी है। कारोबार भी ऑनलाइन हो चुका है। ऐसे में वोटिंग के हक का भी राइट ऑनलाइन होना चाहिए। इसमें सुरक्षा के इंतजाम हों, जिससे किसी भी तरह की धांधलेबाजी न हो सके.
चुनाव लडऩे की उम्र 18 साल हो
व्यापारियों ने कहा कि राजनीति मेंं यूथ की भी भागीदारी बढऩी चाहिए जिससे वह अपने कारोबार से संंबंधित जितनी भी समस्याएं हैं वह उचित प्लेटफार्म पर रख सकें। तभी देश की दशा और आर्थिक दिशा में सुधार होगा। इसके लिए चुनाव आयोग को चुनाव लडऩे की उम्र 25 से 18 वर्ष करने पर विचार करना चाहिए। वे वोट पार्टियों को नहीं बल्कि प्रत्याशी को देखकर करेंगे। यदि किसी पार्टी के प्रत्याशी का कार्य निचले लेवल पर अच्छा है तो उसे हमारा वोट जाएगा, क्योंकि किसी पार्टी का कर्णधार उस पार्टी का प्रत्याशी ही होता है। जब 18 साल का व्यापारी सोच समझकर वोट दे सकता है, तो चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता?
डिप्रेशन का हो रहे शिकार
व्यापारियों का कहना था कि कोई भी रोजगार शुरू कर रहे हैं तो इतना अधिक उसमें जटिलताएं आ जा रही है कि कई लोगों ने अपना रोजगार बंद कर दिया है। जीएसटी में सरलीकरण न होने से इतना अधिक विसंगतियों से जूझना पड़ रहा है कि इसके चलते वह मानसिक रूप से परेशान हो जा रहे हैं। डिप्रेशन के चलते कई छोटे कारोबारी गलत कदम उठा लेते हैं.
कारोबारियों के लिए बीमा का प्रावधान
मंच पर व्यापारियों ने जोरदार तरीके से अपनी बात को रखते हुए कहा कि जिस तरह से गवर्नमेंट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए हेल्थ बीमा होता है, उसी तरह से व्यापारियों के लिए हेल्थ पॉलिसी होनी चाहिए जिससे उनका व्यापार चले चाहे न चले, सेक्योर तो रहेंगे.
जॉब की गारंटी नहीं
इस दौरान कई व्यापारियों ने कहा कि जॉब की गारंटी तो नहीं है। कम से कम जो भी सरकार आए व्यापारियों और कारोबारियों को रोजगार चलाने की गारंटी जरूर देनी चाहिए, जिससे उसका रोजगार चल सके। कोई भी कुटीर उद्यमी छोटा उद्योग लगाता है तो इतना अधिक विभागों की कागजी कार्रवाई से गुजरना पड़ता है कि वह अपना रोजगार बंद कर देते हैं.
दागी को वोट नहीं
व्यापारियों ने राजनीतिक पार्टियों को भी दागी कैंडिडेट नहीं उतारने की सलाह दी। इस बारे में सभी व्यापारियों ने खुलकर अपने विचार को रखे। कहा कि किसी भी कीमत पर आज का युवा व्यापारी दागी कैंडिडेट को वोट नहीं देगा। चाहे वह उनकी पसंदीदा पार्टी का ही क्यों न हो। परिचर्चा के दौरान व्यापारियों ने खुलकर साफ और ईमानदार छवि वाले कैंडिडेट्स को ही अपने भविष्य के फैसले लेने का अधिकार देने की बात कही। भारत को विश्व पटल पर आगे रहने के लिए भी ये जरूरी है.
रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
राजनी-टी कैंपेन में युवाओं ने आने वाले लोकसभा चुनाव में रोजगार को बड़ा मुद्दा बताया। कहा कि पूर्व की सरकारों ने रोजगार-धंधे पर कोई काम नहीं किया। कुछ युवाओं ने कहा कि गवर्नमेंट विभागों का प्राइवेटाइजेशन करना उचित नहीं है। उन्होंने मौजूदा सरकार की योजनाओं की सराहना की। कहा कि वाराणसी समेत पूरे प्रदेश में भारी निवेश से लाखों युवाओं को रोजगार मिला है लेकिन जॉब की कोई गारंटी नहीं है.
मेरा मुद्दा
1-जीएसटी में विसंगतियों को दूर किया जाए
2-व्यापारियों का भी बीमा होना चाहिए
3-सरकारी विभागों का प्राइवेटाइजेशन नहीं होना चाहिए
4-कुटीर उद्यमियों के लिए बने कुटीर उद्योग नगर
5-रोजगार के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म खतरा, इसे बंद करना चाहिए
6-45 दिनों के अंदर पेमेंट करने का प्रावधान वापस होना चाहिए.
सरकार काफी अच्छा कार्य कर रही है लेकिन कुटीर उद्यमियों के लिए कुटीर नगर भी बसाया जाए। जिससे नए उद्योग लग सकें.
अजीत बग्गा
जीएसटी में जितने भी प्रावधान हैैं उसे सरलीकरण किए जाने की आवश्यकता है। यह चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है.
कविन्द्र जायसवाल
कारोबार में काफी अड़चनें आ रही हैं। प्रदेश के लिए सबसे बड़ी समस्या है। सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.
सुनील चौरसिया
रिटर्न की प्रक्रिया को आसान करना चाहिए। हर बार में प्रत्याशी कहते हैं कि समस्याओं को दूर किया जाएगा, लेकिन बाद में भूल जाते हैैं.
मिन्टू कुमार
सरकार चाहती है कि जीएसटी की विसंगतियां दूर हो, लेकिन विभाग के अधिकारी इस पर अमल नहीं करते.
बबिता
चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होगा कारोबार का। इस मुद्दे पर किसी का ध्यान नहीं है। जबकि यह मुद्दा सबसे गंभीर मुददा है.
रमेश भारद्वाज
केन्द्र का चुनाव हो या फिर प्रदेश का। सत्ता में कोई भी बैठे बस कारोबार को सहूलियत दें तभी देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
सुजीत कुमार
चुनाव जब नजदीक आता है तो प्रत्याशी सभी के हित की बात करने लगते हैं। चुनाव के सभी मुद्दे भूल जाते हैं.
अशोक कुमार
जो भी सत्ता में आए, कारोबार में सहूलियत दे तभी व्यापारी वोट करेंगे। जटिल नियम के चलते कारोबार करना आसान नहीं है.
संजय गुप्ता
चुनाव तो नजदीक आ रहा है। जो भी प्रत्याशी हो वह कारोबारियों को महत्व दें। राजनीति में कारोबारियों को भी मौका दिया जाए.
घनश्याम चौरसिया